विज्ञापन क्या है? | advertisement in hindi

विज्ञापन

सामान्य रूप में विज्ञापन का आशय किसी तथ्य विशेष जानकारी देने से है किन्तु व्यावसायिक जगत में विज्ञापन का अर्थ बहुत व्यापक है। हम प्रतिदिन असंख्य विज्ञापन संदेश देखते व सुनते है जो हम अनेक उत्पादों जैसे- बीमा पॉलिसियाँ, डिटर्जेन्ट पाउडर, शीतल पेय, एक सेवाओं जैसे शिक्षा संस्थान, अस्पताल, होटल आदि के सम्बन्ध में बताते है। विज्ञापन में टेलीविजन रेडियों, समाचार पत्र, पत्रिका, परिवहन के साधनों, सिनेमा आदि के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी जन-जन को दी जाती है।
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सामान्य जनता विज्ञापन के माध्यम से वस्तुओं को खरीदने के लिये प्रेरित होती है। यह व्यक्तिगत सम्प्रेषण होता है जिसका भुगतान विपणनकर्ता कुछ वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन के लिये करते हैं।

विज्ञापन की परिभाषाएँ

डेविड ओगिल्वी के अनुसार
यदि आप लोगों को कुछ करने या कुछ खरीदने के लिये प्रोत्साहित करते हैं तो आपको उनकी ही भाषा का प्रयोग करना चाहिये, जिसमें की वे सोचते है।

शैल्डन के अनुसार
"विज्ञापन वह व्यावसायिक शक्ति है जिसमें मुद्रित शब्दों द्वारा विक्रय वृद्धि में सहायता मिलती है, ख्याति का निर्माण होता है तथा साख में वृद्धि होती है।"

व्हीलर के अनुसार
"विज्ञापन लोगों को क्रय करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विचारों, वस्तुओं अथवा सेवाओं का अवैयक्तिक प्रस्तुतीकरण है जिसके लिये भुगतान किया जाता है।"

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार
" विज्ञापन एक सुनिश्चित विज्ञापक द्वारा अवैयक्तिक रूप से विचारों, वस्तुओं या सेवाओं को प्रस्तुत करने तथा संवर्द्धन करने का एक प्रारूप है जिसके लिये विज्ञापक द्वारा भुगतान किया जाता है।"

उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते है कि विज्ञापन अवैयक्तिक सन्देश है जिसमें उन दृश्यों एवं मौखिक सन्देशों को शामिल है जो सिनेमा, टेलीविजन, यातायात के साधनों, पत्र-पत्रिकाओं, बाह्य साइन र्बोडों एवं अन्य साधनों द्वारा जन सामान्य को वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी दी जाती है ताकि उपभोक्ताओं को वस्तु क्रय करने हेतु प्रेरित किया जा सके। विज्ञापन के लिये प्रायोजक/विज्ञापक द्वारा भुगतान किया जाता है।

