कोशिका किसे कहते हैं ? परिभाषा संरचना प्रकार भाग खोज। | koshika

कोशिका किसे कहते हैं ? koshika

कोई भी संरचना फिर वह जीवित हो या निर्जीव उसे बनाने में सूक्ष्म संरचनाओं का योगदान होता है उदाहरणस्वरूप एक बड़े महल को यदि देखा जाए तो वह हजारों छोटे-छोटे इंटों और पत्थरों से मिलकर बना होता है, जिन्हें आपस में जोड़ कर, व्यवस्थित कर, एक-दूसरे के ऊपर रखकर विशाल महल की सृष्टि की जाती है। इसी प्रकार लोहे का टुकड़ा भी असंख्य लोहे के परमाणुओं से मिलकर बना होता है। koshika kya hai
koshika-kise-kahate-hain
कोशिका किसे कहते हैं ? परिभाषा संरचना प्रकार भाग खोज।
इन्हीं वस्तुओं की भॉति पादपों एवं जंतुओं का शरीर भी छोटी इकाईयों के व्यवस्थित रूप से जुड़ने के कारण निर्मित होता है। जीवन की इस सूक्ष्मतम इकाई को कोशिका (Cell) कहा जाता है, जिसका सामान्य अर्थ छोटे कोश में लिया जा सकता है। यही कोशिकाओं लाखों करोड़ों की संख्या में एकीकृत होकर संपूर्ण शरीर का निर्माण करती है।
इस लेख के अंतर्गत जीवन की इसी सूक्ष्मतम इकाई कोशिका की परिभाषा, कोशिका के प्रकार, पादप तथा जंतु कोशिका का तुलना त्मक अध्ययन तथा कोशिका के विभिन्न कोशिंकांगों (Cell organelles) के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया जाएगा।

कोशिका से शरीर का निर्माण कैसे होता है?
जिस प्रकार हम जब घर बनाते है तो हमें इंटों की आवश्यकता होती है। अब इन इंटो से मिलकर एक दीवार बनती है और दीवार से मिलकर एक कमरा बनता है और जब कमरों को सुव्यवस्थित किया जाता है तो घर बनता जाता है।
इसी प्रकार शरीर की रचनात्मक संरचना कोशिका है जिसके मिलने से उत्तक बनतें है और उत्तक से मिलकर अंग बनता है और अंगों से मिलकर हमारा शरीर बनता है। तो इस प्रकार कोशिका से मिलकर ही शरीर का निर्माण होता है।

कोशिका: जीवन की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई

(Cell: The Structural and Functional Unit of Life)

शरीर की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई कोशिका (Cell) कहलाती है।

कोशिका की खोज का श्रेय राबर्ट हुक को जाता है, जिन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी के द्वारा कार्क के एक टुकड़े में मृत कोशिकाओं को देखा था। जीवित कोशिका को सबसे पहले देखने का श्रेय सर ल्वूवेन हॉक को जाता है, जिन्होंने जीवाणु की जीवित कोशिका को सबसे पहले देखा था।

सर्वप्रथम जीवित कोशिका की खोज किसने की – Jeevit koshika ki khoj kisne kiya tha
अगर बात की जाए कि कोशिका की खोज किसने की, तो उसमें राबर्ट हूक का नाम आता है। अगर परीक्षा में ऐसा प्रश्न आये की सर्वप्रथम जीवित कोशिका की खोज किसने की तो उसमें एण्टोनिवान ल्यूवेन हाॅक का नाम आता है, जिन्होंने सर्वप्रथम 1674 ई. में जीवित कोशिका की खोज की थी।
कोशिका जीवन की रचनात्मक इकाई मानी जाती है परंतु यह अविभाज्य नहीं है, कोशिका भी अनेक प्रकार के अवयवों से मिलकर बना होता है। कोशिका के अंदर के घटक कोशिकांग (Cell Organelle) कहलाते हैं। एक कोशिका अपने-आप में एक पूर्ण जीव हो सकती है, इस स्थिति में जीव को एककोशिकीय (Unicellular) कहा जाता है। बड़े जीवों में एक अंगतंत्र मिलकर जितने कार्य संपादित करते हैं (पोषण, श्वसन, उत्सर्जन प्रजनन आदि) ये सभी कार्य एक कोशिका के अंदर भी सफलता पूर्वक संपन्न हो सकते हैं जैसे मोनेरा और प्रोटेस्टा जगत के जीवों में होता है। कोशिका में उपस्थित सभी कोशिकांग मिलकर जीवन के लिए आवश्यक सभी कार्यों को संपादित करते हैं।

मानव में सबसे छोटी कोशिका कौन सी होती है ?
मानव शरीर की सबसे छोटी कोशिका पुरूषों में स्पर्म(Sperm) या शुक्राणु की होती है।

मानव में सबसे बड़ी कोशिका कौन सी होती है ?
मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका महिलाओं के अण्डाणु की होती है।

मानव शरीर की सबसे लम्बी कोशिका कौन सी है ?
मानव शरीर की सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका तंत्र (Nervous system) अर्थात् न्यूरोन(Neuron) होती है। जिसे मस्तिष्क की कोशिका कहा जाता है।
कोशिकाओं से बना शरीर जीवन का एक अभिन्न एवं मूलभूत लक्षण माना जाता है। छोटे जीव कोशिका के आकार में वृद्धि के द्वारा वृद्धि करते हैं तथा बड़े जीवों में कोशिकाएँ विभेदित होकर संख्या में अत्यधिक हो जाती हैं और कुछ कोशिकाएँ विशिष्ट कार्यों के लिए रूपान्तरित हो जाती हैं। ये कोशिकाएँ आपस में संयोजित होकर ऊतकों (Tissues) का निर्माण करती हैं तथा एक ही प्रकार के ऊतक सम्मिलित होकर अंग का निर्माण करते हैं, एक प्रक्रिया को संपन्न करने वाले अंगों के समूह को अंगतंत्र कहा जाता है और इसी प्रकार अनेक अंगतंत्रों से मिलकर जीव का संपूर्ण शरीर बनता है।

