बचत क्या है? अर्थ, परिभाषा, महत्व | bachat kya hai

प्रस्तावना

मनुष्य बहुत परिश्रम से धनोपार्जन करता है एवं कई इच्छाओं का त्याग कर स्वयं परिवार के भविष्य के दृष्टिगत बचत करता है। बचत आय का वह अंश है जिसका उपयोग व्यक्ति वर्तमान में नहीं करता बल्कि उस आय को भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पृथक रख देता है।
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बचत प्रत्येक परिवार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बचत द्वारा परिवार आर्थिक सुरक्षा एवं अन्य पारिवारिक लक्ष्यों को प्राप्त करता है। छोटी-छोटी बचत न केवल परिवार अपितु देश के आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। बचत का निर्धारण बचत क्षमता, इच्छा एवं सुविधा से होता है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था बचत को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। बचत के उचित व्यवस्थापन हेतु नियोजन आवश्यक है। बचत धनराशि में वृद्धि हेतु बचत की शीघ्र शुरुआत एवं उचित विनियोग आवश्यक है। वर्तमान में बचत के कई साधन उपलब्ध हैं जो हर आय वर्ग के लिए उपयोगी हैं।

बचत का अर्थ

पारिवारिक जीवन की आवश्यकताओं, दायित्वों एवं लक्ष्यों के निर्वहन हेतु मनुष्य को धन की आवश्यकता होती है। व्यक्ति इन आवश्यक्ताओं की पूर्ति हेतु अपनी आय का कुछ अंश वर्तमान में व्यय न कर उसे भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु शेष रख लेते हैं। यह शेष धनराशि उस व्यक्ति की बचत होती है। किसी भी व्यक्ति अथवा परिवार के लिए बचत का विशेष महत्व है। स्वयं द्वारा की गई बचत के कारण व्यक्ति परिवार की विभिन्न आकस्मिक आवश्यकताओं एवं खर्चों की पर्ति करने में सक्षम रहता है। यदि व्यक्ति के पास पर्याप्त धनराशि बचत के रूप में उपलब्ध न हो तो उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऋण लेना पड़ता है। बचत व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। पारिवारिक जीवन चक्र के प्रत्येक चरण हेतु बचत महत्वपूर्ण है। आर्थिक रूप से सुरक्षित मनुष्य ऋण चुकाने की चिंता से मुक्त रहता है। वह भविष्य में आने वाली आवश्यकताओं पर होने वाले व्यय के लिए पूर्व से ही तैयार रहता है। बचत आय का वह अंश है जिसका व्यय वर्तमान में नहीं किया जाता अपितु उत्पादक के रूप में भविष्य में उपयोग हेतु शेष रख लिया जाता है।

बचत की परिभाषा

बचत को विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया गया है। वर्मा एवं देशपाण्डे के अनुसार “बचत मनुष्य की आय का वह भाग है जो वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति में उपयोग नहीं किया जाता वरन् भविष्य के उपयोग के लिए समझ बूझकर उत्पादक के रूप में अलग रख दिया जाता है और संपत्ति को पूँजी का स्वरूप दिया जाता है"।
जे. एम. केंज ने बचत को परिभाषित करते हुए कहा है कि “वर्तमान आय के वर्तमान उपभोग/व्यय पर आधिक्य को बचत कहा जाता है"।

बचत एवं संचय मे अंतर

अर्थशास्त्रियों के अनुसार बचत तथा संचय में अंतर होता है। बचत आय का वह भाग है जो उत्पादक रूप में सुरक्षित रखा जाता है। उदाहरण के लिए बैंक, डाकघर, मयूच्वल फंड आदि में निवेश किया गया धन उत्पादक रूप में बचत है। समय के साथ इस धनराशि में ब्याज स्वरूप वद्धि होती है तथा यह पूँजी देश में पूँजी निर्माण हेतु प्रयोग में लाई जा सकती है। इस प्रकार बचत व्यक्ति एवं राष्ट्र दोनों के लिए हितकारी एवं उपयोगी है।
बचत के विपरीत सन्दूक अथवा लॉकर में बंद धन संचय की श्रेणी में आता है, जिसे एक जगह इकट्ठा कर रख दिया जाता है। इस धन में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है। यह पूँजी राष्ट्र निर्माण एवं अन्य उत्पादक कार्यों में भी नहीं लगाई जा सकती है। यह धन वर्तमान अर्थव्यवस्था से पृथक अनुत्पादक रूप में संग्रहित रहता है।
व्यक्ति अथवा परिवार के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि वह आय का कुछ अंश बचत स्वरूप रखे। परिवार को बजट बनाकर योजनाबद्ध तरीके से व्यय करना चाहिए तथा आय का कुछ अंश भविष्य में उपयोग हेतु बचत स्वरूप रखना चाहिए । वर्तमान समय में बढ़ती महंगाई के दौर में परिवारों के लिए बचत करना कठिन होता जा रहा है। यद्यपि बचत हेतु उपलब्ध उपक्रमों में वृद्धि हई है।

बचत का महत्व

इस इकाई में अब तक आप बचत के अर्थ एवं बचत तथा संचय में अंतर से परिचित हो चुके हैं। इकाई के इस भाग में हम बचत के महत्व से परिचित होंगे। प्रत्येक परिवार के लिए बचत का विशेष महत्व है। आइए बचत के महत्व सम्बन्धी कुछ बिंदुओं पर चर्चा करें।

बचत व्यक्ति अथवा परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
बचत व्यक्ति को भविष्य की अनिश्चिताओं के दृष्टिगत आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। भविष्य में कई कारणों जैसे दुर्घटना,व्यवसाय में घाटा, नौकरी छूट जाना आदि कारणों से परिवार को विषम आर्थिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी परिस्थितियों में व्यक्ति द्वारा की गई बचत ही उसके तथा उसके परिवारजनों के काम आती है। कोई भी बचत न होने पर परिवार को भारी ब्याज दरों पर ऋण लेना पड़ सकता है अथवा कोई प्रिय वस्तु बेचनी पड़ सकती है। कभी-कभी ऋण भी आसानी से उपलब्ध नहीं होता है। नियमित बचत से परिवार पूर्व से ही भविष्य में आने वाली आकस्मिकताओं के लिए कुछ हद तक आर्थिक रूप से तैयार रहते हैं। परिवार के लिए आर्थिक सुरक्षा अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आर्थिक रूप से असुरक्षित परिवार के सदस्य सदैव तनावग्रस्त रहते हैं। आर्थिक असुरक्षा कई विपत्तियों का कारण बन सकती है। बचत आर्थिक असुरक्षा को कम कर परिवार को विषम परिस्थितियों में सहारा देती है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति द्वारा की गई बचत उसके परिवार को जीवन के बाद के पड़ावों/वृद्धावस्था में भी आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। वृद्धावस्था में सेवानिवृति के उपरांत सतत् आय में कमी आ जाती है। इस अवस्था में व्यक्ति की बचत उसके लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। इसके द्वारा व्यक्ति स्वयं के चिकित्सा व्यय को वहन कर सकता है तथा उसे आर्थिक रूप से किसी पर आश्रित नहीं होना पड़ता है। बचत के कारण वृद्ध व्यक्ति आर्थिक रूप से आत्म निर्भर रहते हैं। वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधाओं एवं तकनीकी क्षेत्र में प्रगति के कारण मनुष्य के जीवन अवधि काल में वृद्धि हुई है। दीर्घ आयु में व्यक्ति की बचत उसके बहुत उपयोगी होती है।