विज्ञापन के उद्देश्य

विज्ञापन के विरोधियों का कहना है कि विज्ञापन पर किया गया व्यय एक सामाजिक अपव्यय है क्योंकि इससे लागत में वृद्धि होती है लोगों की आवश्यकताओं में वृद्धि होती हैं व सामाजिक मूल्यों में गिरावट आती है। लेकिन दूसरी तरफ विज्ञापनों के समर्थकों द्वारा तर्क दिया गया कि विज्ञापन बहुत उपयोगी है क्योंकि इसके माध्यम से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सकता है, प्रति इकाई उत्पादन लागत को कम करता है तथा अर्थ व्यवस्था के विकास में सहायक होता है।
विज्ञापन के उद्देश्य निम्न प्रकार है-
  1. विक्रय वृद्धि - विज्ञापन का प्रथम व अन्तिम उद्देश्य उत्पाद की बिक्री उपभोक्ताओं में वस्तु के प्रति इच्छा जाग्रत करना विज्ञापन का उद्देश्य होता है। विज्ञापन निरन्तर वस्तु की मांग को बढाता है जिससे विक्रय में वृद्धि होती है।
  2. नये ग्राहक बनाना - विज्ञापन का उद्देश्य नये ग्राहक बनाना है। विज्ञापन के माध्यम से वस्तु की उपलब्धि, कीमत, उपयोग आदि के बारे से जानकारी मिल जाती है जिससे ग्राहक विभिन्न वस्तुओं की तुलना करके विवेकपूर्ण एवं सुविधापूर्ण क्रय कर सकता है।
  3. नये बाजारों में प्रवेश करना - विज्ञापन का उद्देश्य मांग को बढ़ाना है व उपभोक्ताओं की पुरानी उपभोग आदतों एवं रूचियों में परिवर्तन कर नये उत्पाद को उपयोग में लेने के लिये प्रेरित करना है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती है व नये बाजारों में प्रवेश करना संभव होता है।
  4. मध्यस्थों को आकर्षित करना - प्रभावी एवं निरन्तर विज्ञापन करने से संस्था की ख्याति बढती है जिसके कारण सुदृढ़ एवं प्रतिष्ठित मध्यस्थ संस्था से जुड़ जाते है व अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते हैं। इस प्रकार विज्ञापन का उद्देश्य मध्यस्थों को आकर्षित करना भी है।
  5. उपभोक्ता के खरीदने के उद्देश्य व किसी विशेष ब्राण्ड की वस्तु पर प्रभाव डालना - उपभोक्ता वस्तु को खरीदने के लिये उसके आस-पास ही होता है इसलिये वह सम्भावित बिक्री के करीब ही होता है ओर वह विवेकपूर्ण व विश्वसनीयता से वस्तु के प्रति अपनी इच्छा को बताता है। वह उस वस्तु को खरीद भी सकता ओर नहीं भी खरीद सकता है। इस खरीद की असमन्जस वाली स्थिति से उपभोक्ता को प्रभावित करके उपभोक्ता द्वारा विज्ञापन उत्पाद को खरीद लेना ही विज्ञापन का उद्देश्य है।
  6. अपने उत्पाद या ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता और जिज्ञासा को बढाना - अपने ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ताओं में जागरूकता एवं रूचि बनाये रखना एक लोकप्रिय विज्ञापन का उद्देश्य होता है। किसी भी ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता ब्राण्ड के अस्तित्व और उसकी जानकारी को इंगित करती है। यदि उपभोक्ता की धारणा (विश्वास) वस्तु के प्रति बदलती है तो यह उसे किसी उत्पाद से जोड़ने के लिये राजी करने को बढावा देता है। जो सीधे-सीधे उपभोक्ता की पसन्द में बदलाव को प्रभावित करता है।
  7. वस्तु का प्रयोग एक बार करने के बाद बार-बार प्रयोग करने की आदत डालने के लिये उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करना।
  8. अन्य वस्तुओं (ब्राण्ड) से उपभोक्ता को अपनी वस्तु की तरफ परिवर्तित करना।

विज्ञापन के माध्यम

विज्ञापन का माध्यम वह साधन है जिसके द्वारा विज्ञापन का सन्देश अथवा वस्तुओं या सेवाओं की जानकारी जनता तक पहुचायी जाती है। उदाहरण के लिये विभिन्न प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधनों का विज्ञापन टी.वी., समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं, सौन्दर्य प्रसाधन निर्माता द्वारा चुने गये विज्ञापन माध्यम है।
विज्ञापन के विभिन्न माध्यम होते है जिनमें से प्रमुख निम्न है-

बाह्य विज्ञापन
बाह्य विज्ञापन का आशय ऐसे विज्ञापन से है जो दीवारों, परिवहन के साधनों, पोस्टरों, विद्युत साइन बोर्ड, होर्डिग्स, स्टीकर द्वारा किये जाते है। इस विज्ञापन में आकर्षक चित्रों एवं रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप राह चलते लोगों का ध्यान स्वतः ही इनकी और आकर्षित हो जाता है। उदाहरण के लिये राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चित्र वाले होर्डिंगस जो राज्य के प्रमुख शहरों में लगे हैं, बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी और खींच लेते हैं।
बाह्य विज्ञापन के प्रमुख साधन इस प्रकार है-
  • दीवार लेखन- इसमें विज्ञापन कर्ता अपने सन्देश को दुकान, मकान की दीवारों, पुलिया की दीवार पर बडे-बडे अक्षरों में लिखवा देता है।
  • पोस्टर तथा होर्डिंग्स- पोस्टर दीवारों, गली के कोनों, बसों के चारों और रेल्वे स्टेशन, टेलीफोन के खम्भों आदि पर लगाने या चिपकाये जाते है। इसमें विज्ञापन संदेश कागज, कार्ड बोर्ड, लोहे की चादरों या लकडी के चौखटों पर लगे कपडे पर लिखा होता है। होर्डिंग्स को चौराहे, बहुमंजिले मकान की छतों या सड़क के किनारों पर नियत स्थान पर लगाये जाते है।
  • विद्युत साइन बोर्ड- इसमें रंगीन बल्बों या गैस की टयूब लाईटों से विज्ञापन बोर्ड को सजाया जाता हैं। ये रात्रि के समय उपभोक्ताओं को आकर्षित करते हैं।

