पुनर्जागरण की विशेषताएँ | punarjagran ki visheshta

पुनर्जागरण की विशेषताएँ। punarjagran ki visheshta

पुनर्जागरण की विशेषताएँ

  • स्वतंत्र चिंतन
  • तर्क पर बल
  • मानववाद का समर्थन
  • देशज भाषाओं का विकास
  • सहज सौन्दर्य की उपासना
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास
  • भौगोलिक खोजे
  • कला, विज्ञान व साहित्य के क्षेत्र में विकास

स्वतंत्र चिंतन

पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषता स्वतन्त्र चिन्तन है। मध्ययुग में स्वतंत्र चिन्तन पर धर्म का अंकुश लगा हुआ था। पुनर्जागरण ने आलोचना को नई गति एवं विचारधारा को नवीन निडरता प्रदान की। उसका लक्ष्य परम्परागत मान्यताओं एवं विचारों को स्वतंत्र आलोचना की कसौटी पर कसकर उसकी प्रमाणिकता की जाँच करना तथा वैज्ञानिक ढंग से व्याख्या करना था।

तर्क पर बल

पुनजार्गरण की दूसरी विशेषता मनुष्य को अन्धविश्वासों रूढियों तथा चर्च द्वारा आरोपित बन्धको से छुटकारा दिलाकर उसके व्यक्तित्व का स्वतन्त्र रूप से विकास करना था।

मानववाद का समर्थन

पुनजार्गरण की तीसरी विशेषता मानववादी विचारधारा थी। मध्ययुग में चर्च ने लोगों का उपदेश दिया था कि इस संसार में जन्म लेना ही घोर पाप है। अत: तपस्या तथा निवृत्ति मार्ग को अपनाकर मनुष्य को इस पाप से मुक्त होने का सतत प्रयास करना चाहिए। इसके विपरीत पुनर्जागरण ने मानव-जीवन को सार्थक बनाने की शिक्षा दी। धर्म एवं मोक्ष के स्थान पर मानव-जीवन का और अधिक सुखी एवं समृद्ध बनाने का संदेश दिया। पुनर्जागरण ने पारलौकिक कल्पना के स्थान पर यथार्थवादी संसार की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया।

देशज भाषाओं का विकास

पुजार्गरण की चौथी विशेषता देशज भाषाओं का विकास थी। अब तक केवल यूनानी और लेटिन भाषाओं में लिखे गये ग्रंथो को ही महत्वपूर्ण समझा जाता था। पुनर्जागरण ने लोगों की बोलचाल की भाषा को गरिमा एवं सम्मान दिया क्योंकि इन भाषाओं के माध्यम से सामान्य लोगों बहुत जल्दी ज्ञानार्जन कर सकते थे। अपने विचारों व सुगमता के साथ अभिव्यक्त कर सकते थे।

सहज सौन्दर्य की उपासना

चित्रकला के क्षेत्र में पुनर्जागरण की विशेषता थी- यथार्थ का चित्रण, वास्तविक सौन्दर्य का अंकन। काल्पनिक दिव्य स्वरुपों के स्थान पर  मानवीय स्वरूप का चित्रण।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास

पुनजागरण की एक अन्य विशेषता थी- अनुभव एवं प्रयोग के द्वारा सत्य की पहचान करना। किसी भी प्रकार के ज्ञान को वैज्ञानिक खोज पद्धति के द्वारा प्रमाणित करना। इस पद्धित के मुख्य सूत्र थे- निरीक्षण,अन्वेषण, जाँच और परीक्षण। इस वैज्ञानिक भावना ने मध्ययुगीन अंधविश्वासों और मिथ्या विचारों को अस्वीकार कर दिया।

भौगोलिक खोजें

यह पुनर्जागरण की अनूठी विशेषता रही। इससे पूर्व मध्यकाल में लम्बी समुद्री यात्राओं को अशुभ समझा जाता था, किन्तु पुनर्जागरण काल में खोजे हुई। उनके लिए आज भी मानव समाज ऋणी है।

कला, विज्ञान व साहित्य के क्षेत्र में विकास

मध्यकाल में ये सभी धर्म से प्रभावित थे। यहाँ तक कि चर्च की मान्यताओं को ही वैज्ञानिक माना जाता था। लेकिन पुनर्जागरणकलीन कला, विज्ञान व साहित्य का आधार धर्म न रहकर मानव, तर्क, निरीक्षण हो गया।
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