बचत अनावश्यक व्यय पर प्रतिबंध लगाने में सहायक है।
व्यक्ति यदि अपनी आय का एक भाग बचत के रूप में पृथक रख लेता है तो उसके पास वर्तमान व्यय हेतु उपलब्ध कुल धनराशि में कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति स्वयं के पास उपलब्ध धनराशि को सोच विचार कर व्यय करता है। वह सिर्फ आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर व्यय करता है। व्यक्ति अथवा परिवार उपलब्ध धन को बजट बना कर सूझ-बूझ से व्यय करते हैं। ऐसी स्थिति में अनावश्यक व्यय एवं फिजूलखर्ची पर प्रतिबंध लग जाता है।

बचत आय में वृद्धि का साधन है।
बचतकर्ता स्वयं द्वारा की गई बचत को डाकघर, बैंक आदि उपक्रमों में सुरक्षित रख देते हैं जिस पर उन्हें ब्याज अथवा लाभांश प्राप्त होता है। यह लाभांश भी आय का एक स्वरूप है जो व्यक्ति को बचत किए गए मूलधन पर प्राप्त होता है। बचत उपक्रम में मूलधन यथावत् सुरक्षित रहता है। बचत उपक्रमों में व्यक्ति विशेष द्वारा की गई छोटी-छोटी बचत के कारण बड़ी पूँजी का निर्माण होता है। इस पूँजी को बैंक उद्योगपतियों को ऋण के रूप में प्रदान करता है जिससे पुनः पूँजी निर्माण का कार्य संभव होता है।

बचत द्वारा आय-व्यय की असमानता को समाप्त करना संभव है।
कई परिवारों की आय सतत् रूप से प्रतिमाह अथवा प्रतिवर्ष समान नहीं होती है। उदाहरण के लिए व्यवसायी अथवा उद्योगपतियों को कभी अधिक आय प्राप्त होती है तथा कभी अर्जित आय में कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में बचत का आय-व्यय की असमानता को समाप्त करने में विशेष महत्व है। कम आय अवधि काल के खर्चों का वहन व्यक्ति अपनी बचत से कर सकता है। आय-व्यय असमानता पारिवारिक जीवन चक की विभिन्न अवस्थाओं में भी देखी जा सकती है। सामान्यतः पारिवारिक जीवन चक की प्रथम अवस्था में व्यय कम होता है एवं बचत करना संभव होता है। पारिवारिक जीवन में बच्चों के बड़े होने पर उनकी उच्च शिक्षा, विवाह आदि पर अधिक व्यय करना पड़ता है। यह भी संभव है कि इस अवस्था में परिवार की आय में विशेष वृद्धि न हुई हो। इस अवस्था में अपेक्षित बड़े व्यय का वहन व्यक्ति, परिवार पूर्व में स्वयं के द्वारा की गई बचत के माध्यम से संभव कर पाते हैं। उपरोक्त दोनों उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि बचत के द्वारा आय-व्यय की असमानता को समाप्त करना संभव है।

दीर्घकालीन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु बचत।
प्रत्येक परिवार के कुछ दीर्घकालीन उद्देश्य एवं लक्ष्य होते हैं, जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा, आवासीय भूमि क्रय करके आवास का निर्माण करवाना, बच्चों का विवाह आदि। ऐसे दीर्घकालीन लक्ष्य बड़े एवं स्थाई होते हैं। इनकी पूर्ति हेतु अधिक धन की आवश्यकता होती है। परिवार इस प्रकार की धनराशि की व्यवस्था बचत के माध्यम से ही कर पाते हैं। निम्न एवं मध्यम आय वाले परिवारों को इन लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए लगातार छोटी-छोटी बचत करनी पड़ती है। कालांतर में पर्याप्त बचत हो जाने पर ही वे इन लक्ष्यों की पूर्ति हेतु आर्थिक रूप से सुनिश्चित हो सकते हैं।

किसी विशेष वस्तु को क्रय करने हेतु की गई बचत।
व्यक्ति अथवा परिवार विलासिता एवं सुविधा प्रदान करने वाली वस्तुओं को क्रय करने की इच्छा रखते हैं। जैसे, कार, कूलर, ए.सी., कम्प्यूटर, संचार के आधुनिक माध्यम जैसे मोबाइल, टैबलेट, एवं आधुनिक टीवी। घरेलू श्रम एवं समय की बचत करने वाले उपकरण जैसे फ्रिज, वैक्यूम क्लीनर, माइक्रोवेव अवन, वॉशिंग मशीन आदि। इनके उपयोग से परिवार कई कार्य अपनी सुविधानुसार सम्पन्न कर सकते हैं एवं स्वयं का मनोरंजन कर सकते हैं। आधुनिक यंत्रों का प्रयोग परिवार के रहनसहन के उच्च स्तर को दर्शाता है। इन्हें क्रय करने के लिए भी व्यक्ति को बचत करनी पड़ती है।

बचत का निर्धारण करने वाले कारक

बचत की मात्रा तीन प्रमुख कारकों द्वारा निर्धारित होती है। यह कारक निम्नलिखित है।
  1. बचत करने की क्षमता
  2. बचत करने की इच्छा
  3. बचत करने के लिए उपलब्ध सुविधाए
प्रत्येक के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करें।

