प्रकाश (sunlight ) -
प्रथ्वी
पर अवस्थित प्रायः सभी जीवो के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य ही
उर्जा का अंतिम स्त्रोत है सौर स्पेक्ट्रम , द्रश्य , प्रकाश एवं लम्बी तथा
सूक्ष्म तरंग विकिरण से निर्मित होता है सूक्ष्म तरंग विकिरण में कोस्मिक किरणें ,
एक्स किरणें तथा पराबैगनी किरणें पायी जाती है जिनका तरंगदैर्ध्य 400nm से कम होता है |
प्रकाशीय स्पेक्ट्रम के द्रश्य स्पेक्ट्रम , जिनका अंतरधेर्य 400 - 700 नैनोमीटर होता है | वे प्रकाशसंश्लेषि सक्रिय विकिरण कहलाते है साथ ही अवरक्त
तरंगदैर्ध्य 740 nm से ज्यादा होती
है | समतापमंडल में स्थित ओजोन द्वारा पराबैगनी तरंगदैर्ध्य विकिरण (तरंगधेर्य
लम्बाई 100 nm से 400 nm ) का तेजी से
अवशोषण हो जाता है इस कारण पराबैगनी विकिरण का सिर्फ अल्प भाग ही
प्रथ्वी तल तक पहुचता है तरंगदैर्ध्य के आधार पर विकिरण तीन प्रकार के होते
है |
1. Uv - c (100 to 280nm)
2. Uv - b (280 to 320nm)
3. Uv - a (320 to 400nm)
इन तीनो में uv – c विकिरण घातक है साथ ही uv – b भी जीवो के लीये अत्यधिक हानिकारक होता है |
पौधों पर प्रकाश का प्रभाव –
पौधों के लिए प्रकाश की तरंगधेर्य , तीव्रता और अवधि (दिन की अवधि ) बहुत महत्वपूर्ण है | अक्षांश
तथा दिन के समय के अनुसार प्रकाश की तीव्रता परिवर्तित होती रहती है | ध्यातव्य है
की प्रकाश द्वारा पौधों में प्रकाश संश्लेष्ण ,वृद्धि तथा प्रजनन प्रभावित होते
है ; प्रकाश पुष्पन , बीज अंकुरण और पादप वृद्धि आदि क्रियाओं में मुख्य भूमिका
निभाते है | पौधों तथा फसलो में पुष्पन और फलन जैसी क्रियाए प्रकाश की अवधि द्वारा
नियंत्रित होती है , बहुत से प्राणियों में प्रवासित ( migration ) शीतनिष्क्रियता तथा प्रजनन व्यवहार को
निर्धारित करने में भी प्रकाश की भूमिका होती है |
जलीय तंत्र पर प्रकाश का प्रभाव –
जलीय तंत्र में अधिकांश जैविक क्रियाएं प्रकाश की उपलब्धता द्वारा
नियंत्रित होती है | गहरे पानी जैसे समुद्र और झील तन्त्र में पौधे के लिए प्रकाश
सदैव एक सीमित कारक होता हैं |
जलीय तंत्र में
प्रकाश की उपस्थिति से उत्पादक तथा उपभोक्ता की उपस्थिति निर्धारित होती है
| उदाहरण के लिए , पदापप्लवक ( phytoplankton ) जल की प्रकाशित सतह पर रहते है , जबकि नितलस्थ ( benthic ) जीव झील के तलछट पर रहते है | प्रकाश की भेदता ( penetration ) के अनुसार झील को 3 भागों में बाँटा गया हैं –
वेलांचल क्षेत्र ( littoral zone ) -
झील के
किनारे पर छिछला जल होता हैं , जहाँ पर अधिकतर जड़युक्त वनस्पति उगती हैं | इसमें
प्रकाश छिछले पानी को भेदते हुए जाता हैं |
सरोजाबी क्षेत्र ( limnetic zone ) -
वेलांचल के
आगे का खुला जल क्षेत्र सरोजाबी क्षेत्र कहलाता हैं , जहाँ पदापप्लवक ( phytoplankton ) प्रचुरता से वृध्दि करते हैं | जल की स्वच्छता के आधार पर इस
क्षेत्र में प्रकाश 20 से 40 मी . तक की
गहराई में पहुँच सकता हैं |
गहरा क्षेत्र ( abyssal zone ) -
वह
अंधकार क्षेत्र जहाँ प्रकाश की पहुँच नही होती हैं उसे गहरा क्षेत्र कहते हैं |
झीलों व तालाबों की तलीय मिटटी नितलस्थ क्षेत्र ( benthic zone ) बनाती हैं , जो की नितलस्थ जीवों जैसे घोंघा
,स्लगों और सूक्ष्मजीवों का आवास स्थल होता हैं |