प्लांटी (पादप जगत) Plantae (Plant Kingdom) |

प्लांटी (पादप जगत) Plantae (Plant Kingdom) -


पादप जगत के अंदर उनका प्राथमिक वर्गीकरण इस आधार पर किया जा सकता है कि पादप शरीर के प्रमुख घटक पूर्णरूपेण विकसित एवं विभेदित हैं या नहीं। इसके आगे वर्गीकरण के लिये यह भी देखा जा सकता है कि पादप शरीर में जल एवं अन्य पदार्थों का संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतक उपस्थित हैं या नहीं। तत्पश्चात् यह देखा जाता है कि पौधे में बीजधारण की क्षमता है या नहीं। यदि बीजधारण की क्षमता है तो बीज फल के अंदर विकसित होता है या बाहर इन सभी आधारों पर पादपों को निम्नलिखित उपवर्गों में बाँटा जा सकता है-


अपुष्पोद्भिद् वर्ग (Cryptogamae Class)-
  • थैलोफाइटाः इन पौधों के शरीर के सभी घटक पूर्णरूपेण विभेदित नहीं होते अर्थात् इनकी संरचना में विभेदीकरण नहीं पाया जाता है। इस वर्ग के पौधों को सामान्यतया शैवाल कहा जाता है। ये मुख्यतः जलीय पादप होते हैं जैसेयूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा इत्यादि।
  • ब्रायोफाइटाः इस वर्ग के पादपों में जल एवं अन्य चीज़ों के शरीर के एक से दूसरे भाग में संवहन के लिये विशिष्ट संवहनी ऊतक नहीं पाए जाते। यह पादप तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है। इस वर्ग के पौधों को ‘पादप वर्ग का उभयचर' भी कहा जाता है। उदाहरण के लिये- मॉस (फ्यूनेरिया), मार्केशिया आदि।
  • टेरिडोफाइटाः इन पौधों का शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभाजित होता है। इनमें संवहन ऊतक भी उपस्थित रहते हैं। उदाहरणार्थ- फर्न, मार्सीलिया, हार्स टेल इत्यादि।
उपरोक्त तीनों वर्गों के पादपों में जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं तथा इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है। इनमें नग्न भ्रूण पाए जाते हैं जिन्हें बीजाणु (Spore) कहते हैं। बीज उत्पन्न करने की क्षमता से रहित ये पादप क्रिप्टोगैम कहलाते हैं।

पुष्पोद्भिद्द (Phanerogemic Class) -
पूर्ण विकसित एवं विभेदित जनन ऊतकों वाले वैसे सभी पादप जो जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न करते हैं, पुष्पोद्भिद् (फेनरोगैम) कहलाते हैं।
बीज की अवस्था के आधार पर ही फेनरोगैम पादपों को दो वर्गों में बाँटते हैं- जिम्नोस्पर्म अर्थात् नग्नबीजी पौधे तथा एंजियोस्पर्म अर्थात् फल के अंदर बंद बीज उत्पन्न करने वाले पौधे।
  • नग्नबीजी (जिम्नोस्पर्म): ये पौधे नग्नबीजी होते हैं अर्थात् इनके बीज फलों के अंदर नहीं होते। ये पौधे बहुवर्षी, सदाबहार तथा काष्ठीय होते हैं, जैसे- पाइनस तथा साइकस।
  • आवृतबीजी (एंजियोस्पर्म): इन पौधों के बीज फलों के अंदर बंद रहते हैं। इनके बीजों का विकास अंडाशय के अंदर होता है जो बाद में फल बन जाता है। इन्हें पुष्पी पादप भी कहा जाता है।

बीजपत्रों की संख्या के आधार पर एंजियोस्पर्म वर्ग को दो भागों में बाँटा जाता है- एकबीजपत्री जिनमें एक बीजपत्र होता है तथा द्विबीजपत्री जिनमें दो बीजपत्र होते हैं।

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