उदाहरण - स्वरूप न्यूरॉन (Neuron) एक प्रकार की अत्यधिक रूपान्तरित कोशिका है जो कि हमारे शरीर में तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। ये न्यूरॉन आपस में मिलकर तंत्रिका ऊतकों (Nervous Tissue) का निर्माण करते हैं, ये तंत्रिका ऊतक आपस में मिलकर मस्तिष्क (Brain) एवं मेरूरज्जु (Spinal cord) तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र का निर्माण करते हैं जो एक साथ शरीर में संवेदनाओं के ग्रहण एवं ग्रिहित संवेदनाओं के आधार पर अनुकूल प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं इस प्रकार शरीर के एक अंग तंत्र का निर्माण होता है।
कुछ कोशिकाओं को उनके विशिष्ट कार्यों के कारण शरीर की शेष कोशिकाओं से विभेदित किया जा सकता है, और उनके कार्य के अनुसार उनके विशिष्ट नाम भी हैं।

कुछ कोशिकाओं के विशिष्ट नाम (Specific Names for Some Cells)
1. न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की कोशिका
2. नेफ्रॉन वृक्क की कोशिका
3. हिपेटिक कोशिका यकृत की कोशिका
4. अंड कोशिका मादा में जनन कोशिका
5. शुक्राणु (स्पर्म कोशिका) नर में जनन कोशिका
6. पराग कण (Pollen grain) पौधों में नर जनन कोशिका

जटिलता के आधार पर कोशिकाओं के प्रकार
koshika-kise-kahate-hain
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के साथ ही जीव उन्नत नहीं हो गया था बल्कि जीवों में जटिलता एवं उन्नत लक्षण कई शतकों वर्षों के बाद आये, और अभी भी जैव विकास का दौर थमा नहीं है तथा जीवों के आंतरिक तथा बाह्य संरचना में जटिलता और बढ़ती जा रही है। जीवों के संपूर्ण शरीर एवं क्रिया-प्रणाली की तरह कोशिकाओं में भी कम उन्नत (कम जटिल) तथा अधिक उन्नत (अधिक जटिल) संरचना एवं क्रिया-विधि पाई जाती है।

कोशिकाओं को उनके जटिलता के स्तर पर दो प्रकारों में विभेदित किया जाता है-
कोशिका के प्रकार
  1. प्रोकैरियोटिक कोशिका और
  2. यूकैरियोटिक कोशिका।
koshika-kise-kahate-hain

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell)
“वे कोशिकाएँ जिन्हें हम बिना माइक्रोस्कोप या बिना सुक्ष्मदर्शी या नग्न आँखों से देख नहीं सकते है, उन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिका कहतें है।” इन्हें आरम्भिक कोशिका भी कहा जाता है। ये अविकसित और अत्यधिक छोटे आकार की कोशिकाएँ होती है। जिनमें केवल मुख्य अंग ही पाए जातें है। नील हरित शैवाल प्रोकैरियोटिक कोशिका का उदाहरण है। प्रोकैरियोटिक कोशिका में कोशिका झिल्ली, राइबोसोम (70s) पाया जाता है तथा शेष अंगों का अभाव होता है। इस कोशिका में केन्द्रक मोजूद नहीं होते। केन्द्रक ना होने के कारण इसमें न्यूक्लाइड पाया जाता है जो आनुवंशिक सूचनाएँ नियंत्रित रखता है। यह एकल कोशिका (Single Celled) वाले सूक्ष्मजीव में पाए जाते है उदहारण के लिए बैक्टीरिया।
  • इनका व्यास (Diameter) 0.1 से 0.5 माइक्रोमीटर के बीच होता हैं। 
  • इनका निर्माण द्विखण्डन (Binary Fission) से होता है।
  • जीवविज्ञान में कोशिका का दो भागों में विभाजित होना और नयी कोशिकाओं का निर्माण करना द्विखण्डन कहलाता है।

यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell)
“वे कोशिकाएँ जिन्हें हम बिना माइक्रोस्कोप या बिना सुक्ष्मदर्शी या नग्न आँखों से देख सकते है, उन्हें यूकैरियोटिक कोशिका कहतें है।” ये बड़ी आकार और पूर्ण विकसित कोशिकाएँ होती है। इनमें कोशिका के सभी अंग पाए जाते है। इस कोशिका में केन्द्रक मोजूद होते है जिसमे यह आनुवंशिक सूचनाएँ एकत्रित रखते है यह बहुकोशिकीय वाले सूक्ष्मजीव में पाए जाते है उदहारण के लिए मनुष्य, जानवर आदि।
  • इनका व्यास (Diameter) 10 से 100 माइक्रोमीटर के बीच होता है।
  • इनका निर्माण लैंगिक तथा अलैंगिक जनन (Sexual & Asexual Reproduction) से हो सकता है।

कोशिकाओं के विभिन्न आकार एवं आकृतियाँ (Different Size and Shape of Cells)
वैसे तो अधिकांश कोशिकाएँ सूक्ष्मदर्शीय होती हैं अर्थात् उन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता, परंतु कोशिकाओं के आकार में अत्यधिक भिन्नता होती है। कुछ कोशिकाओं को हम खुली आँखों से देख सकते हैं। जैसे पक्षियों के अंडे कोशिका ही होते हैं। इस प्रकार शुतुरमुर्ग का अंडा अभी तक की ज्ञात सबसे बड़ी कोशिका है। मनुष्य के शरीर में सबसे बड़ी कोशिकाएँ उसकी तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं। इसी प्रकार विभिन्न अंगों की कोशिकाओं का आकार भिन्न-भिन्न होता है।
आकार की तरह कोशिकाओं की आकृति भी भिन्न-भिन्न होती है। सभी कोशिकाओं में (प्रोकैरियोटिक कोशिका के अतिरिक्ति) मूल कोशिकांग पाये जाते हैं किन्तु इनमें अपने विशिष्ट कार्यों के लिए अनेक प्रकार के रूपान्तरण होते हैं जिससे इनकी आकृति में अत्यधिक विविधता पाई जाती है। उदाहरण स्वरूप तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएँ संवेदनाओं के प्रसारण के लिए साइटोन और एक्सोन के रूप में व्यवस्थित रहती हैं, इसी प्रकार वृक्क की कोशिका जल एवं लवणों के अवशोषण के लिए अत्यधिक घुमावदार हो जाती है। कुछ कोशिकाओं में अपना आकार बदल सकने की अद्भुत क्षमता होती है जैसे हमारे शरीर की श्वेत रक्त कणिकाओं आवश्यकतानुसार अपना आकार बदल लेती हैं। एड्स के वायरस को समाप्त करने के लिए अब तक कोई उल्लेखनीय सफलता मात्र इसी लिए नहीं मिल पाई है कि यह वायरस (कोशिका) बहुत ही कम समय में अपना आकार बदल लेता है।

