उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियाँ | uttar pradesh ki pramukh nadiya

उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियाँ

उत्तर प्रदेश की सबसे प्रमुख नदियां गंगा एवं यमुना हैं जिनका प्रवाह उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में विन्ध्य श्रेणियों द्वारा निर्धारित है। उत्तर प्रदेश में हिमालय से निकलकर आने वाली नदियां प्रायः लगभग वर्ष भर पानी से भरी रहती हैं जबकि विन्ध्य श्रेणियों से निकलने वाली नदियां ग्रीष्म ऋतु में अक्सर सूख जाती हैं। इसका कारण यह है कि हिमालय से निकलने वाली नदियों में बर्फ पिघलने से गर्मियों में भी पानी कम नहीं होता और साथ ही यह भी कारण है कि हिमालय क्षेत्र में विन्ध्य क्षेत्र की तुलना में अधिक वर्षा होती है।
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प्रदेश की महत्त्वपूर्ण नदियों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

उ. प्र. की प्रमुख नदियां

उ. प्र. की प्रमुख नदियां उनके उद्गम

हिमालय से उद्गमित

गंगा, यमुना, शारदा (काली), रामगंगा, घाघरा (करनाली), राप्ती, गंडक, रोहिणी आदि।

मैदानी क्षेत्र से उद्गमित

गोमती, वरुणा, सई, पाण्डो, ईसन आदि।

दक्षिणी पठारी क्षेत्र से उद्गमित

चंबल, बेतवा, केन, सोन, रिहंद, टोंस, कन्हार आदि।


गंगा नदी

उत्तर प्रदेश की सबसे लंबी नदी गंगा का उद्गम मूलतः भागीरथी के रूप में उत्तराखंड के केदारनाथ के निकट स्थित गंगोत्री हिमनद के गोमुख नामक स्थान से (पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में स्थित) होता है। हिंदुओं की पवित्र एवं धार्मिक नदी गंगा के अन्य प्रमुख नाम जाह्नवी, सुरसरि, देवनदी, पद्मा आदि हैं। उत्तराखंड के चमोली स्थित सतोपंथ शिखर हिमनद एवं ताल से निकलने वाली अलकनंदा नदी देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है और इन दोनों की संयुक्त नदी गंगा नाम से प्रवाहित होती है। इससे पूर्व अलकनंदा में विष्ण गंगा एवं धौली (विष्णु प्रयाग में), पिंडार (कर्णप्रयाग में), मंदाकिनी (रुद्रप्रयाग में) तथा नंदका (नंदप्रयाग में) नदियां मिलती हैं। शिवालिक श्रेणी को काटते हुए गंगा ऋषिकेश होकर हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है और इसकी दिशा दक्षिण से दक्षिण-पूर्व की ओर परिवर्तित होने लगती है। उत्तर प्रदेश में गंगा नदी बिजनौर जिले से प्रवेश करती है। उत्तर प्रदेश में प्रवाह के दौरान गंगा में बायीं ओर से (उत्तरी किनारे से) सहायक नदियां रामगंगा (कन्नौज में), गोमती (कैथी-गाजीपुर में), घाघरा (छपरा के निकट), गंडक, कोसी महानंदा, बागमती आदि तथा दायीं ओर से (दक्षिणी किनारे से) सहायक नदियां यमुना (इलाहाबाद में), टोंस या तमसा (सिरसा के पास), सोन, पुनपुन,चंदप्रभा, कर्मनाशा आदि मिलती हैं। यमुना नदी और पौराणिक सरस्वती नदी का गंगा से संगम प्रयाग (इलाहाबाद) में होता है। उत्तर प्रदेश के पश्चात गंगा नदी बिहार एवं पश्चिम बंगाल से होते हुए बांग्लादेश में पद्मा नाम से प्रवेश करती है और मेघना नदी से मिलने के पश्चात बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। गंगा नदी की कुल लंबाई 2,525 किमी. है। उत्तर प्रदेश के गंगा नदी के किनारे स्थित प्रमुख शहर हैंवाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, कन्नौज, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, अलीगढ़, मेरठ, गाजियाबाद आदि। वाराणसी गंगा नदी के बाएं तट पर तथा कानपुर दाहिने तट पर स्थित है।