परिवहन विज्ञापन
यह परिवहन के साधनों (बस, ट्राम, रेल, कार, वायुयान) पर किये जाने वाला विज्ञापन है। परिवहन विज्ञापन में कार काउंस का प्रयोग बहुतायत से होता है। कार कार्डस बसों टेक्सियों, रेल के डिब्बों, कार के शीशों आदि के अन्दर लगे होते है। यात्री को गन्तव्य स्थल तक पहुंचने में पर्याप्त समय लगता है अतः वह कार कार्डस को समय व्यतीत करने के लिये फुरसत से पढता है। कार कार्डस के अतिरिक्त परिवहन साधनों के बाहर भी पोस्टर लगाकर या विज्ञापन सन्देश लिखकर विज्ञापन किया जाता है।

समाचारपत्रीय विज्ञापन
समाचार पत्र विज्ञापन का लोकप्रिय एवं बहु प्रचलित माध्यम है। सभी समाचार पत्रों में विज्ञापन बहुतायत से देखने को मिलते है।
समचार -पत्र में विज्ञापन दो तरह के होते है- (1) वर्गीकृत विज्ञापन में विज्ञापन समाचार-पत्र में निर्धारित स्थान पर निश्चित शीर्षकों के अन्तर्गत छपते है, जैसे- टेण्डर, नीलामी, नौकरी, क्रय, विक्रय, शिक्षा, शादी-विवाह आदि। वर्गीकृत विज्ञापनों में सीमित शब्दों का प्रयोग किया जाता है-
  • वर्गीकृत विज्ञापन का नमूना
  • मेडिसिन कम्पनी हेतु
  • एकाउन्टेन्ट की शीघ्र
  • आवश्यकता अच्छा वेतन
  • शीघ्र सम्पर्क करें - XYz
  • मेडिसिन, जयपुर

अवर्गीकृत विज्ञापन
इस प्रकार के विज्ञापन के लिये समाचार पत्र में कोई स्थान निश्चित नहीं होता है। विज्ञापक की इच्छानसार ये विज्ञापन समाचार-पत्र में किसी भी पृष्ठ पर दिये जा सकते है। इन विज्ञापनों में रंगों आकर्षक अक्षरों तथा चित्रों का प्रयोग किया जाता है तथा वस्तु की विशेषताएं एवं मिलने के स्थान के बारे में जानकारी दी जाती है।
समाचार पत्रों के माध्यम से विज्ञापन का क्षेत्र व्यापक होता है तथापि इनका जीवन अल्पकालीन होता है तथा केवल शिक्षित वर्ग के लिये उपयुक्त होते है।

पत्रिका विज्ञापन
विभिन्न साप्ताहिक, पाक्षिक मासिक त्रैमासिक पत्रिकाओं में जो विज्ञापन प्रकाशित होते है उन्हें पत्रिका विज्ञापन कहा जाता है। पत्रिकायें आर्थिक, धार्मिक, फिल्मी, राजनैतिक, साहित्यिक प्रकार की होती है। इण्डिया टुडे, गृहशोभा, वामा, सरिता, सहेली, योजना, खेल जगत, बिजनेस वर्ल्ड, आदि देश में छपने वाली प्रमुख पत्रिकायें है। पत्रिका विज्ञापन समाचार पत्रीय विज्ञापन की तुलना में अधिक सुसज्जित एवं आकर्षक तथा दीर्घ जीवी होते है।

सैण्डविच मैन विज्ञापन
सैण्डविच मैन विज्ञापन में कुछ लोगों को विचित्र वेशभूषा पहना दी जाती हैं एवं उनके चारों और विज्ञापित वस्तु के पोस्टर लगा दिये जाते है। सैण्डविच मैन के विचित्र पहनावे कारण जनसामान्य का ध्यान इनकी और खिंच जाता है और जन सामान्य इनके चारों ओर लगे पोस्टर को पढ़ सकते है। इस तरह से भी विज्ञापन हो जाता है। बीडी, सिगरेट के निर्माता सैण्डविच मैन विज्ञापन को काम में लेते है।

डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन
डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन में विज्ञापक संभावित ग्राहकों को विज्ञापन सामग्री डाक द्वारा भेजता है। इसमें ग्राहकों को विक्रय पत्र, गश्ती पत्र, केटलॉग, मूल्य सूची, फोल्डर, पुस्तिकाएँ आदि भेजे जाते है ताकि उन्हें क्रय करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
डाक द्वारा विज्ञापन में व्यवसायी और उपभोक्ता के मध्य प्रत्यक्ष सम्पर्क बना रहता है एवं उपभोक्ता को विस्तृत संदेश दिया जा सकता है।

मनोरंजन विज्ञापन
मनोरंजन विज्ञापन के साधनों में रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, रेडियो, केसेट, मेले, प्रदर्शनियों तथा ड्रामा व संगीत कार्यक्रम को सम्मिलित किया जाता है। रेडियो एवं टेलीविजन विज्ञापन के महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय साधन है। टी.वी. विज्ञापन की सुविधा राष्ट्रीय टेलीविजन, अन्तर्राष्ट्रीय टेलीविजन एवं स्थानीय केवल पर उपलब्ध है।
सिनेमा विज्ञापन में विज्ञापन कर्ता सिनेमा स्लाइड के माध्यम से या विज्ञापन के उद्देश्य से बनी फिल्म दिखाकर विज्ञापन करते है। विडियों कैसेट फिल्म, नाटक, शैक्षणिक, कार्यक्रम आदि से सम्बन्धित होती है। इसमें कार्यक्रमों या फिल्म के बीच-बीच में विज्ञापन दिये जाते है।
मेले एवं प्रदर्शनियों में संस्थाओं अपने-अपने मंडप लगाकर वस्तुओं का विज्ञापन एवं प्रदर्शन करती है। राजस्थान में पुष्कर का मेला आदि मे कम्पनियाँ अपनी वस्तुओं का विज्ञापन करती है।

क्रय बिन्दु विज्ञापन
क्रय बिन्दु विज्ञापन से आशय दुकान की वातायन एवं काउन्टर की सजावट से है ताकि राह चलता ग्राहक वातावरण एवं काउन्टरों में सजी हुई वस्तुओं को देखकर दुकान में आने के लिये प्रेरित हो सके। वातायन सजावट में अलमारियों में वस्तुओं को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। वातायन में रखी वस्तुओं को समय-समय पर परिवर्तित करते रहना चाहिये। विभागीय भण्डारों, रेडिमेड गारमेन्ट्स, खिलौने, साडियों की दुकानों में वातायन संजावट को विशेष महत्व दिया जाता है।
काउन्टर को आकर्षक ढंग से सजाने से ग्राहक वस्तु क्रय करने के लिये प्रोत्साहित होते है। काउन्टर पर सभी प्रकार की वस्तुओं के नमूने सजावट रखे जाते है।

विज्ञापन के लाभ

विज्ञापन संप्रेषण का माध्यम है। इसके लाभ निम्न लिखित है-

मितव्ययता
विज्ञापन के माध्यम से बड़ी संख्या में दूर-दूर तक फैले लोगों तक पहुंचने का कम खर्चीला संप्रेषण का साधन है। विज्ञापन का कुल खर्च संप्रेषण द्वारा बनाए घटकों में बांट दिया जाता है जिससे प्रति लक्षित इकाई लागत कम हो जाती है।

स्पष्टता
विज्ञापन ग्राहको की नये उत्पाद में रूचि जाग्रत करता हैं। कला, कम्प्यूटर डिजाइन एवं ग्राफिक्स के विकास के साथ-साथ आज विज्ञापन संप्रेषण का सशक्त माध्यम में विकसित हो चुका हैं। विशेष प्रभावोत्पादन के कारण सरल
उत्पाद एवं सन्देश भी बहुत आकर्षक लगने लगते है।

सूचना
विज्ञापन एक संचार का साधन है जो उपभोक्ताओं को उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये बाजार में उपलब्ध वस्तुओं की जानकारी देता है। इसके द्वारा उपभोक्ता यह जान लेता है कि किस-किस तरह की वस्तुएँ बाजार में उपलब्ध है उन्हें किस स्थान से खरीदा जा सकता है तथा वह उपभोक्ता के लिये कितनी उपयोगी है। विज्ञापन उपभोक्ता को सूचना देने का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी माध्यम है जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को वस्तु व सेवाओं की जानकारी देता है।

