मिशन क्रैडल -
इस कार्य के लिए नीदरलैंड की कम्पनी स्पेसलाइफ ओरिजिन ने मिशन क्रैडल के नाम से एक अभियान शुरू किया है | इस अभियान का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से 2024 तक अन्तरिक्ष में पहले बच्चे का प्रसव कराना है | बैसे इस अभियान के अंतर्गत प्रथ्वी से अलग दुसरे ग्रहों पर भी मानव की बस्तियों के बसाने की योजना पर सक्रिय रूप से कार्य किया जा रहा है | कम्पनी स्पेसलाइफ ओरिजिन 32 घंटे के अपने एक अभियान, जिसे क्रैडल का नाम दिया गया है, में एक गर्भवती महिला को विशेषज्ञ डॉकटर्स की टीम के साथ अंतराष्ट्रिये अन्तरिक्ष स्टेशन भेजने की तैयारी कर रही है | सच पूछिए तो इस अभियान का उद्देश्य अन्तरिक्ष में मानव बस्तियां बसाने की महत्वकांक्षी योजना के सपने को अतिशीघ्रता से साकार करना है और साथ ही निकट भविष्य में अन्य ग्रहों पर मानव प्रजनन और मानव जन्म की संभावनाओं की तलाश करनी है | स्पेस लाइफ ओरिजिन के द्वारा चलाया गया यह मिशन अपने आप में एक योगांतकारी कदम है जिसके अंतर्गत 2024 तक अन्तरिक्ष में पहले मानव प्रजनन को न केवल संभव बनाना है बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिको के द्वारा अन्य दुसरे ग्रहों पर भी मानव कॉलोनी बसाने की संभावनायों को भी हकीकत में बदलने की कोशिश करना है |
कहते है की दुनिया की सबसे लम्बी यात्रा पहले कदम से शुरू होती है | अन्तरिक्ष में एक बच्चे के प्रजनन और उसके जन्म देने की यह योजना भले ही एक छोटी योजना है लेकिन कालांतर में इसके फलस्वरूप मानव बस्तियों की स्थापना में महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीदों से इंकार नही किया जा सकता है |
क्रैडल मिशन के अंतर्गत बैसे 25 गर्भवती महिलाओं के चयन किये जाने की योजना है जिनके गर्भकाल बिल्कुल एक दुसरे के समान हों इन 25 महिलाओं में केवल एक गर्भवती महिला को चुना जायेगा जिसकी डिलेवरी आगे 2 दिनों में सुनिश्चित है | आशय यह है की उसी गर्भवती महिला का इस मिशन के लिए चयन किया जायेगा जिसकी प्रसव पीढ़ा अंतरिक्ष मिशन के निश्चित समय से मेल खाती है | मिशन क्रैडल के तहत योग्य महिला के लिए वांछिनिये योग्यता के रूप में कोई भी महिला इसके लिए आवेदन कर सकती है | आवेदन का प्रारम्भ 2022 में किया जायेगा | लेकिन इसके लिए महत्वपूर्ण शर्त यह है की वह महिला दो बार प्राक्रतिक रूप से गर्भधारण कर चुकी हो और उनका प्रसव भी सफलतापूर्वक हो चुका हो | यह मिशन 36 घंटे का होगा जिसके अंतर्गत विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम गर्भवती महिला के साथ सफल प्रसव के लिए उसके साथ रहेंगे और यह प्रसव धरती से 250 मील या 400 किमी. की ऊँचाई पर कराया जायेगा |
मिशन क्रैडल के इस अभियान के अंतर्गत प्रसव के लिए अन्तरिक्ष के एक ऐसे कक्षा (ऑर्बिट) का चुनाव किया जायेगा जो विकिरण और शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त हो | इस प्रकार अन्तरिक्ष में प्रसव के बाद माँ और शिशु को फिर से प्रथ्वी पर ले आया जायेगा | नीदरलैंड की कम्पनी स्पेस लाइफ ओरिजिन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कीस मल्डर के अनुसार अन्तरिक्ष में भेजे जाने वाली महिला का अन्तरिक्ष में भेजे जाने से पहले पूरी तरह से चिकित्सीय परिक्षण किया जायेगा | गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु की भी गहन चिकित्सीय जाँच की जाएगी | साथ ही इस मिशन के अंतर्गत अन्तरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण और विकिरण के प्रभावों से गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को बचाने की पूरी व्यवस्था की जाएगी |
स्पेसलाइफ ओरिजिन के (सीईओ) कीस मल्डर कायः भी मानना है की अन्तरिक्ष में मानव प्रजनन क्षमता का विकाश महज एक वैज्ञानिक शोध और हैरतंगेज उपलब्धि ही नही बल्कि इसकी मदत से भविष्य में बिभिन्न ग्रहों पर रहने वाले मानव प्रजाति का विकास भी करना है ताकि मानव का सतत पोषणीय विकास हो पाये |
