एकात्मक शासन प्रणाली - अर्थ, विशेषताएं, गुण एवं दोष | ekatmak shasan pranali

प्रस्तावना

वर्तमान में छोटे राज्यों के साथ बड़े राज्य भी अस्तित्व में हैं। इन बड़े और विस्तृत राज्यों का शासन एक केन्द्रीय आधार पर या एक स्थान से कुशलता के साथ नहीं किया जा सकता। इसीलिए शासन की सुविधा की दृष्टि से समस्त राज्य को कई इकाइयों में बांट दिया जाता है। तत्पश्चात केन्द्र एवं इकाइयों में शक्तियों का विभाजन किया जाता है।
ekatmak shasan pranali
संविधान द्वारा क्षेत्र के आधार पर शक्तियों का जो केन्द्रीकरण या वितरण किया जाता है और देश के शासन में केन्द्रीय और स्थानीय इकाइयों के बीच जो सम्बन्ध होता है,उसके आधार पर शासन व्यवस्थाओं को एकात्मक और संघात्मक दो रूपों में वर्गीकृत किया जाता है।

एकात्मक शासन प्रणाली का अर्थ एवं परिभाषा

एकात्मक शासन व्यवस्था में, शक्तियों का केन्द्रीकरण होता है। संविधान द्वारा शासन की समस्त शक्तियाँ केवल केन्द्रीय सरकार को ही सौंपी जाती हैं तथा इकाइयों को शासन की शक्तियाँ केन्द्र से प्राप्त होती हैं। स्थानीय अथवा इकाइयों की सरकारों का अस्तित्व एवं शक्तियों केन्द्रीय सरकार की इच्छा पर निर्भर करती है।
एकात्मक शासन व्यवस्थाओं के प्रमुख उदाहरण हैं- ब्रिटेन, फ्रांस,चीन और बेल्जियम।

विभिन्न विद्वानों ने एकात्मक शासन की परिभाषाएँ दी हैं-
  • सी. एफ. स्ट्रांग के अनुसार “एकात्मक शासन में केन्द्रीय सरकार सर्वोच्च होती है तथा सम्पूर्ण शासन एक केन्द्रीय सरकार के अधीन संगठित होता है और उसके अधीन जो भी क्षेत्रीय प्रशासन कार्य करता है, उसकी शक्तियाँ उसे केन्द्र सरकार से प्राप्त होती हैं। "
  • फाइनर के शब्दों में “एकात्मक शासन वह शासन है जिसमें सम्पूर्ण सत्ता, शक्ति, केन्द्र में निहित होती है और जिसकी इच्छा एवं अभिकरण पूर्ण क्षेत्र पर वैद्य रूप से मान्य होते हैं।"
  • प्रो. गार्नर के अनुसार “एकात्मक शासन, शासन का वह रूप है जिसमें शासन की सर्वोच्च शक्ति संविधान के माध्यम से एक केन्द्रीय सरकार को प्राप्त होती है तथा केन्द्र एवं स्थानीय सरकार के बीच संवैधानिक शक्ति का विभाजन नही होता और केन्द्र सरकार से ही स्थानीय सरकारों को शक्ति एवं स्वतंत्रता प्राप्त होती है।"
  • डायसी के शब्दों में “एकात्मक राज्य में कानून बनाने की समस्त शक्तियाँ केन्द्रीय सत्ता के हाथों में निवास करती हैं।
  • विलोबी के शब्दों में “एकात्मक शासन में शासन के सम्पूर्ण अधिकार मौलिक रूप से एक केन्द्रीय सरकार में निहित रहते हैं तथा केन्द्रीय सरकार अपनी इच्छानुसार शक्तियों का वितरण इकाइयों में करती है।"