विश्वास व आश्वासन
प्रत्येक उपभोक्ता और निर्माता आपस में सीधे सम्पर्क में नहीं रह सकते इसलिये निर्माता उपभोक्ता को वस्तु के प्रति विश्वास दिलाने के लिये विज्ञापन का सहारा लेता है। उपभोक्ता वस्तु खरीदने के बाद जब उसका उपयोग करता है और वह उसे विज्ञापन द्वारा बताये गये गुणों के अनुसार पाता है तब वह उस वस्तु के निर्माता की छवि पर विश्वास कर लेता है तथा उसके द्वारा बनाये गये अन्य नये उत्पादों पर भी विश्वास करने का आश्वासन उपभोक्ता को मिलता है। उपभोक्ता परिचित बाण्ड वाली वस्तु को अधिक महत्व देता है चाहे उसे खरीदने के लिये अन्य प्रतिस्पर्धी वस्तु से उसका अधिक मूल्य ही क्यों न चुकाना पडे । उपभोक्ता को यह विश्वास विज्ञापन से ही मिलता है।

सुविधा
विज्ञापन वस्तु की ब्राण्ड इमेज बनाता है जो वस्तु की बिकी के लिये महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छे ब्राण्ड की वस्तु को खरीदने एवं बेचने में सुविधा रहती है क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु को जांचने-परखने की आवश्यकता नहीं समझता है। उस वस्तु के (पैकेज) डिब्बे पर वस्तु का वजन, रंग, संख्या आदि लिखी होती है तथा उसका मूल्य भी अंकित रहता है जिससे उपभोक्ता व विक्रेता के समय की बचत होती है व खरीदने व बेचने में सुविधा रहती है।

पसन्द की स्वतन्त्रता
आज के इस भौतिकवादी युग में बहुत से प्रतिस्पर्धी ब्राण्ड नामों वाली वस्तुएं बाजार में उपलब्ध है। विज्ञापन उपभोक्ता को इन बहुत से ब्राण्ड नाम वाली वस्तुओं की जानकारी देता है जिससे कि उपभोक्ता इनमे से अपनी पसन्द की वस्तु का क्रय कर सके। उपभोक्ता किसी एक ब्राण्ड पर सन्तुष्ट नहीं होता है तो वह दूसरी ब्राण्ड की वस्तु खरीद सकता है जो उसकी आवश्यकता पूरी करती है और सदैव उसका उपयोग सुविधा पूर्वक कर सकता है।
उक्त बिन्दुओं के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते है कि विज्ञापन से प्राप्त होने वाले लाभों के कारण विज्ञापन ने समाज में अपनी जड़ें जमा रखी है। विज्ञापन व्यापार के लिये एक औजार के रूप में कार्य करता है।

विज्ञापन के दोष

कुछ लोगों का विचार है कि विज्ञापन बेकार है व यह बेकार वस्तुओं को बेचने में सहायता करते है। विज्ञापन के प्रमुख दोष इस प्रकार है-

कम असरदार
विज्ञापन सम्प्रेषण का गैर वैयक्तिक स्वरूप है। यह व्यक्तिगत विक्रय की तुलना में कम सशक्त माध्यम है इसमें संदेश पर ध्यान देने के लिये लोगों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होता है।

दोषपूर्ण विक्रय संगठन
विज्ञापन संभावित क्रेताओं को वस्तु खरीदने के लिये प्रेरित करता है एवं उन्हें आकर्षित करके दुकान तक ले आता है परन्तु यदि विक्रय कर्ता अकुशल है तो विज्ञापन प्रभावहीन हो जाता है।

प्रतिपोषण की कमी
विज्ञापन संदेश ने उपभोक्ता पर कितना प्रभाव डाला इसका मूल्यांकन करना कठिन है क्योंकि इसके द्वारा प्रसारित सन्देश की तुरन्त एवं सही प्रतिपोषण की व्यवस्था नहीं है।
उचित विज्ञापन माध्यम का अभाव- विज्ञापन माध्यम का चुनाव करते समय उसकी लागत वस्तुओं की प्रकृति, क्रेताओं की प्रकृति को ध्यान में रखकर चुनाव करना चाहिये। विज्ञापन का उचित माध्यम नहीं अपनाने से विज्ञापन प्रभावहीन एवं महत्वहीन हो जाता है।

घटिया किस्म की वस्तुएँ
यदि वस्तु की किस्म निम्न श्रेणी की है तो विज्ञापन के सहारे प्रतिस्पर्धा में नहीं टिका जा सकता है। घटिया किस्म की वस्तुओं को विज्ञापन के माध्यम से एक बार ही बेचा जा सकता है। लम्बे समय तक झूठे विज्ञापनों के आधार पर वस्तुओं की बिक्री संभव नहीं है।