इस कार्य के लिए नीदरलैंड की कम्पनी स्पेसलाइफ ओरिजिन ने मिशन क्रैडल के नाम से एक अभियान शुरू किया है | इस अभियान का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से 2024 तक अन्तरिक्ष में पहले बच्चे का प्रसव कराना है | बैसे इस अभियान के अंतर्गत प्रथ्वी से अलग दुसरे ग्रहों पर भी मानव की बस्तियों के बसाने की योजना पर सक्रिय रूप से कार्य किया जा रहा है | कम्पनी स्पेसलाइफ ओरिजिन 32 घंटे के अपने एक अभियान, जिसे क्रैडल का नाम दिया गया है, में एक गर्भवती महिला को विशेषज्ञ डॉकटर्स की टीम के साथ अंतराष्ट्रिये अन्तरिक्ष स्टेशन भेजने की तैयारी कर रही है | सच पूछिए तो इस अभियान का उद्देश्य अन्तरिक्ष में मानव बस्तियां बसाने की महत्वकांक्षी योजना के सपने को अतिशीघ्रता से साकार करना है और साथ ही निकट भविष्य में अन्य ग्रहों पर मानव प्रजनन और मानव जन्म की संभावनाओं की तलाश करनी है | स्पेस लाइफ ओरिजिन के द्वारा चलाया गया यह मिशन अपने आप में एक योगांतकारी कदम है जिसके अंतर्गत 2024 तक अन्तरिक्ष में पहले मानव प्रजनन को न केवल संभव बनाना है बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिको के द्वारा अन्य दुसरे ग्रहों पर भी मानव कॉलोनी बसाने की संभावनायों को भी हकीकत में बदलने की कोशिश करना है |
कहते है की दुनिया की सबसे लम्बी यात्रा पहले कदम से शुरू होती है | अन्तरिक्ष में एक बच्चे के प्रजनन और उसके जन्म देने की यह योजना भले ही एक छोटी योजना है लेकिन कालांतर में इसके फलस्वरूप मानव बस्तियों की स्थापना में महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीदों से इंकार नही किया जा सकता है |
क्रैडल मिशन के अंतर्गत बैसे 25 गर्भवती महिलाओं के चयन किये जाने की योजना है जिनके गर्भकाल बिल्कुल एक दुसरे के समान हों इन 25 महिलाओं में केवल एक गर्भवती महिला को चुना जायेगा जिसकी डिलेवरी आगे 2 दिनों में सुनिश्चित है | आशय यह है की उसी गर्भवती महिला का इस मिशन के लिए चयन किया जायेगा जिसकी प्रसव पीढ़ा अंतरिक्ष मिशन के निश्चित समय से मेल खाती है | मिशन क्रैडल के तहत योग्य महिला के लिए वांछिनिये योग्यता के रूप में कोई भी महिला इसके लिए आवेदन कर सकती है | आवेदन का प्रारम्भ 2022 में किया जायेगा | लेकिन इसके लिए महत्वपूर्ण शर्त यह है की वह महिला दो बार प्राक्रतिक रूप से गर्भधारण कर चुकी हो और उनका प्रसव भी सफलतापूर्वक हो चुका हो | यह मिशन 36 घंटे का होगा जिसके अंतर्गत विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम गर्भवती महिला के साथ सफल प्रसव के लिए उसके साथ रहेंगे और यह प्रसव धरती से 250 मील या 400 किमी. की ऊँचाई पर कराया जायेगा |
मिशन क्रैडल के इस अभियान के अंतर्गत प्रसव के लिए अन्तरिक्ष के एक ऐसे कक्षा (ऑर्बिट) का चुनाव किया जायेगा जो विकिरण और शून्य गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से मुक्त हो | इस प्रकार अन्तरिक्ष में प्रसव के बाद माँ और शिशु को फिर से प्रथ्वी पर ले आया जायेगा | नीदरलैंड की कम्पनी स्पेस लाइफ ओरिजिन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कीस मल्डर के अनुसार अन्तरिक्ष में भेजे जाने वाली महिला का अन्तरिक्ष में भेजे जाने से पहले पूरी तरह से चिकित्सीय परिक्षण किया जायेगा | गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु की भी गहन चिकित्सीय जाँच की जाएगी | साथ ही इस मिशन के अंतर्गत अन्तरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण और विकिरण के प्रभावों से गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को बचाने की पूरी व्यवस्था की जाएगी |
स्पेसलाइफ ओरिजिन के (सीईओ) कीस मल्डर कायः भी मानना है की अन्तरिक्ष में मानव प्रजनन क्षमता का विकाश महज एक वैज्ञानिक शोध और हैरतंगेज उपलब्धि ही नही बल्कि इसकी मदत से भविष्य में बिभिन्न ग्रहों पर रहने वाले मानव प्रजाति का विकास भी करना है ताकि मानव का सतत पोषणीय विकास हो पाये |