पुनर्जागरण ( Renaissance ) -
इतिहास की धारा अविच्छिन्न रूप से आगे बढती रहती
है एक युग दुसरे युग का पूर्वधार बन जाता
है परन्तु युग परिवर्तन इतने धीरे -धीरे और स्वाभाविक गति से होता है | कि जो लोग उस
समय मौजूद होते है , उनको इस परिवर्तन का आभास ही नहीं होता | इतिहास के युगों में
सदा एक संक्रमण काल होता है, जैसे कि 5वी सदी से 13वी शताब्दी के अन्त तक यूरोप की
स्थिति को मध्यकालीन युग कहा गया है | 1300 से 1650 ई. तक के समय को पुनर्जागरण का
समय कहा जाता है मध्यकाल किसी एक समय मै समाप्त नहीं हुआ ओर आधुनिक युग किसी एक निश्चित
तिथि से आरम्भ नहीं हुआ |
16वी और 17वी शताब्दी मे अनेक ऐसी बाते हुई जो आधुनिक
युग की संदेशवाहक थी | मुख्य बाते थी - पुनर्जागरण भोगोलिक अनुसन्धान वैज्ञानिक अविष्कार,
व्यापारिक और ओधोगिक क्रांति तथा धर्म सुधार आन्दोलन इन सभी के सामूहिक परिणाम
से यूरोप में आधुनिक युग का उदय हुआ |
“ पुनर्जागरण चौदहवीं, पंद्रहवी और सोलहवीं शताब्दियों में पश्चिमी
यूरोपीय विचार, साहित्य और कला की लौकिक प्रव्रत्तियों का तीव्रीकरण था |
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पुनर्जागरण (रेनेसाँ ) एक फ्रेंच शब्द है
जिसका शाब्दिक अर्थ है –‘फिर से जागना” | इसे “नया जन्म” अथवा “पुनजर्मन्म भी कह
सकते है
परन्तु व्यावहारिक द्रष्टि से इसे मानव समाज की बोध्दिक चेतना और तर्क
सकती का पुनर्जन्म कहना ज्यादा उचित होगा | कुछ विद्वान इस शब्द का प्रयोग यूनान
और रोम की प्राचीन सभ्यता के ज्ञानविज्ञान के प्रति फिर से पैदा हुई रूचि के लिए
करते है | मध्यकाल में यूरोपवासियों पर चर्च तथा सामन्तो का इतना अधिक प्रभाव बढ़
गया था, कि वे प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के साथ–साथ लैटिन और यूनानी भाषाओं को भी
लगभग भुला बैठें थें | शिक्षा का प्रसार रुक गया था | परिणामस्वरूप यूरोप सदियों
तक गहन अंधिकार में डूबा रहा | धर्मशास्त्रों में जो कुछ सच्चा – झूठ लिखा था अथवा
चर्च के प्रतिनिधि जो कुछ बतलाते थे उसे पूर्ण सत्य मानना था | विरोध करने पर
मृत्यु दंड दिया जाता था |
मध्ययुग के अंत में यूनानी ओंर लैटिन भाषाओ में निहित ज्ञान को पुनः
प्रतिष्ठित करने तथा नये ज्ञान के अर्जन के प्रयत्न किये गये है |
इसके
परिणामस्वरूप यूरोप के लोगो के जीवन एवं उनकी विचार धारा में एक महान परिवर्तन आ
गया | मनुष्य ने अपने आपको तथा अपनी उपलब्धियों को पहचानना शुरू किया परलोक के
स्थान पर इहलोक को , धार्मिक समस्याओं के स्थान पर सांसारिक समस्याओं को और स्वर्ग
– नरक के स्थान पर राष्ट्र को प्रधानता देने लगा | फिर भी पुनर्जागरण न तो
राजनीतिक आन्दोलन था ओंर न ही धार्मिक आन्दोलन यह तो मानव मस्तिष्क की एक विचित्र
जिज्ञासापूर्ण स्थिति थी | जिसके परिणामस्वरुप जीवन के प्रति मध्यकालीन द्रष्टि से
उसका मोहभंग हो गया | इसी को इतिहास में ‘ नवयुग ’ ‘ बौध्दिक ’ आदि नामों से
पुकारा जाता है |
पं. नेहरु नए पुनर्जागरण को “ बौध्दिक
चेतना ” कहा है | वैनलून ने इसे “ मस्तिष्क की स्थिति ” बतलाया है | प्रो. स्वेन
के अनुसार मध्य युग के अंत से लेकर जितना बौध्दिक विकास हुआ है , उसे सामूहिक रूप
से पुनर्जागरण कहा जा सकता है | वस्तुतः इसके अंतर्गत प्राचीन आदर्शो एवं नवीन
मूल्यों का समन्वय करके एक नयी संस्कृति का निर्माण करने का प्रयास किया गया है |
इतिहासकार डेविस के अनुसार पुनर्जागरण शब्द , मानव के स्वतंत्र प्रिय साहसी
विचारो को व्यक्त करता है , जो मध्ययुग में धर्माधिकारियों द्वारा जकड़े व
बंदी बना दिए गये थें | अतः पुनर्जागरण को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता
है –
“पुनर्जागरण चौदहवीं , पन्द्रहवी और सोलहवीं शताब्दियो में पश्चिमी यूरोपीय
विचार , साहित्य और कला की लौकिक प्रवृतियो का तीव्रीकरण था | ”