कोशिका का सबसे तेज विभाजन कहाँ होता है ?
कोशिका का सबसे तेज विभाजन लीवर (Lever) में होता है। अगर एक बार के लिए लीवर को काट भी दिया जाए तो वह अपने आप से ठीक हो सकता है। लीवर ही हमारे शरीर का वह अंग है जो अपनी कोशिका की क्षतिपूर्ति सबसे पहले कर सकता है।

विभाजन रहित कोशिका कौन सी होती है ?
तंत्रिका तंत्र अर्थात् यूराॅन को ही विभाजन रहित कोशिका कहा जाता है। जिसका विभाजन नहीं होता है। अगर हमारे मस्तिष्क पर किसी प्रकार की चोट लग जाए तो वह ठीक नहीं होता है। क्योंकि यूराॅन मस्तिष्क की कोशिका होती है जो विभाजित नहीं हो सकती है। इसलिए ये नई कोशिका का निर्माण नहीं कर पाएगी और चोट ठीक नहीं होगी।

दुनिया की सबसे छोटी कोशिका कौन सी है?
दोस्तों पूरी दुनिया की सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा(Mycoplasma) की होती है। जो एककोशिकीय जीव होता है।

दुनिया की सबसे बड़ी कोशिका कौनसी है ?
दोस्तों पूरी दुनिया की सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अण्डे में होती है।

नीचे चित्रों में विभिन्न आकृति एवं आकार की कोशिकाओं के कुछ उदाहरण दिये गये हैं
koshika-kise-kahate-hain

पादप एवं जंतु कोशिका (Plant and Animal Cell)

पादपों एवं जन्तुओं दोनों में यूकैरियोटिक कोशिका पाई जाती है, तथा लगभग दोनों में कोशिकाओं की मूल प्रवृत्ति एक जैसी होती है, परंतु पादपों में कोशिका भित्त (Cell Wall), प्लास्टिड (Plastid) एवं बड़ी रिक्तिकाए (Big vacuoles) पायी जाती हैं जिनका जंतु कोशिका में अभाव होता है। जंतु एवं पादप दोनों की कोशिकाओं के सामान्य लक्षण निम्न हैं -

जीवद्रव्य (Protoplasm)

कोशिका को जीवन का संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई माना जाता है, उसी प्रकार जीवद्रव्य (Protoplasm) को जीवन का भौतिक आधार (Physical basis of Life) कहा जाता है। जीवद्रव्य को सर्वप्रथम जीवन का भौतिक आधार कहने का श्रेय हक्सले को जाता है। जीवद्रव्य वास्तव में कोशिका झिल्ली के अंदर उपस्थित समस्त तरल को सम्मिलित रूप से कहा जाता है, यह एक रंगहीन, पारभासी अर्ध तरल द्रव्य है जिसमें सभी कोशिकांग उपस्थित रहते हैं। जीवद्रव्य एक कोलॉयड होता है अतः इसमें टिण्डल प्रभाव और ब्राउनियन गति को अवलोकित किया जा सकता है। मैक्स शुल्ज के जीवद्रव्य सिद्धान्त (Protoplasm theory) के अनुसार “सभी जीवधारियों का शरीर जीवद्रव्य से बनी इकाईयों का समूह है तथा सभी पेड़-पौधे व जन्तुओं का शरीर मूल रूप से समरूपी जीवद्रव्य का बना होता है।"
जीवद्रव्य वास्तव में कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों का वास्तविक मिश्रण होता है। जीव द्रव्य का सबसे महत्वपूर्ण एवं बड़ा भाग जल होता है जिसकी मात्रा अलग-अलग जीवों तथा जीवों के अलग-अलग अंगों की कोशिकाओं में अलग-अलग होता है, उदाहरण स्वरूप जलीय पौधों में 95 प्रतिशत तक जल पाया जाता है जबकि बीजों में मात्र 10 से 15 प्रतिशत तक ही जल होता है। जीवद्रव्य के अन्य घटकों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA) डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) तथा अकार्बनिक पदार्थ सम्मिलित हैं। इनमें से कार्बोहाइड्रेट कोशिका के लिए ऊर्जा का स्त्रोत होता, प्रोटीन संरचना बनाने एवं एन्जाइम की तरह विभिन्न अभिक्रियाओं के क्रियान्वयन में सहायता करता है।
जीव द्रव्य के विभिन्न घटकों की प्रतिशत मात्रा
घटकों के नाम जीवद्रव्य में उनकी प्रतिशत मात्रा
जल 65-90%
प्रोटीन एवं एन्जाइम 10-20%
कार्बोहाइड्रेट 1%
लिपिड 2-3%
अकार्बनिक लवण 1%
राइबोन्यूक्लिक अम्ल 0.7%
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल 0.4%