बचत करने की क्षमता
किसी व्यक्ति अथवा परिवार द्वारा की गई बचत को सुनिश्चित करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनमें बचत करने की कितनी क्षमता है। परिवार द्वारा अर्जित आय सीधे तौर पर बचत क्षमता को प्रभावित करती है। यदि परिवार की आय बहुत कम है एवं यदि वे स्वयं की आय द्वारा मात्र अपनी मूल आवश्यकताओं की ही पूर्ति कर पाते हैं, तो ऐसी स्थिति में परिवार द्वारा किसी भी प्रकार की बचत कर पाना संभव नहीं है। परिवार द्वारा अर्जित समस्त आय उनकी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ही व्यय हो जाती है और बचत के लिए कोई धनराशि शेष नहीं रहती। अन्य परिस्थितियों जैसे परिवार का अपनी आमदनी से अधिक व्यय करना, ऐसी स्थिति होने पर भी बचत संभव नहीं हो पाती है। अधिक आय अर्जित करने वाले धनी व्यक्तियों के पास कुछ अनिवार्य आवश्यकताओं एवं सेवाओं का उपयोग करने के उपरांत भी काफी धन शेष रहता है, जिसे वह बचत के रूप में रख सकते हैं। निर्धन व्यक्ति के लिए बचत करना कठिन होता है क्योंकि उनकी अधिकांश आय केवल मूल आवश्यकताओं की पूर्ति में ही व्यय हो जाती है। स्वाभाविक है कि निर्धन व्यक्ति कि अपेक्षा धनी व्यक्ति की बचत करने की क्षमता अधिक होती है।

किसी राष्ट्र के नागरिकों की बचत करने की क्षमता राष्ट्र के आर्थिक वातावरण पर निर्भर करती है। यदि देश की अर्थव्यवस्था प्रगति की ओर अग्रसर है एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है तो वहाँ के नागरिकों की बचत करने की क्षमता में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त यदि देश में धन का अत्यधिक असमान वितरण है तो केवल धनी व्यक्ति ही बचत क्षमता योग्य होंगे एवं निर्धन व्यक्ति की बचत क्षमता न्यूनतम होगी। विकसित देशों में उन्नत तकनीक के प्रयोग के कारण प्रायः देश की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में होती है। इस कारण वहाँ के नागरिकों की आय अधिक होती है तथा बचत करने की क्षमता भी अधिक होती है। देश की कर प्रणाली भी व्यक्ति की बचत क्षमता को प्रभावित करती है। यदि देश की जनता को भारी कर देना पड़ता है तो उनके पास बचत करने योग्य
उपलब्ध धनराशि कम होगी एवं देशवासियों की बचत करने की क्षमता विपरीत रूप से प्रभावित होगी।

यदि कोई देश विकास कार्यों हेतु अपने प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रकार से दोहन एवं उपयोग करता है तो वहाँ के नागरिकों के आर्थिक विकास में, उपलब्ध सुविधाओं में एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है जिससे स्वतः ही नागरिकों की बचत करने की क्षमता में वृद्धि होती है।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि बचत करने की क्षमता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है।
  • परिवार द्वारा अर्जित आय
  • राष्ट्र का आर्थिक वातावरण
  • राष्ट्र की कर प्रणाली
  • राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग

बचत की इच्छा
किसी भी कार्य अथवा लक्ष्य की पूर्ति हेतु उसके प्रति इच्छा होना आवश्यक है। इसी प्रकार व्यक्ति तभी बचत करेगा जब उसमें बचत करने की इच्छा हो। व्यक्ति में बचत की इच्छा कई कारणों से हो सकती है जैसे, आर्थिक सुरक्षा, पारिवारिक प्रेम, संचयी स्वभाव, भावी आवश्यकताएं, सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने हेतु आदि कारणों से व्यक्ति में बचत करने की इच्छा जागृत होती है।
  • आर्थिक सुरक्षा - आर्थिक सुरक्षा की इच्छा सभी परिवारों में होती है। आर्थिक रूप से सुरक्षित परिवारों के लिए कई लक्ष्यों एवं आवश्यकताओं की पूर्ति करना संभव होता है। वे आर्थिक रूप से तनावग्रस्त नहीं रहते हैं। आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करना व्यक्ति में बचत की इच्छा जागृत करता है।
  • पारिवारिक प्रेम - व्यक्ति अपने पारिवारिक सदस्यों से प्रेम के कारण उनकी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की पूर्ति करने लिए बचत करता है।
  • संचयी स्वभाव - कई व्यक्ति अपने स्वभाव के कारण ही संचयी अथवा कंजूस होते हैं जिस कारण वे धन की बचत करते हैं। ऐसे व्यक्ति कई बार अपनी आवश्यकताओं को अनदेखा करके भी बचत करते हैं। अपने संचयी स्वभाव के कारण उनकी बचत करने की इच्छा एवं प्रवृत्ति प्रबल होती है।
  • भावी आवश्यकताएँ - भविष्य में आने वाली आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु मनुष्य बचत करता है। भविष्य में कई आवश्यकताएँ अचानक ही उत्पन्न हो सकती हैं अथवा कुछ आवश्यकताओं का मनुष्य को पूर्वाभास रहता है। भावी आवश्यकताओं की पूर्ति मनुष्य में बचत करने की इच्छा उत्पन्न करती है।
  • सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने हेतु - समाज में धनी वर्ग के व्यक्तियों को उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। समाज में प्रतिष्ठा पाने की इच्छा से भी मनुष्य बचत करते हैं।

संक्षेप में बचत की इच्छा के कारक निम्न सूचीबद्ध हैं-
  • आर्थिक सुरक्षा
  • पारिवारिक प्रेम
  • संचयी स्वभाव
  • भावी आवश्यकताएँ
  • सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करना

बचत करने के लिए उपलब्ध सुविधाएँ
देश के नागरिक बचत करें इसके लिए यह आवश्यक है कि देश में बचत करने के लिए सुविधाएँ उपलब्ध हों। यदि देश में बचत करने के लिए उपयुक्त पर्याप्त सुविधाएँ, योजनाएँ उपलब्ध न हों तो देश के नागरिक पर्याप्त बचत नहीं कर पाएंगे। वे बचत करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे। वे जो भी धन एकत्रित करेंगे वह अनुत्पादक रूप में शेष रह जाएगा। इसका प्रभाव देश की प्रगति एवं विकास पर भी पड़ेगा। देश के उद्योगों को ऋण स्वरूप पर्याप्त पूँजी उपलब्ध नहीं होगी। देश के नागरिकों में बचत की प्रवृत्ति हो,
इसके लिए देश में निम्नलिखित सुविधाओं एवं परिस्थितियों का होना आवश्यक है।

