आर्थिक संवृद्धि (ECONOMIC GROWTH) | arthik samridhi

आर्थिक संवृद्धि (ECONOMIC GROWTH)

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जीव विज्ञान का शब्द है ग्रोथ यह जीवों के बढ़ने की प्रवृति को जाहिर करता है। अर्थव्यवस्था में इसका मतलब आर्थिक वृद्धि से है। समय के साथ आर्थिक मापदंड को बताने वाले अस्थिरांकों में बढ़ोतरी को आर्थिक वृद्धि कहते हैं। यह किसी व्यक्ति या किसी अर्थव्यवस्था या दुनिया की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में इस्तेमाल कर सकते हैं।

आर्थिक वृद्धि का सबसे अहम घटक गुणात्मकता है।

इसे दर्शाने के लिए सभी मापदंडों का इस्तेमाल किया जा सकता है। आर्थिक वृद्धि के कुछ उदाहरण इस तरह से हैं:-

(i) किसी अर्थव्यवस्था में एक दशक के दौरान खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि को मापा जा सकता है और यह टन में मापा जा सकता है।

(ii) किसी अर्थव्यवस्था में सड़क नेटवर्क में एक दशक या फिर किसी समय अंतराल में हुई वृद्धि का पता किलोमीटर और मील की लंबाई से चल सकता है।

(iii) ठीक इसी तरह, किसी अर्थव्यवस्था में हुई वृद्धि का आकलन कुल उत्पादन के मूल्य से लगाया जा सकता है।

(iv) किसी समयावधि के दौरान प्रति व्यक्ति आय में मुनाफे का आकलन भी किया जा सकता है।

इस हिसाब से आर्थिक वृद्धि को एक तरह से मात्रात्मक प्रगति भी कह सकते हैं।

आर्थिक वृद्धि की दर मापने के लिए वृद्धि में अंतर को प्रतिशत में निकालते हैं। उदाहरण के लिए अगर एक डेयरी उत्पादक एक महीने में 100 लीटर दूध का उत्पादन करता है और उसके अगले महीने में दूध उत्पादन बढ़कर 105 लीटर हो जाता है तो उसकी डेयरी की संवृद्धि दर पांच प्रतिशत है।

इस तरह से हम किसी भी अर्थव्यवस्था में किसी भी समयावधि के दौरान होने वाली वृद्धि दर को हासिल कर सकते हैं। वृद्धि दर एक तरह से वार्षिक अवधारणा है, जिसे उस समय सीमा के साथ जोड़कर देखा जाता है।

वैसे वृद्धि अपने आप में मूल्य रहित पद है, लेकिन यह किसी अर्थव्यवस्था में किसी खास समयावधि के दौरान सकारात्मक और नकारात्मक असर पड़ सकता है। लेकिन हम इसका इस्तेमाल प्रायः सकारात्मक संदर्भ में करते हैं। अगर अर्थशास्त्री कहते हैं कि अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो उनका मतलब होता है कि अर्थव्यवस्था में सकारात्मक वृद्धि हो रही है। नहीं तो वे ऋणात्मक वृद्धि शब्द का इस्तेमाल करते।

आर्थिक वृद्धि पद का इस्तेमाल अर्थशास्त्र में काफी होता है। यह केवल राष्ट्रीय स्तर के आकलन और नीति निर्धारण के लिए नहीं होता है बल्कि यह अर्थशास्त्र के विस्तृत अध्ययन में भी उपयोगी है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वित्तीय और व्यवसायिक संस्थान इसी वृद्धि दर के आंकड़ों का इस्तेमाल कर नीति और वित्तीय योजना तैयार करते हैं।

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