जीवद्रव्य के भाग : जीवद्रव्य को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है, संगठनात्मक रूप से दोनों लगभग एक-समान होते हैं, परंतु अलग-अलग झिल्ल्यिों के द्वारा एक-दूसरे से पृथक रहते हैं।
  1. कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)
  2. केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplsm)
कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) एवं केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Memebrane) के बीच स्थित पदार्थ कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहलाता है, तथा केन्द्रकझिल्ली के अंदर स्थित द्रव्य केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplsm) कहलाता है। कोशिका झिल्ली को भी कोशिकाद्रव्य का एक भाग माना जाता है।
कोशिका झिल्ली जंतु कोशिका की सबसे बाहरी और पादप कोशिका में कोशिका भित्ती के अंदर स्थित झिल्ली होती है। यह झिल्ली लिपिड और प्रोटीन की बनी होती है। यह झिल्ली प्रारंभ में semi permiable (अर्ध पारगम्य) मानी जाती थी, अर्थात ऐसा माना जाता था कि कुछ छोटे आकार की वस्तुएँ इसके आर-पार जा सकती हैं, परंतु बाद के खोजों में पाया गया कि यह बहुत से छोटे कणों को स्वयं से गुजरने नहीं देती लेकिन कुछ बड़े कण भी इसके आर-पार जा सकते हैं, इसलिए इसे बाद में selective permiable मान लिया गया, अर्थात यह वस्तुओं का चयन करके उन्हें स्वयं से पार होने की अनुमति देती है। कोशिका झिल्ली का मुख्य कार्य कोशिका को आकार देना, इसे बाह्य वातावरण से पृथक कर अपनी पहचान देना कोशिकांगों की सुरक्षा करना, और कोशिका के लिए उपयोगी पदार्थो को अंदर लेना तथा हानिकार पदार्थों को बाहर निकालना (Selective permiability)
टोनोप्लास्ट (Tonoplast) कोशिकाझिल्ली की तरह ही एक झिल्ली है जो पादपों में कोशिका द्रव्य ओर रिक्तिक को बीच पायी जाती है। यह झिल्ली रिक्तिका के अंदर के वातावरण को कोशिकाद्रव्य से पृथक करती है।

कोशिकांग (Cell organelles)

एक कोशिका जिन जीवित घटकों से मिलकर बनी होती हैं, उन्हें कोशिकांग कहा जाता है। किसी कोशिका में उसके समस्त कोशिकांग कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रकद्रव्य में उपस्थित होते हैं। पादपों में जन्तुओं की तुलना में प्लास्टिड और बड़ी रिक्तिकाएँ अतिरिक्त कोशिकांग होती हैं।
koshika-kise-kahate-hain

माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria)

यह कोशिकाद्रव्य मे स्वतंत्र तैरने वाला दोहरी झिल्ली से घिरा कोशिकांग होता है। माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा गृह (energy house) कहा जाता है, क्योंकि ग्रहण किये हुए भोजन का यहीं ऑक्सीकरण होता है जिसके फलस्वरूप ATP के रूप में ऊर्जा मुक्त होती है। माइटोकॉण्ड्रिया के अंदर एक खास बात है कि इस कोशिकांग के अंदर इसका स्वयं का DNA और राइबोसोम होते हैं।
koshika-kise-kahate-hain

गॉल्गीबॉडी (Golgi body)

यह भी कोशिकाद्रव्य में उपस्थित दोहरी झिल्ली से घिरा हुआ कोशिकांग होता है। गॉल्गीबॉडी ब्रायोफाइटा एवं टेरीडोफाईटा के नर युग्मक, परिपक्व चालनी कोशिकाएँ तथा प्राणियों के लाल रक्त कोशिकाओं एवं परिपक्व शुक्राणु के अतिरिक्त सभी यूकैरियोटिक कोशिका में पाया जाता है। गॉल्गीबॉडी का ही एक अन्य नाम डिक्टियोसोम (Dictyosome) है जिसका प्रयोग पादपों एवं अकशेरूक प्राणियों के लिए किया जाता है। गॉल्गीबॉडी में राइबोसोम का निर्माण होता है, यह एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम द्वारा बने पदार्थ गॉल्गी बॉडी द्वारा पैक किये जाते हैं।
koshika-kise-kahate-hain

एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम (Endoplasmic Reticulum)

यह भी कोशिकाद्रव्य में पाया जाने वाला दोहरी झिल्ली से घिरा कोशिकांग होता है। कोशिका में दो प्रकार के अंत:द्रव्यी जालिका (ER) पाये जाते हैं। जिन ई. आर. की सतह पर राइबोसोम के कण चिपके होते हैं, उनकी सतह खुरदुरी हो जाती है, इसलिए इसे खुरदुरी अंत:द्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum) और जिन ई. आर. में राइबोसोम के कण नहीं चिपके होते, इन्हें चिकनी अंत:द्रव्यी जालिका (Smooth endoplasmic reticulum) कहते हैं। खुरदुरी ई. आर. पर चिपके राइबोसोम पर प्रोटीन संश्लेषण का कार्य होता है। ई.आर. आवश्यक निर्मित पदार्थों को विभिन्न कोशिकांगों तक पहुँचाने का भी कार्य करते हैं।
koshika-kise-kahate-hain

प्लास्टिड (Plastid)

ये कोशिकांग मात्र पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं। ये भी दोहरी झिल्ली से घिरे कोशिकांग होते हैं, और माइटोकॉण्ड्रिा की तरह इनमें भी इनका अपना DNA पाया जाता है।
koshika-kise-kahate-hain
प्लास्टिड दो प्रकार के होते हैं-
  1. क्रोमोप्लास्ट
  2. ल्यूकोप्लास्ट
इनमें क्रोमोप्लास्ट रंगीन होते हैं, और ल्यूकोप्लास्ट रंगहीन। ल्यूकोप्लास्ट भोजन संग्रह का कार्य करते हैं। जिन प्लास्टिड में हरा रंग पाया जाता है, उन्हे क्लोरोप्लास्ट कहा जाता है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसके कारण ये हरे होते हैं। ये क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लाइसोसोम (Lysosome)