देश में सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण वातावरण
बचत करने के लिए देश का वातावरण सुरक्षित एवं शांत होना चाहिए। यदि देश में युद्ध, आतंकवाद, आपातकाल, प्राकृतिक आपदाएँ, लूट, चोरी, डकैती आदि घटनाएं आम हों एवं देश में अशांति व अस्थिरता का वातावरण हो, तो वहाँ के नागरिक अपने धन के प्रति असुरक्षित महसूस करेंगे। वे बचत की अपेक्षा वर्तमान में धन के उपयोग को अधिक उपयोगी समझेंगे।

सुदृढ़ अर्थव्यवस्था
देश के नागरिकों में बचत को प्रेरित करने के लिए यह आवश्यक है कि देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो। राष्ट्रीय मुद्रा मूल्य में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होना चाहिए तथा उसमें स्थिरता होनी चाहिए अन्यथा नागरिक राष्ट्रीय मुद्रा प्रणाली में विश्वास नहीं रखेंगे। बचत के लिए यह आवश्यक है कि अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो, बाजार सुव्यवस्थित हो एवं वहाँ घोटाले न हों। ऐसी घटनाएँ विनियोगकर्ता में असुरक्षा की भावना उत्पन्न करती हैं।

महँगाई दर मे कमी
यदि देश में महँगाई बहत अधिक हो तो देश के नागरिकों की अधिकांश आय अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यय हो जाएगी। उनके पास बचत योग्य कोई धन शेष नहीं रहेगा। देश में वस्तुओं एवं सेवाओं का अधिक महंगा होने के कारण देश के नागरिक चाह कर भी बचत नहीं कर पाएंगे। इसलिए बचत के लिए यह आवश्यक है की महँगाई दर बहुत अधिक न हो।

बचत हेतु उपलब्ध साधन
देश की जनता बचत कर सके इसके लिए यह आवश्यक है की उन्हें बचत के लिए पर्याप्त सुरक्षित साधन एवं बचत योजनाएं उपलब्ध हों जैसे बैंक, डाकघर, बीमा, विश्वसनीय औद्योगिक इकाइयों के अंश पत्र आदि। ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार बचत योग्य साधन उपलब्ध नहीं होते हैं जिसके कारण ग्रामीण व्यक्ति घरेलू बचत नहीं कर पाते हैं व अपनी बचत पर लाभ प्राप्ति से वंचित रह जाते हैं। बचत हेतु विनियोग के उचित साधनों का उपलब्ध होना अति अनिवार्य है।

योग्य एवं सफल उद्यमी
समुचित बचत एवं विनियोग को प्रोत्साहित करने के लिए यह आवश्यक है कि देश में योग्य एवं सफल उद्यमी पर्याप्त पूँजी निर्माण का कार्य करें। उद्यमियों की भरोसेमंद कम्पनियों के अंश पत्रों में विनियोग करने में जनता रुचि लेगी एवं बचत प्रोत्साहित होगी। प्रायः कम विकसित देशों में उद्यमी बड़े जोखिम उठाने से डरते हैं। इस कारण राष्ट्रीय पूँजी निर्माण एवं बचत प्रभावित होती है।

जनता पर अत्यधिक कर भार न हो
यदि देश की जनता अत्यधिक कर चुका रही हो तो उनकी बचत क्षमता प्रभावित होगी। अत्यधिक कर चुकाने के कारण व्यक्तियों के पास बचत योग्य कम धन राशि शेष रह जाएगी। भारत में जनता कई प्रकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर चुकाती है। इन करों को वहन करने मे जनता की आय का एक बड़ा भाग व्यय हो जाता है एवं उनकी बचत क्षमता कम हो जाती है।

ग्रामीण बचत हेतु विशेष प्रयास
ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्तियों में बचत को प्रोत्साहित करने के लिए यह आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक डाकघर आदि की सविधाएँ प्रदान की जाएँ। ग्रामीणों में अच्छी बचत क्षमता होती है। इस तथ्य को ध्यान में रख कर ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की नई शाखाएँ खोली जानी चाहिए। ऐसा करने से ग्रामीणों में बचत को प्रोत्साहन मिलेगा।

बचत उपक्रम का अच्छा लाभांश प्रदान करना
यदि बचत से अच्छा लाभांश (ब्याज) प्राप्त होगा तो व्यक्ति बचत करने में रुचि लेंगे। लाभांश प्राप्त करने के लिए वे अधिक मात्रा में बचत करेंगे। बचत पर उच्च ब्याज दर होने से बचत को प्रोत्साहन मिलता है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि बचत को प्रोत्साहित करने के लिए निम्न सुविधाओं/योजनाओं की उपलब्धता जरूरी है-
  • देश में सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण वातावरण
  • सुदृढ़ अर्थव्यवस्था
  • महँगाई दर में कमी
  • बचत हेतु उपलब्ध साधन
  • योग्य एवं सफल उद्यमी
  • जनता पर न्यूनतम कर भार
  • ग्रामीण बचत हेतु विशेष प्रयास
  • बचत उपक्रम का अच्छा लाभांश प्रदान करना

आइए अब जानें कि बचत एवं विनियोग में क्या अंतर है।

बचत एवं विनियोग में अन्तर


बचत
जब हम अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए किसी सुरक्षित योजना अथवा उपक्रम का चुनाव करते हैं, तो यह धन की बचत कहलाता है। यह बचत की प्रचलित अवधारणा है। बचत के लिए हम जमा खाता, निश्चित अवधि खाता, आवर्ती जमा खाता या किसी अन्य प्रमाणपत्र प्रदान करने वाली बचत योजनाओं का चुनाव कर सकते हैं। इस प्रकार की गई बचत में मूल धन राशि सुरक्षित रहती है। परन्तु लम्बी अवधि में इस बचत पर ब्याज कम प्राप्त होता है। स्वयं की बचत पर अधिक लाभांश प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है की सारा धन एक ही बचत उपक्रम में न निवेश किया जाए। हमें धन निवेश करने के लिए अन्य उपयुक्त योजनाओं एवं सुविधाओं पर भी विचार करना चाहिए। वह बचत जिसमें जोखिम कम होता है वह आकस्मिक खर्चों को वहन करने में बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। उदाहरण के लिए यदि परिवार मे अचानक किसी को उपचार की आवश्यकता हो अथवा किसी महंगे उपकरण की मरम्मत करवानी हो आदि।

विनियोग
जब हम धन के निवेश के लिए अधिक जोखिम भरे बचत उपक्रमों जैसे अंश पत्रों, म्यूच्वल फंड आदि का चुनाव करते हैं, ऐसी स्थिति में साधारणतया हम धन का विनियोग करते हैं। इस प्रकार के निवेश में जोखिम अधिक होने के कारण यह संभावना भी सदैव रहती है कि व्यक्ति को लाभ की अपेक्षा मूल धन की हानि भी हो सकती है। इसके साथ ही यह संभावना भी होती है कि व्यक्ति को अधिक लाभांश प्राप्त हो।

