प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर (Difference between Prokaryotic and Eukaryotic Cells)

प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिका में अंतर

प्रौकरियोटिक कोशिका यूकैरियोटिक कोशिका
ये कोशिकाएँ अर्धविकसित होती हैं। ये अधिक विकसित होती हैं।
इनमें वास्तविक केन्द्रक नहीं होता है। इनमें वास्तविक केन्द्रक होता है।
इनमें विकसित माइटोकॉण्ड्रिया, लवक विकसित तथा न्यूक्लियोल्स नहीं होते हैं। इनमें माइटोकॉण्ड्रिया, लवक तथा न्यूक्लियोल्स होते हैं।
राइबोसोम 70S अवसाद गुणांक के होते हैं। राइबोसोम 80S अवसाद गुणांक के होते हैं।
ये प्रायः जीवाणु और नील-हरित शैवालों में पाये जाते हैं। ये सभी जन्तुओं और पौधों में पाये जाते हैं।
इनमें कोशिका भित्ति प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट की बनी होती है। इनमें कोशिकाभित्ति सैल्यूलोज की बनी होती है।
इनमें इण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम् अनुपस्थित होता है। इनमें इण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम् उपस्थित होता है।
गॉल्जीकॉय, केन्द्रक झिल्ली, लाइसोसोम, केन्द्रिका तथा सेण्ट्रियोल अनुपस्थित होते हैं। गॉल्जीकॉय, केन्द्रक झिल्ली, लाइसोसोम केन्द्रिका तथा सेन्ट्रियोल उपस्थित होते हैं।
कोशिका विभाजन अर्द्धसूत्री प्रकार का होता है। कोशिका विभाजन अर्द्धसूत्री या समसूत्री प्रकार का होता है।
प्रकाश संश्लेषण थायलेकाइड में होता है। प्रकाश संश्लेषण क्लोरोप्लास्ट में होता है।
लिंग प्रजनन नहीं पाया जाता है। लिंग प्रजनन पाया जाता है।
DNA एकल सूत्र के रूप में होते हैं। DNA पूर्ण विकसित एवं दोहरे सूत्र के रूप में होते हैं।
  • संसार में सभी जीव छोटे से अमीबा से लेकर बड़ा हाथी तक छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर ही बनते हैं। कोशिका जीवनधारियों की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है।
  • यह अर्द्धपारगम्य झिल्ली से ढकी रहती है और इसमें स्वतः जनन की क्षमता होती है।
  • कोशिका की खोज 1665 ई० में एक अंग्रेज वनस्पतिशास्त्री रॉबर्ट हुक ने की थी। राबर्ट हुक का अध्ययन उनकी पुस्तक 'माइक्रोग्राफिया' में प्रकाशित हुआ।
  • 1938 ई० में वनस्पति शास्त्री श्लाइडेन और जन्तु वैज्ञानिक श्वान ने कोशिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया।

कोशिका विज्ञान की महत्त्वपूर्ण खोज
  • उन्नीसवीं सदी का अंतिम चौथाई काल कोशिका विज्ञान का क्लासिकल काल कहा जाता है, क्योंकि इसी समय कोशिका विज्ञान के क्षेत्र में बहुत-सी महत्त्वपूर्ण खोजें हुई।
  • 1833 ई० में राबर्ट ब्राउन ने केन्द्रक की खोज की।
  • जीवद्रव्य सिद्धान्त शुल्ज ने दिया।
  • गोल्जी बॉडी उपकरण 1867 ई० में जॉर्ज ने खोजा।
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कोशिका दो प्रकार की होती है

  1. प्रोकैरियोटिक (Procaryotic)
  2. यूकैरियोटिक (Euocaryotic)

प्रोकेरियोटिक कोशिका : इन कोशिकाओं में हिस्टोन प्रोटीन नहीं होता है जिसके कारण क्रोमैटिन नहीं बन पाता है। केवल DNA का सूत्र ही गुणसूत्र के रूप में पड़ा रहता है, अन्य कोई आवरण इसे घेरे नहीं रहता है।
अतः केन्द्रक नाम की कोई विकसित कोशिकांग इसमें नहीं होता है। जीवाणुओं एवं नील हरित शैवालों में ऐसी ही कोशिकाएँ मिलती हैं।

यूकैरियोटिक कोशिका : इन कोशिकाओं में दोहरी झिल्ली के आवरण, केन्द्रक आवरण से घिरा सुस्पष्ट केन्द्रक पाया जाता है, जिसमें DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन के संयुक्त होने से बनी क्रोमैटिन तथा इसके अलावा केन्द्रिका (Nucleolus) होते हैं।