यह कोशिकांग एक झिल्ली से घिरा होता है। इसका मुख्य कार्य है पाचन। यह कोशिका के अपशिष्ट पदार्थों का भक्षण करके उसे कोशिका झिल्ली के बाहर भेजने का कार्य करते हैं। इसमें एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम द्वारा निर्मित पाचक एन्जाइम होते हैं, जो इस क्रिया को संपन्न करते हैं। लाइसोसोम को कोशिका की आत्महत्या की थैली (Suicidal bag) कहा जाता है, क्योंकि कई बार यह थैली फट जाती है, और इसके पाचक एन्जाइम कोशिकाद्रव्य में बाहर निकल आते हैं, और कोशिका के दूसरे कोशिकांगों का भक्षण करने लगते हैं, जिसके कारण पूरी कोशिका समाप्त हो जाती है। लाइसोसोम बाह्य रोगकारक आदि का भक्षण करके कोशिका की रक्षा करते हैं।
koshika-kise-kahate-hain

रिक्तिकाएँ (Vacuoles)

पादप कोशिकाओं में रसधानियों का आकार जंतु कोशिका की तुलना में अधिक होता है। इन रसधानियों में कोशिकाद्रव्य जैसा पदार्थ भरा रहता है, और ये कोशिकाओं को आकृति, स्फीति तथा कठोरता प्रदान करने का कार्य करते हैं। रसधानियों में खाद्य पदार्थों का संग्रह भी होता है। विभाज्योतकों में रसधानियों का पूर्णतः अभाव होता है, अन्यथा ये बहुत छोटे होते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवों में रसधानियाँ अलग-अलग कार्य संपन्न करती हैं।
koshika-kise-kahate-hain

राइबोसोम (Ribosome)

राइबोसोम अत्यंत सूक्ष्म कण की तरह होते हैं जो मात्र इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखे जा सकते हैं। राइबोसोम झिल्ली रहित संरचना होती है, यह यूकैरियोटिक तथा प्रोकैरियोटिक दोनों कोशिकाओं में पायी जाती है। राइबोजोम में RNA पाया जाता है। कोशिका के अंदर राइबोसोम कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र अवस्था में अथवा खुरदुरी एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की सतह पर चिपके हुए होते हैं। राइबोजोम प्रोटी संश्लेषण का कार्य करते हैं।
koshika-kise-kahate-hain
राइबोसोम दो प्रकार के होते हैं- 70s राइबोसोम छोटे होते हैं तथा जीवाणु एवं नील हरित शैवाल जैसे प्रोकैरियोटिक जीवों की कोशिकाओं में पाये जाते हैं जबकि 80 s राइबोसोम उन्नत जीवों की कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

कोशिका-नाभिक (केन्द्रक) (Nucleus)

यह गोलाकार या अंडाकार होता है तथा सामान्यतः कोशिका के मध्य भाग में एक रन्ध्रदार झिल्ली के भीतर बंद रहता है, जिसे केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) कहते हैं। केन्द्रक झिल्ली के अंदर केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) पाया जाता है जो कोशिका-द्रव्य से केन्द्रक झिल्ली द्वारा पृथक होता है। केन्द्रक कोशिका की समस्त जैविक क्रियाओं का नियमन करता है। सामान्यतः कोशिकाओं में एक ही केन्द्रक पाया जाता है किंतु कुछ जीवाणुओं तथा कवक कुछ प्रजातियो में एक से अधिक केन्द्रक भी पाये जाते हैं, इस प्रकार की कोशिकाएँ बहुकेन्द्रकी कोशिकाएँ (Syncytial) कहते हैं। कोशिका झिल्ली भी भॉति केन्द्रक झिल्ली भी दो परतों में होती है, जिनमें से प्रत्येक झिल्ली की चौड़ाई 75 एन्गेस्ट्राम होता है। केन्द्रक झिल्ली के दोनों पर्तों के बीच 150 एन्गेस्ट्राम चौड़ा परिकेन्द्रकीय अवकाश (Perinuclear space) होता है। इस केन्द्रक झिल्ली में स्थान-स्थान पर 50 से 150 एन्गेस्ट्राम त्रिज्या वाले छिद्र (Nuclear Pores) उपस्थित होते हैं जिसके कारण कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रक द्रव्य आपस में एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। केन्द्रक द्रव्य में डी एन ए, आर एन ए, प्रोटीन, एंजाइम, लिपिड तथा खनिज लवण आदि पाये जाते हैं।
koshika-kise-kahate-hain
DNA क्या है?
डीएनए का फुल फॉर्म “Dioxyribo Nucleic Acid” होता है। प्रत्येक जीव का शरीर असंख्य कोशिकाओं से मिलकर बना है। डीएनए जीवों की प्रत्येक कोशिका में मौजूद एक जैविक इकाई है। यह जीव के गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करता है। डीएनए जीवों की कोशिका के केंद्र में पाया जाता है। यह एक लंबा वर्तुल आकार सीढ़ी नुमा जैविक अणु है, जो सभी प्रकार के जीवों में जीवन के रूप में मौजूद है। यह जीवन के विकास, वृद्धि, प्रजनन कार्य के लिए जिम्मेदार होता है।
डीएनए क्रोमोजोम्स के रूप में हमारे शरीर में मौजूद रहता है, जिन में जेनेटिक्स की बेसिक यूनिट होती है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ट्रांसफर या स्थानांतरित होती है। जन्म से पूर्व बच्चा माता-पिता दोनों से डीएनए प्राप्त करता है। हम अपने माइटोकांड्रियल डीएनए केवल अपनी मां से प्राप्त करते हैं, अपने पिता से नहीं। माइट्रोकांड्रिया डीएनए सेल के नाभिक के बाहर स्थित होते हैं।
डीएनए के माध्यम से किसी व्यक्ति की आने वाली पीढ़ियों के बालों का रंग, आंखों का रंग पता किया जा सकता है। इसके साथ-साथ उसे भविष्य में कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती है, इसका भी पता चल जाता है। डीएनए पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता जाता है, इसलिए इसे अमर कहा गया है। यह किसी भी जीवधारी की व्यक्तिगत विशेषता है।