बचत एवं विनियोग हेतु उपलब्ध उपक्रम
बचत के उपक्रम विनियोग के उपक्रम
बचत खाते अंश पत्र
प्रमाण पत्र प्रदान करने वाली अन्य बचत योजनाएँ बॉन्ड्स
म्यूच्वल फंड
अचल सम्पत्तिसोना-, चाँदी अदि

परिवार कितनी बचत करें

यह प्रश्न प्रत्येक परिवार के लिए महत्वपूर्ण है। कितनी बचत की जानी चाहिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि परिवार के लक्ष्य क्या हैं। परिवार के समक्ष सदैव कुछ लघु अवधि एवं कुछ दीर्घ अवधि, स्थायी लक्ष्य होते हैं। जैसे वॉशिंग मशीन क्रय करना एक लघु अवधि लक्ष्य है एवं अपनी वृद्धावस्था या सेवा निवृत्ति हेतु बचत करना एक दीर्घकालीन लक्ष्य है। परिवार के समक्ष समय-समय पर कुछ आकस्मिक व्यय भी आते रहते हैं जिनकी पूर्ति के लिए भी कुछ बचत अवश्य होनी चाहिए।
परिवार अपने लक्ष्यों को सूचीबद्ध कर पूर्व से ही उन पर होने वाले अनुमानित व्यय की गणना कर सकते हैं। इस प्रकार पूर्व में ही लक्ष्य प्राप्ति पर होने वाले व्यय का आकलन किया जा सकता है। तदुपरान्त व्यक्ति को यह अनुमान लगाना चाहिए कि इस अनुमानित राशि को एकत्रित करने के लिए उसे प्रतिमाह कितनी बचत करनी चाहिए। प्रतिमाह छोटी-छोटी बचत कर व्यक्ति लक्षित धनराशि जमा कर सकता है। परिवार को स्वयं के लिए एक बचत राशि का लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है। कई बार इस प्रक्रिया में परिवार को यह अनुभव होता है कि वे पर्याप्त बचत नहीं कर पा रहे हैं। तब यह आवश्यक हो जाता है कि परिवार पुनः अपनी स्थिति का अवलोकन करे।
वे निम्नलिखित में से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं।
  • लक्ष्यो का पुन: अवलोकन करें।
  • व्यय कम करें।
  • बचत अवधि में वृद्धि करें।
  • अपनी आय में वृद्धि करें।
बचत हेतु उपरोक्त विकल्पों में से दो अथवा तीन विकल्पों का एक साथ प्रयोग किया जा सकता है। प्रत्येक परिवार के आकार लक्ष्यों एवं व्यय करने की प्रवृति में अन्तर होता है। इस कारणवश एक परिवार कितनी बचत करे यह एक व्यक्तिगत प्रश्न है। परिवार के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कितनी बचत की आवश्यकता होगी यह उस परिवार के सदस्यों को स्वयं निर्धारित करना पड़ता है। कछ विशेषज्ञों के अनुसार व्यक्ति को अपनी आय का कम से कम 20 प्रतिशत भाग बचत के रूप में सुरक्षित रखना चाहिए। इसी आय के शेष 50 प्रतिशत भाग से मूल आवश्यकतों की पूर्ति एवं 30 प्रतिशत से अन्य ऐच्छिक व्ययों की पूर्ति की जानी चाहिए।
एक अच्छी बचत हेतु क्या-क्या उपयोगी सुझाव हो सकते हैं, आइए जानें।

बचत हेतु उपयोगी सुझाव

निम्न दिए गए सझाव बचत के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

बचत की शुरुआत शीघ्र करें
बचत करने के लिए किसी विशेष दिन का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं होती है और न ही यह आवश्यक है कि आप बचत एवं निवेश के क्षेत्र में विशेषज्ञ हों। बचत की शुरुआत शीघ्र करें। प्रत्येक माह कुछ न कुछ बचत अवश्य करें। छोटी-छोटी बचत से एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। व्यक्तियों को अपने बच्चों में भी बचत करने की आदत डालनी चाहिए । आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करने का उपाय है कि लम्बी अवधि के लिए सतत् बचत की जाए तथा इसकी शुरुआत शीघ्र की जाए।

व्यय करने से पूर्व बचत करें
सफल निवेशक वारेन बुफे (Warren Buffet) के अनुसार व्यय करने से पूर्व बचत के विषय में अवश्य सोचें। बचत के उपरान्त आय में से जो धन शेष रहे केवल उसे व्यय करें। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु हम बैंक में प्रत्येक माह आवश्यक रूप से एक निश्चित धनराशि चयनित उपक्रम जैसे आवर्ती जमा खाता, सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान आदि मे निवेश कर दें। निवेश इस प्रकार का होना चाहिए जहाँ से धन पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान न हो। 
मासिक व्यय के लिए एक बजट बनाएं
अपने मासिक व्यय को नियंत्रित करने के लिए एवं बचत योग्य धन जुटाने के लिए अपना मासिक बजट बनाएं एवं उसके अनुरूप व्यय करें। जहाँ तक संभव हो निर्धारित बजट का पालन करें।

अनावश्यक व्यय करने से बचें
बचत करने के लिए यह आवश्यक है कि हम अनावश्यक व्यय पर प्रतिबंध लगाएं। वर्तमान में भारतीय शहरी परिवेश में बहुत परिवर्तन आया है। बाजार में उपभोक्ता को लुभाने के लिए कई प्रकार की वस्तुएँ उपलब्ध हैं। कई बार उपभोक्ता लालच अथवा तात्कालिक प्रलोभन के कारण कुछ ऐसी वस्तुओं को क्रय कर लेते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार धन की व्यर्थ बर्बादी होती है, साथ ही उपभोक्ता की बचत भी प्रभावित होती है। बचत में वृद्धि करने के लिए यह आवश्यक है कि हम अनावश्यक व्यय करने की प्रवृत्ति से बचें।

क्रेडिट कार्ड का प्रयोग कम करें
वर्तमान समय में कई प्रकार के बिलों आदि के भुगतान इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन करने पड़ते हैं जिसके लिए क्रेडिट कार्ड की आवश्यकता होती है। नगद भुगदान के विपरीत क्रेडिट कार्ड करते समय वास्तविक व्यय का पता नहीं चलता है। क्रेडिट कार्ड से किए गए व्यय पर ब्याज का भुगतान भी अधिक किया जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि क्रेडिट कार्ड का प्रयोग सोच विचार कर किया जाए।