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  • केन्द्रिका, जो कि केन्द्रक के भीतर का संघनित भाग होता है, की खोज मीशर ने 1871 ई० में की।
  • 876 ई० में हर्टविंग तथा 1877 ई० में फोल ने पता लगाया कि जीव के अण्डाणु के निषेचन के समय एक शुक्राणु एक अण्डाणु से संयोजित होता है।
  • 1880 ई० में फ्लेमिंग ने क्रोमोटिन का पता लगाया और कोशिका विभाजन के बारे में बताया।
  • 1888 ई० में वाल्डेयर ने इसे क्रोमोजोम नाम दिया।
  • 1892 ई० में वीजमैन ने सोमैटोप्लाज्म तथा जर्मप्लाज्म के बीच विभेद किया।

कोशिका के मुख्य भाग


कोशिका भित्ति
  • जीवद्रव्य कला तथा कोशिका अंगों की सुरक्षा के लिए अजीवित पदार्थों की कोशिका भित्ति बनी होती है।
  • जन्तु कोशिका में यह अनुपस्थित होती है।
  • जीवाणु की कोशिका भित्ति पेण्टिडोगलकेन की बना होता है।
  • कोशिका भित्ति सेल्युलोज की बनी होती है।
  • यह पारगम्य होती है।

जीवद्रव्य कला
  • यह अर्ध पारगम्य झिल्ली है एवं इसकी मोटाई 25°A- 75°A तक होती है।
  • जीवद्रव्य कला का मुख्य कार्य विसरण या जल की परासरण क्रिया पर नियंत्रण, ATP बनाने के लिए माध्यम का कार्य, तथा इलेक्ट्रॉन के आवागमन हेतु माध्यम का कार्य करती है।

माइटोकॉण्ड्रिया
  • यह अण्डाकार होता है। इसे 'कोशिका का शक्ति केन्द्र' कहा जाता है।
  • माइटोकॉण्ड्रिया में बहुत से श्वसनीय एन्जाइम रहते हैं, जिनकी सहायता से ATP बनते हैं।
  • यह कोशिका का श्वसन स्थल है।

अन्तःद्रव्यी जाल
  • यह कोशिका के अन्त:कंकाल के रूप में कार्य करता है।
  • प्रोटीन संश्लेषण करने वाले राइबोसोम इसी पर जमे रहते हैं।

गोल्जीकाय
  • इसे डिक्टियोसोम भी कहते हैं।
  • इसका मुख्य कार्य कोशिका भित्ति और कोशिका प्लेट (Cell plate) का निर्माण करना है।

लाइसोसोम
  • इसे सी० डी० डुवे ने 1955 ई० में खोजा था।
  • इसे 'आत्महत्या की थैली' भी कहते हैं।
  • इसका कार्य कोशिकाओं के अन्दर अनावश्यक पदार्थों का विघटन करना है।
  • इसमें 24 प्रकार के एन्जाइम पाए जाते हैं।
  • स्तनधारियों के लाल रक्त कणिका में लाइसोसोम नहीं पाया जाता है।

केन्द्रक
  • केन्द्रक कोशिका का मुख्य भाग होता है।
  • केन्द्रक में डी० एन०ए० तथा आर०एन०ए० और गुणसूत्र पाये जाते हैं। इसलिए केन्द्रक का आनुवंशिकी में महत्त्वपूर्ण स्थान है।

डी.एन.ए. (DNA)
  • 1953 ई० में वाटसन एवं क्रिक ने डी० एन० ए० का डबल हेलिक्स मॉडल बनाया और इस काम के लिए उन्हें 1962 ई० में नोबेल पुरस्कार दिया गया।
  • डी०एन०ए० सभी आनुवंशिकी क्रियाओं को संचालित करता है। यह प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है।
  • डी०एन०ए० मुख्यतः केन्द्रक में पाया जाता है।

आर.एन.ए. (RNA)
  • यह एक न्यूक्लिक अम्ल है, जिसमें राइबोज शर्करा पायी जाती है।
  • नाइट्रोजन क्षार में थायमिन के स्थान पर यूरेसिल होता है।
ये तीन प्रकार के होते हैं-
  1. r-RNA : यह राइबोसोम के निर्माण में सहायक होता है।
  2. m-RNA : यह DNA के आदेश पर एमिनो अम्ल का निश्चित क्रम बनाता है।
  3. t-RNA : यह प्रोटीन संश्लेषण में विभिन्न प्रकार के अमीनों अम्ल को राइबोजोम तक पहुँचाता है।

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