RNA क्या है?
आर.एन.ए (RNA) का पूरा नाम राइबो न्यूक्लिक एसिड (Ribo Nucleic Acid) है। यह अम्ल केवल कुछ विषाणु का ही अनुवांशिक पदार्थ होता है। हमारे शरीर में यह डीएनए (DNA) की सूचनाओं को डिकोड करने एवं उन सूचनाओं को आगे क्रियान्वित करने का कार्य करता है। इन सूचनाओं से ही हमारे शरीर में प्रोटीन का संश्लेषण होता है। इस अम्ल में राइबोज शर्करा एवं चार नाइट्रोजन युक्त क्षार होते हैं। यहां डीएनए के थायमीन क्षार की जगह यूरेसिल (U) नामक क्षार होता है, जबकि अन्य चार सामान होते हैं।
दोनों न्यूक्लिक अम्लों को हम जैविक अणु (Organic Molecules) की श्रेणी में रखते हैं। दूसरे जैविक अणु प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं विटामिन होते हैं।
आर.एन.ए (RNA) तीन प्रकार का होता है :
  • m-RNA (Massenger RNA) : यह अमीनो एसिड का निश्चित क्रम बनाता है।
  • t-RNA (Transfer RNA) : यह अमीनो एसिड को राइबोसोम तक पहुंचाने का कार्य करता है।
  • r-RNA (Ribosomal RNA) : यह राइबोसोम पर पाया जाता है। जो प्रोटीन के संश्लेषण में सहायक होता है।

केन्द्रिका (Nucleolus)

केन्द्रकद्रव्य में एक या एक से अधिक केन्द्रिका (Nucleolus) पायी जाती है। केन्द्रिका एक छोटी सी गोल रचना होती है।

गुणसूत्र (Chromosome)

केन्द्रकद्रव्य में उपस्थित सबसे महत्वपूर्ण संरचना है। गुणसूत्र का निर्माण कोशिका-विभाजन के पूर्व क्रोमेटिन तंतुओं के व्यवस्थित होकर छोटे तथा मोटे होने से होता है। ये क्रोमेटिन तंतु सामान्य स्थिति में लंबे, पतले अव्यवस्थित तरीके से केन्द्रक द्रव्य में बिखरकर जाल के रूप में होते हैं जिसे क्रोमेटिन रेटीकुलम (Chromatin reticulum) कहते हैं। गुणसूत्र न्यूक्लियोप्रोटीन (न्यूक्लिक अम्ल + क्षरीय प्रोटीन), तथा एन्जाइम एवं कुछ अकार्बनिक लवणों से मिलकर बने होते हैं। हिस्टोन गुणसूत्र में पाया जाने वाला मुख्य प्रोटीन है। गुणसूत्र उनके आकार एवं आकृति के आधार पर अनेक प्रकारों में बाँटा जाता है।
koshika-kise-kahate-hain

अंतःकोशिका द्रव्य (Intercellular Substance)

बहुकोशिकीय जीवों मे कोशिकाओं के बीच रिक्त स्थान पाया जाता है जिसे अंत:कोशिकीय स्थान (Intercellular space) कहा जाता है। इन अंत:कोशिकीय स्थानों में जो द्रव्य पाया जाता है, जिसे अंत:कोशिका द्रव्य कहा जाता है।
ऊतकों को जिस प्रकार का कार्य करना होता है, उसी के अनुरूप अंत:कोशिका द्रव्य बना रहता है। अंत:कोशिका द्रव्य में रेशेदार संरचना और सजातीय आधारभूत पदार्थों में विभिन्न प्रकार के अर्थात कुछ कम लोचदार, कुछ श्लेषी (Gelatinous) और लोचदार तंतु पाये जाते हैं। सभी प्रकार के कोशिका-द्रव्य और कोशिकाओं में उपापचय (Metabolism) होता है। कोशिकाओं की भाँति इन संरचनाओं का भी विकास, वर्धन, विघटन तथा पुनःनिर्माण होता है। इससे यह पता चलता है कि इनकी संरचनाएँ सजीव होती हैं तथा जीवित द्रव्य का अस्तित्व जिन बातों पर निर्भर करता है उनमें एक यह भी है।

कोशिका भित्ति (Cell Wall)

कोशिका भित्ती पादप एवं कुछ अन्य निम्न जीवों की कोशिकाओं का अजैविक भाग है जो कोशिकाझिल्ली के बाहर उपस्थित रहता है तथा इन कोशिकाओं की सुरक्षा करता है तथा इन्हें मजबूती प्रदान करता है। पादपों की कोशिका भित्ती सेल्युलोज की बनी होती है जो कि एक प्रकार की जटिल शर्करा होती है।
koshika
पादपों की कोशिका भित्ती तीन पर्तो की बनी होती है-
  1. प्राथमिक भित्ती (Primary Cell Wall) (सबसे आंतरिक पर्त)
  2. द्वितीयक भित्ती (Secondary Cell Wall) (मध्य पर्त)
  3. तृतीयक भित्ती (Tertiary Cell Wall) (बाह्यतम पर्त)।
कोशिकाभित्ती में अन्य पदार्थों जैसे क्यूटीन (कोशिकाभित्ती को जल के लिए अपारगम्य बनाता है) पैक्टीन (कोशिकाभित्ती को घुलनशील बनाता है),
लिग्निन (यांत्रिक दृढता प्रदान करता है) सुबेरिन (कोशिकाभित्ती को जल के लिए अपारगम्य बनाता है) आदि का जमाव होने पर कोशिकाभित्ती के भौतिक गुणों में परिवर्तन आ जाता है। कोशिकाभित्ती पर उपस्थित छिद्रों को प्लाज्मोडेस्मेटा (Plasmodesmata) कहा जाता है।
कवक की कोशिकाओं में भी कोशिकाभित्ती पायी जाती है, किन्तु यह सेल्युलोज की नहीं बल्कि काइटिन की बनी होती है, इसका भी कार्य पादप कोशिका की कोशिका भित्ती की तरह कोशिकाओं को सुरक्षा एवं मजबूती प्रदान करना है। इसी प्रकार कुछ सूक्ष्म जीवों में भी कोशिका झिल्ली के ऊपर प्रोटीन की एक पर्त पायी जाती है जिसे पेलिकल कहा जाता है।