लोचपूर्णता की कमी
विज्ञापन संदेश निर्धारित मानक का होता है एवं विभिन्न ग्राहक समूहों की आवश्यकता के अनुसार नहीं ढाला जा सकता है। इसलिये विज्ञापन में लोच की कमी होती है।

विक्रेता बाजार
जिन वस्तुओं में विक्रेता बाजार की स्थिति होती है उन वस्तुओं को बेचने के लिए विक्रेता को प्रथक्क से प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होती है। विक्रेता बाज़ार में वस्तुओं की माँग स्वतः ही बनी रहती है। उदाहरण के लिये कैरोसिन एवं रसोई गैस (एल.पी.जी.) में विक्रेता बाजार होने के कारण विज्ञापन महत्वहीन होता है।

बेलोचदार माँग वाली वस्तुएँ
वस्तु के मूल्य में होने वाले परिवर्तन की तुलना में इसकी माँग में होने वाले परिवर्तन की मात्रा कम होती है तो उसे बेलोचदार माँग कहते है। साथ ही जिस वस्तु के मूल्य में परिवर्तन का माँग पर कोई प्रभाव नहीं पडता तो उसे पूर्ण बेलोचदार मॉग कहते है। अतः बेलोचदार वस्तुओं हेतु विज्ञापन करने पर भी उनके विक्रय/मॉग में वृद्धि नहीं होती है। उदाहरण के लिये हम नमक का उपयोग निश्चित मात्रा में करते है हम इसकी अधिक मात्रा नहीं खरीदते हैं।

जन सामान्य की रूचि, रीति-रिवाज व भावनाओं के विरूद्ध विज्ञापन
व्यक्ति अपनी सामाजिक-धार्मिक भावनाओं, रीति-रिवाजों एवं रूचियों के अनुरूप वस्तुऐं क्रय करता है। यदि विज्ञापित वस्तु उसकी भावनाओं रूचियों व रीति-रिवाज के अनुरूप नहीं है। तो विज्ञापन का उस पर प्रभाव नहीं पड़ता हैं उदाहरण के लिये सात्विक भोजन करने वाले व्यक्ति के लिये माँस एव मदिरा का विज्ञापन व्यर्थ है।

विज्ञापन की आवश्यकता

आज के वैज्ञानिक युग में प्रतिदिन नयी-नयी वस्तुओं का निर्माण होता है। वस्तु-निर्माता अपनी वस्तु की जानकारी उपभोक्ता को देना चाहता है जिसके लिये संचार व्यवस्था की आवश्यकता को विज्ञापन के मध्य संचार व्यवस्था की आवश्यकता होती है निर्माता और उपभोक्ता के मध्य संचार व्यवस्था की आवश्यकता को विज्ञापन द्वारा ही पूरा किया जाता हैं। निर्माता अपना उत्पादन या सेवायें बेचने और उसकी मॉग बढाने की इच्छा रखता है। वह विज्ञापन द्वारा उस वस्तु की जानकारी उपभोक्ता को देता है तथा उपभोक्ता को वस्तु खरीने के लिये प्रेरित करता हैं निर्माता और उपभोक्ता की जरूरतों को पूरा करने के लिये विज्ञापन ही सबसे सरल, सस्ती व प्रभावशाली को सहयोग प्रदान करता हैं जिसे इस प्रकार समझा जा सकता है

नये उत्पादन की जानकारी
निर्माता अपने नये उत्पादन को बाजार में बेचने के लिये। विज्ञापन के द्वारा ही उपभोक्ता (संम्भावित ग्राहकों) को जानकारी देता है कि वह अमुक वस्तु का निर्माण कर रहा है जो उपभोक्ता के लिये किस प्रकार उपयोगी है तथा उस वस्तु के उपयोग से उपभोक्ता को क्या-क्या लाभ होंगे और वह किस प्रकार से उस वस्तु का उपभोग कर सकता है विज्ञापन का कार्य वस्तु के बाजार में आने से पहले ही उसकी बिक्री के लिये माहौल तैयार करना तथा बाजार में उसके सम्मानित ग्राहकों की खोजकर उन्हें वस्तु खरीदने के लिये प्रेरित करना है। जिससे नयी वस्तु की संभावित एवं सतत् बिक्री हो तथा वह अपने को बाजार में स्थापित कर सकें।

