ऊष्मागतिकी के नियम (Laws of Thermodynamics)
ऊष्मागतिकी के दूसरे नियम के अनुसार, प्रत्येक ऊर्जा रूपांतरण के दौरान उपयोगी ऊर्जा की कुछ मात्रा अनुपयोगी अपशिष्ट के रूप में निम्नीकृत हो जाती है।
जीवों की कोशिकाओं को लगातार ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो मुख्यतः एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट के रूप में उपलब्ध होती है और उसी दौरान कुछ ऊर्जा अनुपयोगी ऊष्मा में बदल जाती है। चूँकि ऊष्मा ऊर्जा से कोई उपयोगी कार्य नहीं हो सकते इसलिये इस अवश्यंभावी ऊर्जा हानि की क्षतिपूर्ति के लिये जैविक तंत्र को बाहर से ऊर्जा की आपूर्ति करना आवश्यक होता है।
- यदि विश्व के समस्त लोग शाकाहारी हो जाएँ तो शैवाल अनेक खाद्य शृंखलाओं से गायब हो जाएंगे जिससे खाद्य जाल विकृत हो जाएगा और पारिस्थितिक संकट उत्पन्न हो जाएगा।