जंतु कोशिका तथा पादप कोशिका में अंतर

जंतु कोशिका (Animal Cell) पादप कोशिका (Plant Cell)
1. कोशिका भित्ती अनुपस्थित सेल्युलोज की बनी कोशिका भित्ती उपस्थित
2. तारककाय उपस्थित तारककाय अनुपस्थित
3. रसधानियाँ अत्यधिक छोटी अथवा अनुपस्थित बड़ी रसधानियाँ उपस्थित
4. प्लास्टिड अनुपस्थित प्लास्टिड उपस्थित
5. प्रकाश संश्लेषण में असमर्थ प्रकाश संश्लेषण में समर्थ

कोशिका विभाजन

पुरानी कोशिका का विभाजित होकर नयी कोशिकाओं का निर्माण करना कोशिका विभाजन कहलाता है। कोशिका विभाजन को सर्वप्रथम 1955 ई. में विरचाऊ ने देखा था मृत, क्षतिग्रस्त या पुरानी कोशिकाओं को बदलने जैसे अनेक कारणों से कोशिका का विभाजन होता है, ताकि जीवित जीव वृद्धि कर सके। जीवों की वृद्धि कोशिका के आकार के बढ़ने से नहीं बल्कि कोशिका विभाजन द्वारा और अधिक कोशिकाओं के जनन से होती है। मानव शरीर में प्रतिदिन लगभग दो ट्रिलियन कोशिकाओं का विभाजन होता है। कोशिका विभाजन में विभाजित होने वाली कोशिका को जनक कोशिका (Parent cell ) कहा जाता है। जनक कोशिका अनेक संतति कोशिकाओं (Daughter cells) में विभाजित हो जाती है और इस प्रक्रिया को ‘कोशिका चक्र’ कहा जाता है।
कोशिकाओं का विभाजन तीन तरीकों से होता है।
  1. असूत्री (Amitosis )
  2. समसूत्री (Mitosis)
  3. अर्द्धसूत्री (Meiosis)

असूत्री विभाजन
यह विभाजन जीवाणु,नील हरित शैवाल, यीस्ट, अमीबा, और प्रोटोज़ोआ जैसी अविकसित कोशिकाओं में होता है। इसमें सबसे पहले कोशिका का केंद्रक विभाजित होता और उसके बाद कोशिका द्रव्य का विभाजन होता है और अंततः दो नयी संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है। 

समसूत्री विभाजन
इस कोशिका विभाजन को ‘कायिक कोशिका विभाजन’ (Somatic cell division) भी कहा जाता है क्योंकि यह विभाजन कायिक कोशिकाओं में होता है और दो एकसमान कोशिकाओं का निर्माण होता है। समसूत्री विभाजन में हालाँकि कोशिका का विभाजन होता है लेकिन गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है। जन्तु कोशिकाओं में समसूत्री विभाजन को सबसे पहले वाल्थर फ्लेमिंग ने 1879 ई. में देखा था और उन्होनें ने ही इसे ‘समसूत्री (Mitosis)’ नाम दिया था।
समसूत्री विभाजन एक सतत प्रक्रिया है जिसे निम्नलिखित पाँच चरणों में बाँटा जाता है:
  1. प्रोफेज (Prophase): समसूत्री विभाजन का प्रथम चरण
  2. मेटाफेज (Metaphase): समसूत्री विभाजन का द्वितीय चरण
  3. एनाफेज(Anaphase): समसूत्री विभाजन का तृतीय चरण
  4. टीलोफेज (Telophase): समसूत्री विभाजन का चतुर्थ चरण
  5. साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis): समसूत्री विभाजन का चौथा चरण

अर्द्धसूत्री विभाजन
यह विशेष प्रकार का कोशिका विभाजन है, जो जीवों की जनन कोशिकाओं  में होता है और इस प्रकार युग्मक (Gametes) (यौन कोशिकाएं) बनते हैं। इसमें क्रमिक रूप से दो कोशिका विभाजन होते हैं, जो समसूत्री के समान ही होते हैं लेकिन इसमें गुणसूत्र की प्रतिलिपि सिर्फ एक बार ही बनती है। इसलिए, आमतौर पर युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या कायिक  कोशिकाओँ की तुलना में आधी होती है।
इसके दो उप-चरण होते हैं– अर्द्धसूत्री विभाजन-I और अर्द्धसूत्री विभाजन-II
  1. अर्द्धसूत्री विभाजन-I: इसे चार उप-चरणों में बांटा जा सकता हैः प्रोफेज-I, मेटाफेज-I, एनाफेज-I और टीलोफेज-I
  2. अर्द्धसूत्री विभाजन-II: इसे भी चार उप-चरणों में बांटा जा सकता हैः प्रोफेज-II, मेटाफेज-II, एनाफेज-II और टीलोफेज-II