अत्यधिक ब्याज लेने वाले ऋण का भुगदान शीघ्र करें
यदि आपने किसी कारणवश कोई ऐसा ऋण लिया हो जिसके लिए आपको अत्यधिक ब्याज चुकाना पड़ रहा हो तो ऐसे ऋण को प्राथमिकता दें तथा शीघ्र चकाने का प्रयास करें। अत्यधिक ब्याज के कारण आय का एक बड़ा भाग इस प्रकार के ऋण चुकाने में व्यय हो जाता है एवं बचत के लिए कुछ भी शेष नहीं रहता है। यदि दीर्घ अवधि तक ऋण यथावत रहे तो आर्थिक परेशानी का कारण बन सकता है। बचत करने के लिए यह आवश्यक है कि ऋण के बोझ से शीघ्र छुटकारा पा लिया जाए।

बचत एवं विनियोग के साधनों में विविधता रखें
विनियोग के विशेषज्ञों का यह मत है कि बचत एवं विनियोग के साधनों के चुनाव में विविधता होनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि सारा धन एक ही प्रकार की योजना अथवा बचत उपक्रम में निवेश न किया जाए। सभी प्रकार के निवेश में किसी न किसी प्रकार का जोखिम अवश्य रहता है। यदि निवेशक द्वारा बचत उपक्रम, जहाँ निवेशक की बचत का सारा धन एकत्रित है, में घाटा हो तो निवेश किए गए मूल धन की भी हानि हो सकती है। लाभ की स्थिति के विपरीत वह स्वयं को आर्थिक संकट की स्थिति में पायेगा। ऐसी स्थिति से बचने के लिए आर्थिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि सम्पूर्ण धनराशि एक स्थान पर न लगाई जाए। बचत एवं विनियोग के साधनों के चुनाव में विविधता का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

मूलधन की सुरक्षा सुनिश्चित करें
बचत अथवा विनियोग के साधनों के चुनाव में सावधानी रखें। किसी भी योजना में निवेश करने से पूर्व इस प्रश्न पर अवश्य विचार करें कि क्या इस योजना में निवेश सुरक्षित है? कुछ साधनों में लाभ का प्रतिशत अधिक होता है परन्तु इस प्रकार के साधनों में जोखिम भी अधिक होता है। व्यवसायिक इकाईयों के अंश, प्रतिभूतियों, म्यूचुअल फंड आदि खरीदने में जोखिम अधिक रहता है। इनमें निवेश करने से पूर्व यह आवश्यक है कि इन अंशों एवं प्रतिभूतियों की साख, प्रकृति, आर्थिक स्थिति पर सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त की जाए। इनके सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी एवं सम्बन्धित जोखिम पर विचार करने के उपरान्त ही निर्णय लें। व्यक्ति धन अर्जित करने में बहुत मेहनत करता है। कई इच्छाओं का त्याग कर वह बचत कर पाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखें एवं कहीं भी निवेश करने से पूर्व यह भली प्रकार सुनिश्चित करें कि इस निवेश में उनका मूलधन सुरक्षित रहेगा। जिन निजी व्यवसायिक इकाईयों की साख अच्छी नहीं होती है उनमें निवेश करने में जोखिम अधिक रहता है और पैसा डूब जाने का भय सदैव बना रहता है। इनकी अपेक्षा सरकारी बचत योजनाओं, प्रतिभूतियों में धन की सुरक्षा का भाव अधिक होता है।

साधन की व्यवस्था में सुविधा
बचत एवं विनियोग के साधनों का चुनाव करते समय यह देख लें कि निवेश प्रक्रिया एवं व्यवस्था अत्यधिक जटिल न हो। कई बार निवेश व्यवस्था की जटिलता के कारण निवेशक का उस साधन में बने रहना कठिन हो जाता है। वे साधन जिनकी व्यवस्था प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल होती है, को अपनाना निवेशक के लिए आसान होता है। इसमें समय, श्रम एवं धन की भी बचत होती है।

आइए इन सुझावों पर संक्षेप में दृष्टि डालें।
  • बचत की शुरुआत शीघ्र करें।
  • व्यय करने से पूर्व बचत करें।
  • मासिक व्यय के लिए बजट बनाएं।
  • अनावश्यक व्यय से बचें।
  • क्रेडिट कार्ड का प्रयोग कम करें।
  • अत्यधिक ब्याज लेने वाले ऋण का भुगदान शीघ्र करें।
  • मूलधन की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
  • बैंक एवं विनियोग के साधनों में विविधता रखें।
  • साधन की व्यवस्था में सुविधा सुनिश्चित करें।

अब हम बचत एवं विनियोग के साधनों के बारे में जानेंगे।

बचत एवं विनियोग के साधन

बचत एवं विनियोग हेतु कई साधन उपलब्ध हैं। कुछ साधन सरकारी क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं तथा कुछ साधन निजी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं। सभी प्रकार के साधनों में धन को उत्पादक रूप में रखा जाता है। सरकारी बचत साधनों में कुछ साधन ऐसे भी हैं जो ग्रामीण एवं निम्न आय वर्ग की बचत को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं।
बचत विनियोग के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं-
  • बैंक
  • डाकघर
  • बीमा
  • यूनिट्स
  • अंश/शेयर
  • ऋण पत्र

आइए इन पर विस्तारपूर्वक चर्चा करें।

बैंक
बचत के साधनों में सर्वाधिक प्रचलित साधन बैंक है। बचत के लिए बैंक की सुविधाओं का प्रयोग अपेक्षाकृत सरल होता है। राष्ट्रीय बैंक में बचत करने से मूलधन सुरक्षित रहता है, यद्यपि ब्याज अधिक प्राप्त नहीं होता है। भारत सरकार द्वारा आजादी के बाद 14 बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया। वर्तमान में इन्हें पब्लिक सेक्टर बैंकों के नाम से जाना जाता है। भारत में 27 पब्लिक सेक्टर बैंक एवं 21 निजी बैंक कार्यरत हैं। व्यक्ति धन की बचत हेतु अन्य योजनाओं की अपेक्षा बैंक का चुनाव अधिक करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि बैंक में धन की सुरक्षा, तरलता एवं व्यवस्था में सुविधा अधिक प्राप्त होती है।
बैंक में धन जमा करने के लिए प्रमुख रूप से तीन प्रकार के खाते होते हैं-
  1. चालू खाता
  2. बचत खाता
  3. निश्चित अवधि खाता
इसके अतिरिक्त व्यक्ति बैंक से ऋण भी ले सकते हैं। आजकल बैंक अपने उपभोक्ताओं को ए. टी. एम., क्रेडिट कार्ड आदि जैसी नवीन सुविधाएँ भी प्रदान करने लगे हैं। उच्च तकनीकों के इस युग में मोबाइल एवं इंटरनेट बैंकिंग की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। बैंक ग्रामीण एवं निम्न आय वर्ग की बचत हेतु भी प्रयासरत रहते हैं। ग्रामीण बचत को प्रोत्साहित करने के लिए बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में भी शाखाएँ खोलते हैं। भारत में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विशेष आवाह्न के कारण बैंकों ने राष्ट्रीय जन धन योजना चलाई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति का बैंक खाता हो। बैंक सुविधाओं का प्रयोग कर सभी आय वर्ग के लोग बचत कर सकते हैं।