एकात्मक शासन प्रणाली के विशेषताएं

एकात्मक शासन प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

शासन की पूर्ण शक्ति केन्द्र में निहित
एकात्मक शासन की प्रमुख विशेषता यह है कि शासन कार्य की समस्त शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार में निहित रहती हैं। शासन की सुविधा के लिए राज्य को प्रदेशों एवं प्रान्तों में बाँटा जा सकता है किन्तु इन प्रदेशों व प्रान्त सरकारों को शासन कार्य के लिए स्वतंत्र शक्तियाँ प्राप्त नहीं होती। केन्द्र ही उन्हें आवश्यकतानुसार शक्तियाँ देता है। उन्हें केन्द्र के अधीन रहकर ही कार्य करना होता है और इनका अस्तित्व पूर्णतः केन्द्र सरकार की इच्छा पर निर्भर रहता है।

इकहरी नागरिकता
एकात्मक शासन में नागरिकों को इकहरी नागरिकता(केन्द्र की) प्राप्त होती है। जबकि संघात्मक शासन में केन्द्र व राज्यों की पृथक-पृथक यानि दोहरी नागरिकता प्राप्त होती है।

एक संविधान
एकात्मक शासन में सम्पूर्ण राष्ट्र का एक संविधान होता है। इकाइयों के लिए कोई अलग संविधान नहीं होता। संघात्मक शासन में कहीं-कहीं पर इकाइयों के अलग-अलग संविधान भी होते हैं। जैसे भारत में जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान हैं। एकात्मक शासन वाले राज्यों में ऐसा नहीं होता।

एकात्मक शासन प्रणाली के गुण

शासन में एकरूपता व शक्ति सम्पन्नता
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन में एकरूपता पाई जाती है। सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक सा कानून होता है और केन्द्र के निर्देशन में उसे समान रूप से सर्वत्र लागू किया जाता है। फलतः पूरे राष्ट्र के शासन कार्यों में एकरूपता बनी रहती है। शासन की इस एकरूपता के कारण शासन-शक्ति संगठित रहती है, शासन कार्यों में दृढ़ता एवं मजबूती आ जाती है और संकट के समय यह शीघ्र निर्णय लेने के लिए सक्षम हो जाता है।

राष्ट्रीय एकता में वृद्धि
एकात्मक शासन व्यवस्था में सम्पूर्ण राज्य में एक सा कानून, एक सी शासन व्यवस्था होने तथा सभी को एक समान न्याय मिलने के कारण, आपसी मतभेद पैदा नहीं हो पाते। सभी के साथ एक सा व्यवहार होने के कारण नागरिकों में राष्ट्र के प्रति सम्मान पैदा होता है और राष्ट्रीय एकता में वृद्धि होती हैं।

संकटकाल के लिए उपयुक्त
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन की शक्ति एक ही स्थान पर केन्द्रीत होने के कारण संकट के समय यह शीघ्र निर्णय लेने में सक्षम होता है। इन निर्णयों को गुप्त भी रखना होता है और शीघ्र ही कार्यान्वित भी करना पड़ता है, इस हेतु एकात्मक शासन ही सक्षम होता है।

मितव्ययता
एकात्मक शासन व्यवस्था में एक ही स्थान से शासन का संचालन होने और राज्य इकाइयों में अलग से कोई मंत्रिमण्डल व व्यवस्थापिका का गठन न करने से काफी खर्च बच जाता है। इस दृष्टि से यह मितव्ययी शासन व्यवस्था है।

छोटे राज्यों के लिए उपयोगी
एकात्मक शासन व्यवस्था छोटे राज्यों के लिए बहुत ही उपयोगी है, क्योंकि इसमें सम्पूर्ण शासन का संचालन एक ही स्थान से किया जाता है।

नीति संबंधी निर्णय में एकरूपता
एकात्मक शासन प्रणाली में नीति संबंधी जो भी निर्णय लिए जाते हैं उनमें एकरूपता बनी रहती है क्योंकि ये निर्णय एक स्थान से अर्थात केन्द्र से लिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त नीति-संबंधी निर्णयों के लिए केन्द्र को राज्य सरकारों से कोई भी राय व सहमति नहीं लेनी होती है, जिस कारण नीति संबंधी निर्णयों में एकरूपता आ जाती हैं।

आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त
एकात्मक शासन व्यवस्था में एक ही स्थान से निर्णय लिये जाने के कारण पूरे राष्ट्र की आर्थिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जा सकते हैं, जिस कारण यह व्यवस्था आर्थिक विकास के लिए उपयोगी होती हैं।