परीक्षा उपयोगी मुख्य तथ्य
  • कोशिकाओं का अध्ययन जीव विज्ञान की जिस शाखा के अंतर्गत किया जाता है, उसे कोशिका विज्ञान (Cytology) कहा जाता है।
  • जीवन की संरचनात्मक (Structural) एवं क्रियात्मक (Functional) इकाई कोशिका (Cell) कहलाती है।
  • कोशिका की खोज राबर्ट हुक ने की थी इन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से सर्वप्रथम कार्क की मृत कोशिका को देखा था।
  • जीवित कोशिका को सर्वप्रथम देखने का श्रेय एन्टोनीवॉन ल्यूवेनहॉक को कहा जाता है।
  • शुतुरमुर्ग का अंडा अभी तक की ज्ञात सबसे बड़ी कोशिका है।
  • कोशिका झिल्ली के अंदर घिरा पदार्थ जीवद्रव्य (Protoplasm) कहलाता है। यह जीवन का भौतिक आधार (Physical basis of life) होता है।
  • कोशिका द्रव्य में माइटोकॉण्ड्रिया, गॉल्गीबॉडी, एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम प्लास्टिड दोहरी झिलली से घिरी संरचाएँ होती हैं, इनके अतिरिक्त कोशिकाद्रव्य में रिक्तिकाएँ, लाइसोसोम, आदि पाये जाते हैं।
  • केन्द्रक द्रव्य में केन्द्रिका, गुणसूत्र, तारककाय आदि पाये जाते हैं।
  • माइटोकॉण्डिया एवं प्लास्टिड के पास अपना डीएनए आरएनए होता है।
  • जंतु कोशिका में प्लास्टिड (Plastid) एवं कोशिका भित्ती को छोड़कर पादप के अन्य सभी कोशिकांग पाये जाते हैं।
  • बहुकोशिकीय जीवों में दो कोशिकाओं के बीच का अवकाष्ठा अंतर्कोष्ठिाकीय अवकाष्ठा (Intercellular space) कहलाता है।
  • जटिलता के आधार पर कोशिका दो प्रकार के होते हैं- आदिम प्रकार को कोशिका प्राकैरियोटिक कोशिका होती है उन्न्त प्रकार की कोशिका यूकैरियोटिक कोशिका होती है।
  • प्रोटीन तथा लिपिड की बनी कोशिका झिल्ली चयनात्मक पारगम्य (selective permiable) होती है।
  • माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा गृह (Power house) कहा जाता है, क्योंकि ग्रहण किये हुए भोजन का यहीं ऑक्सीकरण होता है जिसके फलस्वरूप ATP के रूप में ऊर्जा मुक्त होती है।
  • गॉल्गीबॉडी का मुख्य कार्य वसा का संचय करना है? यह एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम द्वारा बने पदार्थ गॉल्गी बॉडी द्वारा पैक किये जाते हैं। इनमें राइबोसोम का निर्माण होता है।
  • एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम कोशिका का कंकाल तंत्र कहलाता है क्योंकि यह कोशिका का ढाँचा बनाता है तथा कोशिका को मजबूती प्रदान करता है।
  • कोशिका में दो प्रकार के अंत:व्यी जालिका (ER) पाये जाते हैं (1) खुरदुरे (सतह पर राइबोसोम चिपके हुए) और (2) चिकने(सतह पर राइबोसोम अनुपस्थित) राइबोसोम में प्रोटीन संश्लेषण की सूचनाएँ होती हैं।
  • राइबोसोम को कोशिका का प्रोटीन संश्लेषण का प्लेटफार्म (Plateform of Protein Synthesis) कहते हैं।
  • लाइसोसोम का मुख्य कार्य है पाचन, यह कोशिका के अपशिष्ट पदार्थो का भक्षण करके उसे कोशिका झिल्ली के बाहर भेजने का कार्य करते हैं,
  • लाइसोसोम को कोशिका की आत्महत्या की थैली (Suicidal bag of the cell) कहा जाता है।
  • पादप कोशिकाओं में रसधानियों का आकार जंतु कोशिका की तुलना में बड़ा होता है।
  • प्लास्टिड दो प्रकार के होते हैं- (1) क्रोमोप्लास्ट और (2) ल्यूकोप्लास्ट, क्रोमोप्लास्ट रंगीन होते हैं, और ल्यूकोप्लास्ट रंगहीन।
  • लाइकोपीन टमाटर को लाल रंग प्रदान करता है इसी प्रकार जैन्थोसाइनीन बैंगन को बैंगनी रंग प्रदान करता है, आदि।
  • ल्यूकोप्लास्ट भोजन संग्रह का कार्य करते हैं।
  • जिन प्लास्टिड में हरा रंग पाया जाता है, उन्हे क्लोरोप्लास्ट कहा जाता है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसके कारण ये हरे होते हैं और प्रकाशसंश्लेषण में सहायता करते हैं।
  • केन्द्रक गोलाकार या अंडाकार होता है तथा सामान्यतः कोशिका के मध्य भाग में एक रन्ध्रदार झिल्ली के भीतर बंद रहता है, जो इसे कोशिका-द्रव्य से पष्टथक होती है।
  • हर एक नाभिक के एक या दो अनुनाभिक (Nucleoli) होते हैं जिनमें न्यूक्लाइक अम्लों का संश्लेषण होता है।
  • क्रोमोजोम प्रोटीन और डीऑक्सीन्यूक्लाइक अम्ल का बना होता है। आनुवांष्ठिाक गुणों का संप्रेषण क्रोमोजोम पर निर्भर करता है।
कोशिका सिद्धान्त किसने दिया – Koshika siddhant kisne diya tha
कोशिका सिद्धान्त स्लाइडेन और श्वान नामक दो वैज्ञानिकों ने दिया था।

कोशिका सिद्धान्त क्या है – Koshika siddhant kya hai
Cell theory in hindi : वैज्ञानिक स्लाइडेन और श्वान ने कोशिका सिद्धान्त की पुष्टि करते हुए कहा कि ‘‘इस सिद्धान्त के अनुसार हमारा पूरा मानव शरीर कोशिका का बना हुआ है अतः यह शरीर की सबसे छोटी इकाई है।’’, इसे ही कोशिका सिद्धान्त(Cell Theory) कहा जाता है।

FAQ :

कोशिकाओं का अध्ययन क्या कहलाता है?
कोशिका विज्ञान (Cytology).

कोशिका की खोज किसने की थी?
कोशिका की खोज राबर्ट हुक ने की थी.

सबसे बड़ी कोशिका किसकी होती है?
शुतुरमुर्ग का अंडा अभी तक की ज्ञात सबसे बड़ी कोशिका है.

कोशिका का ऊर्जा घर किसे कहते हैं?
माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का ऊर्जा गृह (Power house) कहा जाता है.

कोशिका झिल्ली के अंदर घिरा पदार्थ क्या  कहलाता है?
कोशिका झिल्ली के अंदर घिरा पदार्थ जीवद्रव्य (Protoplasm) कहलाता है.

6 Comments

Newer Older