यमुना नदी

यह उत्तर प्रदेश की दूसरी (और गंगा नदी क्रम की पहली) सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी है, जिसका उद्गम उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित यमुनोत्री हिमनद (निचले हिमालय क्षेत्र में बंदरपूंछ चोटी के दक्षिण-पश्चिमी ढाल पर स्थित) से होता है। मैदानी क्षेत्र में आने से पूर्व यमुना में टोंस, गिरी और आसन नदियां आकर मिलती हैं। उत्तर प्रदेश में यह सहारनपुर जिले के फैजाबाद नामक स्थान पर प्रवेश करती है। उत्तर प्रदेश में प्रवाह के दौरान यमुना नदी से बायीं ओर से हिंडन नदी (नोएडा के निकट), ससुर खदेरी नदी (फतेहपुर के निकट) आदि तथा दाहिनी ओर से चंबल (औरैया में), बेतवा (हमीरपुर के निकट), केन (बांदा के निकट), सिंध (जालौन में) आदि नदियां मिलती हैं तथा अंततः यमुना इलाहाबाद में गंगा में मिल जाती है। यमुना नदी की कुल लंबाई 1376 किमी. है। उत्तर प्रदेश में वृहत चाप का निर्माण करने वाली यमुना नदी के किनारे स्थित प्रमुख शहर हैं- आगरा, मथुरा, इटावा, काल्पी, हमीरपुर आदि।

रामगंगा नदी

इस नदी का उद्गम उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल (कुमाऊं हिमालय क्षेत्र) के दूधातोली पर्वत के जलागम क्षेत्र से होता है। रामगंगा बिजनौर जिले में कालागढ़ किले के निकट मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। कोह इसकी मुख्य सहायक नदी है। रामगंगा नदी (कुल लंबाई-690 किमी.) उत्तर प्रदेश के बिजनौर के बाद मुरादाबाद, बरेली, बदायूं, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर एवं हरदोई आदि जिलों से गुजरने के बाद कन्नौज में गंगा नदी में मिलती है।

शारदा नदी

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के कालापानी से निकलने वाली काली नदी तथा मिलाम हिमनद से उद्गमित गौरीगंगा जौलजीवी में मिलने के पश्चात शारदा नदी का रूप लेती है। यह नदी उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिले में प्रवेश करती है तथा नेपाल एवं पीलीभीत की सीमा निर्धारित करती है। सर्पिलाकार मार्ग से प्रवाहित होने वाली शारदा नदी की मुख्य सहायक नदियां पूर्वी रामगंगा, सरयू, धर्मा, चौकिया, लिसार आदि हैं। शारदा नदी सीतापुर के बहरामघाट के समीप घाघरा नदी में मिल जाती है। शारदा नदी की कुल लंबाई 160 किमी. है।

घाघरा नदी

यह नदी तिब्बती पठार स्थित मापचाचुंगो हिमनद से उद्गमित होती है। पर्वतीय क्षेत्रों में यह 'करनाली' नाम से जानी जाती है। इसकी पूर्वी शाखा का नाम 'शिखा' है जो पुनः मूल नदी में मिल जाती है। उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते हुए घाघरा नदी खीरी और बहराइच जिलों की सीमा बनाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां शारदा, राप्ती, छोटी गंडक, सेटी, टीला, बेरी आदि हैं। घाघरा नदी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर छपरा के निकट गंगा में मिलती है। घाघरा नदी की कुल लंबाई 1080 किमी. है।

राप्ती नदी

इस नदी का उद्गम लघु हिमालय क्षेत्र (धौलागिरि) के दक्षिण में नेपाल के रुकुमकोट के निकट है। राप्ती की एक उत्तरी मुख्य शाखा 'बूढ़ी गंडक' कहलाती है। राप्ती नदी उत्तर प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, गोंडा, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर एवं गोरखपुर से होकर प्रवाहित होने के पश्चात देवरिया में घाघरा नदी में मिलती है। इस नदी की कुल लंबाई 640 किमी. है। रोहिणी, इसकी मुख्य सहायक नदी है जो गोरखपुर में बायीं तरफ से राप्ती से मिलती है।