उत्पादन की नवीनता की सूचना
निर्माता द्वारा अपने उत्पाद में किये गये बदलाव जैसे वस्तु का रंग बदलना, खुशबू बदलना, वजन का बदलाव पैकेज बदलना, वस्तु की गुणवत्ता में बदलाव करना तथा अन्य सभी तरह के बदलाव जो वस्तु में किये गये है, की जानकारी निर्माता विज्ञापन द्वारा उपभोक्ता को देता है। जिससे कि उपभोक्ता वस्तु से सम्बन्धित किसी भी बदलाव से भ्रमित नहीं हो और वह उस वस्तु को खरीदने में हिचक महसूस नहीं करें कि वह वस्तु वही वस्तु है जिसे वह हमेशा से खरीदता आया है।

नये ग्राहकों की तलाश
विज्ञापन ही वस्तु को खरीदने के लिये नये-नये ग्राहको को तैयार करता है। विज्ञापन द्वारा प्रयास किया जाता है कि वस्तु की अधिक से अधिक सतत् बिक्री होती रहे। प्रतिस्पर्धात्मक उत्पादनों के इस दौर में विज्ञापन नये ग्राहकों को अनेक उत्पादों में से किसी एक उत्पाद को खरीदने के लिये प्रेरित करके वस्तु की बिक्री को बढाता है।

उपभोक्ता को उत्पाद की सही जानकारी
बाजार में विभिन्न कम्पनियों के एक जैसे उत्पाद मौजूद रहते है। जिनको देखकर उपभोक्ता भ्रमित हो जाता है कि इनमें से कौनसी वस्तु उसके वास्तविक उपयोग के लिये है तथा वह वस्तु उसके लिये कितनी उपयोगी रहेगी । उस वस्तु की खरीद पर निर्माता द्वारा उपभोक्ता को कोई अन्य लाये जैसे मुफ्त में उपहार आदि दिया जा रहा है, कोई प्रोत्साहन कपन या मुल्य में छुट दी जा रही है आदि की जानकारी भी विज्ञापन द्वारा उपभोक्ता को दी जाती है, जैसे बाजार में उपलब्ध कपड़े धोने के अनेक तरह के पाउडरों में से किस तरह का पाउडर कौन से कपड़ों के लिये सही रहेगा, जैसे-सूती कपड़ों के लिये कौनसा ऊनी कपड़ा के लिये कौन सा तथा सिल्क के कपड़ा के लिये कौन सा। जिससे उपभोक्ता अपनी आवश्यकतानुसार वस्तु को खरीद कर उसका उपयोग कर सके और उसे निर्माता द्वारा दी जाने वाली छूट या अन्य इनामी योजना का लाभ मिल सके।

विक्रेता की सहायता
जिस वस्तु का विज्ञापन पहले से किया जा रहा होता है उसे वस्तु का बेचने में विक्रय अभिकर्ता को सुविधा रहती है क्योंकि उपभोक्ता विज्ञापन के द्वारा उस वस्तु की गुणवता व उपयोगिता के बारे में जान लेता है।

मूल्य में बदलाव की जानकारी
वस्तु के निर्माण में लागत के कम-ज्यादा होने के कारण निर्माता द्वारा अपने के मूल्य में परिवर्तन/बदलाव किया जाता है तो वस्तु के मूल्य में किये गये बदलाव की जानकारी निर्माता उपभोक्ता को विज्ञापन के द्वारा ही देता है। कि उसने उक्त वस्तु के मूल्य में कितना बदलाव किया है ताकि उपभोक्ता को वस्तु खरीदते समय किसी तरह का भ्रम नहीं हों और वह आसानी से वस्तु खरीदे जिससे कि वस्तु की बिक्री पर भी किसी तरह का विपरित प्रभाव नही पडे और वस्तु की सतत बिक्री बनी रहे।

विज्ञापन का महत्व

आज का युग विज्ञापन का युग है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञापन छाया हुआ है। विज्ञापन व्यवसाय के लिये तो महत्वपुर्ण है ही, इससे समाज में भी जागरूकता बढ़ती है और व्यक्ति अपने अधिकारों, आवश्यकताओं और सामाजिक बुराइयों से लडने को प्रेरित होता है। विज्ञापन से वस्तु की मॉग बढ़ती है। जिससे विक्रय में वृद्धि होती है, ग्राहकों को क्रय में सुविधा रहती है एवं संख्या की ख्याति में वृद्धि होती है। इसलिये यह कहा जाता है कि विज्ञापन पर किया गया व्यय विनियोग है।
विज्ञापन के महत्व को हम इस प्रकार समझ सकते है।
  • निर्माताओं के लिए महत्व
  • उपभोक्ताओं के लिये महत्व
  • मध्यस्थों के लिये महत्व
  • समाज एवं राष्ट्र के लिये महत्व