डाकघर
भारतीय डाक विभाग भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन है। यह देश की सबसे पुरानी सरकारी संस्थाओं मे से एक है। यह डाक पहुँचाने के अतिरिक्त बैंकों के समान वित्तीय एवं बचत सम्बन्धी कार्य भी करता है। डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ पर बैंक की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहाँ पर बचत साधन के रूप में काफी उपयोगी एवं प्रचलित है। ग्रामीण क्षेत्रों एवं निम्न आय वर्ग द्वारा छोटी-छोटी बचत के लिए डाकघर में सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
डाकघर में बचत के लिए निम्नलिखित योजनाएं चलाई जा रही हैं-
  • डाकघर बचत खाता (Post Office Saving Account)
  • डाकघर आवर्ती जमा खाता (Post Office Recurring Deposit Account)
  • मासिक आय योजना (Monthly Income Scheme)
  • सामान्य भविष्य निधि (Public Provident Fund Account)
  • किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra)
  • सावधि जमा योजना (Fixed Deposit Scheme)
  • राष्ट्रीय बचत पत्र (National Saving Scheme)
  • वद्ध नागरिक बचत योजना (Senior Citizen Saving Scheme)
  • सुकन्या समृद्धि खाता (Sukanya Samridhi Yojana)
डाकघर बचत खाता डाक विभाग की सबसे पुरानी बचत सुविधा है। वर्तमान में डाकघर में लगभग 20.50 करोड़ से अधिक बचत खाते है। यह बचत खाते 1,54,000 डाकघरों द्वारा चलाये जा रहे हैं। डाकघर में बचतकर्ता का परिचय प्राप्त करने के बाद बचत खाता खोला जा सकता है। मात्र 20 रुपये की धनराशि से खाता खोला जा सकता है। दो अथवा तीन व्यक्ति संयुक्त रूप से भी खाता खोल सकते हैं। खाते की संचालन प्रक्रिया एवं अन्य शर्ते बैंकों के समान ही हैं। डाकघर द्वारा संचालित सामान्य भविष्य निधि योजना एवं राष्ट्रीय बचत पत्र योजना बचत साधन के रूप में लोगों में काफी प्रचलित है। सामान्य भविष्य निधि खाता डाकघर में खोला जा सकता है। वर्ष 2014 से इस खाते में 8.70 प्रतिशत की दर से ब्याज प्राप्त होता है। यह खाता मात्र 100 रुपये की धनराशि से खोला जा सकता है परन्तु वर्ष भर के भीतर बचतकर्ता को न्यूनतम 500 रुपये जमा करना अनिवार्य है। सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा धन को आयकर से छूट प्राप्त है। यह खाता अधिकतम 15 वर्ष के लिए खोला जाता है। इस अवधि को पुनः 5 वर्ष तक विस्तारित किया जा सकता है। खाते को 15 वर्ष से पहले बन्द नहीं किया जा सकता है। यह खाता भारतीय स्टेट बैंक एवं कुछ अन्य बैंकों में भी खोला जा सकता है।
डाकघर द्वारा बेचे जाने वाले राष्ट्रीय बचत पत्र भी काफी उपयोगी बचत साधन हैं। यह योजना विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों, व्यापारियों एवं अन्य वेतन भोगियों के लिए उपयोगी है। इन बचत पत्रों में निवेश करने की कोई सीमा नहीं होती है। वर्तमान में इन पर 8.50 प्रतिशत की दर से ब्याज प्राप्त होता है। ये पत्र एक निश्चित अवधि के लिए होते हैं। अवधि के पूर्ण हो जाने पर धनराशि क्रम मूल्य एवं ब्याज सहित वापस प्राप्त होती है।

बीमा
यह बीमा करवाने वाले व्यक्ति एवं बीमा करने वाली संस्था के मध्य एक समझौते के समान होता है। बीमा एक ऐसा साधन है जो दुर्घटना के जोखिम को कम करता है एवं परिवार को ऐसे आकस्मिक आवश्यकताओं के समय में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। यद्यपि बीमा कराने का प्राथमिक उद्देश्य बचत नहीं होता है, परन्तु इसमें निवेश करने के कारण व्यक्ति को सुरक्षा प्राप्त होती है। बीमा करवाने से व्यक्ति के भविष्य की अनिश्चिता के जोखिम का दायित्व बीमा कम्पनी स्वयं पर ले लेती है। भारत में बीमा कराने का कार्य मुख्य रूप से भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India) द्वारा किया जाता है। वर्तमान में कई निजी कम्पनियाँ भी बीमा क्षेत्र में कार्यरत हैं। व्यक्ति स्वयं का अथवा किसी मूल्यवान वस्तु का बीमा करवा सकता है। भारतीय जीवन बीमा निगम की जीवन बीमा योजना में बीमेदार एक निश्चित अवधि तक बचत करता है। अवधि पूर्ण हो जाने पर बीमेदार जमा की गई राशि एवं उस राशि पर प्राप्त ब्याज स्वयं प्राप्त कर सकता है। बीमा करवाने से व्यक्ति के परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती है। प्रीमियम राशि भरने की एक निश्चित अवधि होने के कारण व्यक्ति अनिवार्य रूप से बचत करने के लिए बाध्य हो जाता है। बीमा में जमा राशि को आयकर से भी छूट प्राप्त होती है। वर्तमान में बीमा के कई प्रकार अस्तित्व में हैं।

बीमा को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
  1. जीवन बीमा (Life Insurance)
  2. सामान्य बीमा (General Insurance )

