जीव (Organism)।

जीव (Organism)

जीव विज्ञान में सर्वप्रथम हमें इस प्रश्न से जूझना पड़ता है कि वह कौन-से मूलभूत अंतर हैं जो सजीव और निर्जीव में विभेद करते हैं? वास्तव में जीव की एक सामान्य व्यापक परिभाषा प्रस्तुत करना कठिन कार्य है, फिर भी निम्नलिखित गुणों के आधार पर सजीवों को निर्जीवों से विभेदित किया जा सकता है

1. जीवद्रव्य (Protoplasm): जीवद्रव्य के बिना जीवन असंभव है। हक्सले ने इसे 'जीवन का भौतिक आधार' माना है।
जीवद्रव्य में लगभग 90% जल, 7% प्रोटीन, 2% कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं।

2. कोशिकीय संरचना (Cellular Structure): सभी सजीवों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई 'कोशिका' है। जीव एककोशिकीय (Unicellular) हो या बहुकोशिकीय (Multicellular), उसके शरीर व क्रियाओं की इकाई कोशिका है।
3. निश्चित जीवनचक्र (Definite Life Cycle): सभी सजीवों का जीवन- (a) जन्म, (b) वृद्धि, (c) प्रजनन और (d) मृत्यु इन घटनाओं में ही पूर्ण होता है।


4. उपापचय (Metabolism): जीवन को पूर्ण करने के लिये सजीवों में होने वाली सभी जैव-रासायनिक क्रियाओं को सम्मिलित रूप से उपापचयी क्रियाएँ कहा जाता है।

उपापचयी क्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं

  • उपचयन (Anabolism): इन क्रियाओं के द्वारा सजीवों के शरीर में सरल अणुओं से जटिल अणुओं का निर्माण होता है, जैसे- वृद्धि।
  • अपचयन (Catabolism): इन क्रियाओं के द्वारा सजीवों के शरीर में जटिल अणु टूटकर सरल अणुओं का निर्माण करते हैं तथा ऊर्जा को मुक्त करते हैं, जैसे- श्वसन (Respiration)|

5. प्रजनन (Reproduction): सजीवों द्वारा अपने जैसे ही समान जीवों को जन्म देने की क्षमता प्रजनन कहलाती है। यह जीवों का सर्वप्रमुख गुण है।



अनिषेकजनन (Parthenogenesis)
प्रजनन की ऐसी विधि जिसमें निषेचन के बिना ही मादा युग्मक (शायद ही कभी पुरुष) का विकास होता है। यह आमतौर पर निचले पौधों और अकशेरुकीय जानवरों (चींटी, मधुमक्खी, एफिड्स आदि) में होता है।





6. गति (Movement): गति करना सजीवों का मुख्य गुण होता है।

7. अनुक्रियता (Responsiveness): जीवधारी सामान्यतः उद्दीपन के प्रति अनुक्रियाशील होते हैं, जैसे- जड़ें धरती की तरफ मुड़ती हैं और तना सूर्य की तरफ, छुई-मुई का पौधा छूने पर सिकुड़ जाता है तथा कुत्ता अपने मालिक को देखकर दुम हिलाता है। इस प्रकार की अनुक्रिया निर्जीवों में नहीं देखी जाती।

8. अनुकूलन (Adaptation): जीवों में स्वयं को पर्यावरण की आवश्यकता के अनुसार अनुकूलित करने की क्षमता होती है। इस गुण के कारण ही वे विपरीत परिस्थितियों में भी जीवित रह पाते हैं, जैसे- रेगिस्तानी पौधों में पत्तियों की जगह काँटे होते हैं तथा बर्फीले भालू के शरीर पर लंबे-लंबे बाल होते हैं।

9. वृद्धि (Growth): सजीवों में जीवन का प्रारंभ सामान्यत: एक कोशिका से होता है। कोशिका के विभाजन और पुनर्विभाजन से ही ढेर सारी कोशिकाएँ बनती हैं तथा जीवधारियों का शरीर विकसित होता है। इसी कारण से ही बच्चे बड़े होते हैं तथा बीज से वृक्ष बनता है।
उपर्युक्त लक्षणों से स्पष्ट है कि पौधे तथा जंतु दोनों ही सजीव हैं।

निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर पौधों एवं जंतुओं में विभेद किया जा सकता है -
पादप व जंतुओं में अंतर (Difference between Plants and Animals)
गुण
(Characters)
पौधे (Plants)
जंतु (Animals)
वृद्धि (Growth)
पौधे जीवन के अंत तक वृद्धि करते हैं।
जंतुओं में वृद्धि एक निश्चित आयु तक ही होती है।
कोशिका भित्ति
(Cell wall)
पौधे की कोशिका का सबसे बाहरी आवरण 'सेल्यूलोज़' की बनी हुई कोशिका भित्ति है।
जंतु कोशिका का सबसे बाहरी आवरण कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) है। जंतुओं में कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है।
पोषण
(Nutrition)
कवक व कुछ परजीवी पौधों को छोड़कर सभी पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन स्वयं बनाते हैं. अत: पौधे स्वपोषी (Autotrophic) होते हैं।
पौधों द्वारा तैयार भोजन को लेते हैं, अतः जंतु परपोषी (Heterotrophic) होते हैं।
प्रकाश संश्लेषण
(Photosynthesis)
हरे पौधों द्वारा सूर्य के प्रकाश व क्लोरोफिल वर्णक की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा जल (H2O) का उपयोग करके अपना भोजन (ग्लूकोज़) बनाने की क्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है।
क्लोरोफिल न पाए जाने के कारण (केवल यूग्लीना को छोड़कर) प्रकाश संश्लेषण में असमर्थ।
रसधानी
(Vacuole)
पादपों में बड़ी व केंद्रीय रसधानियाँ पाई जाती हैं।
जंतुओं में छोटी-छोटी रसधानियाँ पाई जाती हैं, जो केंद्र में नहीं होती।
लाइसोसोम्स
(Lysosomes)
लगभग अनुपस्थित
उपस्थित
तारककाय
(Centrosome)
लगभग अनुपस्थित
केंद्रक के पास पाया जाता है तथा कोशिका विभाजन
में सहायक होता है।



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