सुदृढ़ अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति
एकात्मक शासन की स्थिति अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में काफी सुदृढ़ रहती है, क्योंकि इसके अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में शीघ्रता से निर्णय लिया जा सकता है, समान रूप की नीति का अनुसरण किया जा सकता है और अन्तर्राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों को अधिक कुशलता के साथ निभाया जा सकता है।

संघर्ष की सम्भावना नही
एकात्मक शासन में शासन की समस्त शक्तियों केन्द्र के हाथों में रहती हैं तथा इकाइयों केन्द्र के पूर्णतः अधीन होकर कार्य करती हैं. जिस कारण केन्द्र तथा इकाइयों के बीच संघर्ष की सम्भावना नहीं रहती है। प्रशासनिक निर्णय लेने में आसानी होती है।

एकात्मक शासन प्रणाली के दोष

शासन कार्य में कुशलता की कमी
एकात्मक शासन में शासन कार्यों का सम्पूर्ण संचालन एक ही स्थान अर्थात् केन्द्र से संचालित होता है, जिसे शासन कार्य की कुशलता के लिए उपर्युक्त नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक ही स्थान से केन्द्रीय सरकार पूरे देश में कुशल शासन संचालन कर ले यह सम्भव नहीं है। अतः देश के सभी भागों के हितों व आवश्यकताओं की पूर्ति केन्द्र द्वारा नहीं हो सकती।

लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध
एकात्मक शासन व्यवस्था लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध हैं क्योंकि इसमें प्रान्तीय अथवा स्थानीय स्वशासन को वो महत्ता नहीं मिलती जो लोकतंत्र में मिलती है।

शासन की निरंकुशता की सम्भावना
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन की निरंकुशता का भय बना रहता है क्योंकि शासन की समस्त शक्तियाँ केन्द्र में ही निहित होती हैं।
केन्द्र अपनी शक्तियों को बढ़ा कर निरंकुश न हो जाए और शासन के सभी क्षेत्रों में अपनी मनमानी न करने लगे, इस बात की सम्भावना बनी रहती हैं।

विविधताओं वाले राष्ट्रों में असफल
एकात्मक शासन व्यवस्था विविधताओं वाले राष्ट्रों में असफल रहती हैं, छोटे-छोटे राज्यों के लिए यह शासन व्यवस्था सफल हो सकती है, बड़े व विविधताओं वाले राष्ट्रों में नहीं, क्योंकि एक ही स्थान से शासन चलाने पर विभिन्न जाति, धर्म, भाषाओं व नस्लों के लोगों के हितों की पूर्ति सम्भव नहीं हो सकती।

स्थानीय संस्थाओं के क्रिया-कलापों पर प्रतिबन्ध
एकात्मक शासन व्यवस्था में, शासन में इतनी कठोरता और अंकुश रहता है कि इससे स्थानीय संस्थाओं के क्रिया-कलापों पर प्रतिबन्ध लग जाते हैं उनकी स्वायत्तता लगभग समाप्त ही हो जाती है।

शासन कार्यो के प्रति उदासीन जनता
एकात्मक शासन-व्यवस्था में जनता को सार्वजनिक कार्यो में भागीदारी का पूर्ण अवसर प्राप्त नहीं होता, जिस कारण जनता सार्वजनिक कार्यों के प्रति उदासीन रहती हैं। जनता को प्रशासनिक कार्यो में भाग लेने का अवसर प्राप्त न होने के कारण उन्हें राजनीतिक ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता है।

क्रान्ति का भय
एकात्मक शासन पर अनुदार होने का आरोप लगाया जाता है, क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों का अपरिवर्तनशील श्रृंखलाबद्ध शासन स्थापित हो जाता है। अपनी उदारता के कारण यह प्रगति विरोधी हो जाता है तथा नई योजनाओं को जल्दी क्रियान्वित नहीं करता। फलस्वरूप इस शासन व्यवस्था में क्रान्ति का भय उत्पन्न हो जाता है।

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