जीवन बीमा के निम्नलिखित प्रकार हैं-
  1. पूर्ण जीवन बीमा (Whole life insurance)
  2. सीमित भुगतान आजीवन बीमा (Limited payment whole life insurance )
  3. बंदोबस्ती बीमा (Endowment insurance)

सामान्य बीमा के निम्नलिखित प्रकार हैं-
  • वाहन बीमा
  • घर एवं संपत्ति का बीमा
  • दुर्घटना बीमा
  • स्वास्थ बीमा
  • यात्रा बीमा
बचत के साथ-साथ विनियोग के भी साधन उपलब्ध हैं जैसे, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के यूनिट्स, अंश एवं ऋण पत्र। इसमें निवेश कर व्यक्ति बचत के साथ-साथ अच्छा लाभांश भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वे राष्ट्रीय औद्योगिक विकास में भी भागीदारी प्राप्त कर सकते हैं।

यूनिटस
वर्ष 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की स्थापना की गई। इसका प्रमुख उद्देश्य था कि देश में निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के व्यक्तियों की बचत एवं निवेश को बढ़ावा मिले, साथ ही आम आदमी की राष्ट्रीय औद्योगिक विकास में हिस्सेदारी हो। यूनिट ट्रस्ट द्वारा यूनिट्स विक्रय किए जाते हैं। एक यूनिट का मूल्य 10 रु0 होता है। एक व्यक्ति को कम से कम 10 यूनिट क्रय करने होते हैं। यूनिट्स में निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं होती है। ट्रस्ट निवेशकों के धन का विनियोग पूँजी बाजार में करता है। आम आदमी को अक्सर अच्छी साख प्राप्त कम्पनियों के विषय में अधिक जानकारी नहीं होती है। यूनिट ट्रस्ट बाजार में निवेश करने का अपेक्षाकृत सुरक्षित माध्यम है क्योंकि धन का विनियोग कई प्रतिभूतियों के मध्य किया जाता है। निवेशक को सतत् आय भी प्राप्त होती है।
इसके अतिरिक्त निवेशक कभी भी यूनिट्स विक्रय कर सकता है। यूनिट्स के अलावा यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की कई अन्य योजनाएँ भी हैं जिनमें निवेश किया जा सकता है।

अंश/शेयर
विनियोग करने के लिए अंश भी एक विकल्प है। अंश किसी कम्पनी के स्वामित्व में व्यक्ति की भागीदारी को दर्शाते हैं। बड़े उद्योगों को चलाने के लिए एक बड़ी धनराशि की आवश्यकता होती है। कम्पनी यह धनराशि मिश्रित पूँजी के माध्यम से एकत्रित करती है। कम्पनी अपनी पूँजी के छोटे-छोटे हिस्से, अंश अथवा शेयर जनता में बेचती है। कम्पनी द्वारा प्राप्त लाभ में से हिस्सेदारों को लाभांश प्राप्त होता है। अंश में निवेश करने में जोखिम भी अवश्य रहता है। इसलिए निवेश में सावधानी महत्वपूर्ण है।

ऋण पत्र
जनता से पूँजी एकत्रित करने एवं निवेश करने का एक माध्यम ऋण पत्र भी होते हैं। ऋण पत्र द्वारा कम्पनी जनता से ऋण प्राप्त करती है। ऋण पत्रों की ब्याज दर निश्चित होती है। किसी भी दशा में, चाहे कम्पनी को लाभ हो अथवा हानि, ऋण पत्र क्रय करने वालों को मूलधन एवं ब्याज अवश्य प्राप्त होता है।

सारांश

आय का वह अंश जिसे वर्तमान में व्यय न कर भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उत्पादक रूप में रख दिया जाता है, बचत कहलाता है। बचत एवं संचय में अंतर होता है। जब धन को उत्पादक रूप में रखा जाता है, तो वह बचत कहलाती है। यह धन राष्ट्र निर्माण एवं पूँजी निर्माण हेतु प्रयोग में लाया जाता है। अनुत्पादक रूप में एकत्रित धन केवल संचय होता है। बचत का परिवार के लिए विशेष महत्व है। बचत परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है, अनावश्यक व्यय पर प्रतिबंध लगाने में सहायक होती है, आय में वृद्धि का साधन है, आय-व्यय की असमानता को समाप्त करती है एवं लक्ष्यों की पूर्ति संभव करती है। बचत का निर्धारण तीन प्रमुख कारकों द्वारा होता है बचत क्षमता, इच्छा एवं उपलब्ध सुविधाएं। बचत एवं विनयोग के साधनों में कुछ अंतर पाया जाता है। परिवार कितनी बचत करे यह परिवार के लक्ष्यों पर निर्भर करता है। परिवार को स्वयं के लिए बचत राशि लक्ष्य का निर्धारण करना आवश्यक है। परिवार को अपनी आय का कम से कम 20 प्रतिशत भाग बचत के रूप में सुरक्षित रखना चाहिए । बचत हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं जैसे, बचत की शुरुआत शीघ्र करना, व्यय करने से पूर्व बचत करना, बजट बनाना, अनावश्यक व्यय पर प्रतिबंध लगाना, अधिक ब्याज वाले ऋण का प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र भगतान आदि। बचत एवं विनियोग के प्रमुख साधन बैंक, डाकघर, बीमा, यूनिट्स, अंश एवं ऋण पत्र हैं। इन साधनों का उपयोग कर व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार बचत कर सकता है।

परिभाषिक शब्दावली
  • बचत: आय का वह भाग जो वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति में उपयोग नहीं किया जाता वरन् भविष्य में उपयोग हेतु उत्पादक रूप में सुरक्षित रखा जाता है।
  • आर्थिक सुरक्षा: यह वह स्थिति है जब व्यक्ति के पास पर्याप्त बचत राशि हो एवं वह भविष्य की आर्थिक परेशानियों से ग्रसित न हो।
  • दीर्घकालीन उद्देश्य: वे लक्ष्य जिनकी पूर्ति में अधिक समय लगता है। ये लक्ष्य स्थायी प्रकृति के होते हैं जैसे भवन निर्माण, उच्च शिक्षा आदि।
  • बैंक: वह संस्था जो ग्राहकों के धन की रक्षा करती है, ऋण एवं विनियोग हेतु जनता से धन प्राप्त करती है। बैंक रुपये के लेन-देन से सम्बन्धित अन्य सुविधाएँ भी प्रदान करता है।
  • बीमा: यह बीमा करवाने वाले व्यक्ति एवं बीमा कम्पनी के मध्य एक समझौता होता है। बीमा दुर्घटना जोखिम को कम करता है एवं परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।

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