चंबल नदी

चंबल नदी मध्य प्रदेश में इंदौर के निकट जनापाव पहाड़ी (महू के पास) से उद्गमित होती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर प्रवाहित होकर यह नदी उत्तर प्रदेश में आगरा और इटावा की सीमा पर बहते हुए इटावा से लगभग 40 किमी. दूर औरैया में यमुना से मिल जाती है। चंबल नदी की कुल लंबाई 1050 किमी. चंबल की मुख्य सहायक नदियां काली सिंध, पार्वती, बनास, सिप्ता आदि हैं। अपनी अनियमित जलधारा के कारण चंबल द्वारा अपने तटवर्ती क्षेत्रों में गहन अवनालिकाओं का निर्माण किया गया है जो 'बीहड़ क्षेत्र' कहलाते हैं।

बेतवा नदी

यह नदी (संस्कृत नाम- 'वेत्रवती') मध्य प्रदेश के भोपाल के दक्षिण-पश्चिम में कुमरा गांव, रायसेन (विन्ध्य श्रेणी) से उद्गमित होती है। उत्तर प्रदेश में यह ललितपुर, झांसी, औरैया एवं जालौन से बहते हुए हमीरपुर के समीप यमुना नदी में मिलती है। बेतवा नदी की कुल लंबाई 480 किमी. है।

गोमती नदी

इस नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के ही पीलीभीत जिले की फुल्हर झील से होता है। इसकी मुख्य सहायक नदी सई है। यह नदी प्रदेश के शाहजहांपुर, खीरी, सीतापुर, लखनऊ, सुल्तानपुर एवं जौनपुर जिलों में प्रवाहित होकर गाजीपुर के समीप कैथी में गंगा में मिलती है। इस नदी की कुल लंबाई 940 किमी. है। ध्यातव्य है कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ गोमती के किनारे ही अवस्थित है।

गंडक नदी

नेपाल में उद्गमित यह नदी शालिग्राम पत्थरों को अपने साथ बहाकर लाने के कारण 'शालिग्रामी' कहलाती है। इसका एक नाम 'नारायणी' भी है। काली एवं त्रिशूल गंगा इसकी दो मुख्य सहायक नदियां हैं। यह नदी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर एवं महराजगंज जिलों की सीमा पर बहने के पश्चात् पटना के पास गंगा में मिलती है। गंडक नदी की कुल लंबाई-425 किमी. है।

सोन नदी

सोन नदी (स्वर्ण नदी नाम से भी। अभिहित) मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ियों में स्थित शोषाकुंड से उद्गमित होती है। इस नदी की मुख्य सहायक नदियां गोपद, रिहंद एवं कुनहद हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर एवं सोनभद्र जिलों से होकर प्रवाहित होने के बाद यह पटना के निकट गंगा में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 780 किमी. है।

टोंस नदी

टोंस या तमसा नदी मध्य प्रदेश में मैहर के समीप तमसाकुंड से उद्गमित होती है। यह नदी उत्तराखंड की बंदरपूंछ पहाड़ी से उद्गमित होने वाली टोंस (जो कि यमुना की सहायक है) से पृथक है। इसकी मुख्य सहायक नदी बेलन है। तमसा नदी इलाहाबाद के निकट सिरसा के पास गंगा में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 265 किमी. है।

केन नदी

यह नदी (संस्कृत नाम- 'कर्णवती') कैमूर पहाड़ियों के उत्तरी ढाल से उद्गमित होती है जो कि बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए बांदा में भोजहा के पास यमुना में मिलती है। केन नदी की कुल लंबाई 308 किमी. है।

काली सिंध नदी

काली सिंध या सिंध नदी राजस्थान के नैनवास (टौंक जिला) से उद्गमित होती है और उत्तर प्रदेश के जालौन में यमुना में मिलती है। इस नदी की कुल लंबाई 416 किमी. है।

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