1. निर्माताओं के लिए विज्ञापन से महत्त्व

प्रतिस्पर्धा में सहायक
प्रतिस्पर्धा संस्थाओं से आगे निकलने के लिये व प्रतिस्पर्धा में विजय प्राप्त करने के लिये उत्पादक, धुआँधार विज्ञापन का सहारा लेते है।

विक्रेताओं के लिए मार्ग प्रशस्त करता है
विज्ञापन के द्वारा वस्तु की किस्म, मूल्य, पैकिंग, प्रयोग छूट,स्कीम आदि की जानकारी प्रदान की जाती है जिसमें विक्रेता को वस्तु बेचने में सुगमता रहती है।

मध्यस्थों की प्राप्ति
प्रभावी एवं निरन्तर विज्ञापन करने वाली संस्था की साख चहुं ओर फैल जाती है जिससे प्रतिष्ठित व सुदृढ़ साधनों वाले मध्यस्थ एक निर्माता को अपनी सेवायें देने को तत्पर रहते है।

नवीन वस्तुओं के उत्पादन में सहायक
विज्ञापन द्वारा नयी-नयी वस्तुओं की मॉग उत्पन्न की जाती है। इस तरह यह नवीन वस्तुओं के उत्पादन में सहायक सिद्ध होता है।

व्यवसाय का विकास
विज्ञापन से वस्तुओं की विक्रय में वृद्धि होती है। परिणाम स्वरूप संस्था के लाभों में वृद्धि होती है। अधिक लाभों की सहायता से व्यवसाय की पुरानी मशीनों एवं उपकरणों के स्थान पर नई एवं अद्यतन मशीनें क्रय की जा सकती है एवं नवीन इकाइयों की स्थापना कर व्यवसाय का विस्तार किया जा सकता है।

विक्रय में वृद्धि
बर्तन के शब्दों में विज्ञापन निरन्तर मांग का सृजन करने में सहायता करता है। आवश्यकता पूर्ति हेतु ग्राहक वस्तु को खरीदता है। जिससे विक्रय में वृद्धि होती है।

उत्पादन में वृद्धि
विज्ञापन वस्तु की मांग बढाता है उस मांग को पूरी करने के लिये उत्पादन में वृद्धि करनी होती हैं।

मितव्ययता
विज्ञापन से मांग में वृद्धि फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि होती है। उत्पादन में वृद्धि करने से अर्थात् बड़े पैमान पर उत्पादन करने से उत्पादक को कई प्रकार आन्तरिक एवं बाह्य मितव्ययतायें प्राप्त होती है। परिणामस्वरूप वस्तु की उत्पादन लागत एवं प्रति इकाई लागत में कमी आती है

अधिक लाभ
विज्ञापन के द्वारा अधिकाधिक विक्रय होने के कारण उत्पादन को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

ख्याति में वृद्धि
बार-बार एवं विभिन्न माध्यमों से विज्ञापन करने से ग्राहक को संस्था की उपलब्धियों एवं वस्तु की विशेषताओं की जानकारी मिलती है परिणाम स्वरूप उसके मन में संस्था की प्रतिष्ठा बन जाती हैं। हमारे देश में टाटा, बिड़ला, बजाज, रेमेण्ड्स आदि की प्रतिष्ठा में विज्ञापन के कारण महत्वपूर्ण अभिवृद्धि हुई है।

2. उपभोक्ता के लिये महत्व

शिक्षाप्रद
विज्ञापन से उपभोक्ता को नयी-नयी वस्तुओं एवं उनके उपयोग के बारे में जानकारी मिलती है। जिससे ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि होती है।

समय की बचत
विज्ञापन के माध्यम से ग्राहक को घर-पर बैठे-बैठे ही वस्तु की कीमत एवं उपलब्धि स्थान की जानकारी मिल जाती है। वस्तु क्रय के लिये इधर-उधर नहीं घूमना पड़ता फलस्वरूप समय की बचत होती है।

क्रय में सुविधा
विज्ञापन द्वारा ग्राहक को वस्तु की उपलब्धि, कीमत, उपयोग आदि के बारे में जानकारी मिल जाती है जिससे वह विभिन्न वस्तुओं की तुलना करके विवेकपूर्ण एवं सुविधापूर्वक क्रय कर सकता है।

उत्तम किस्म की वस्तुओं की उपलब्धता
विज्ञापन के अनुरूप वस्तु नहीं मिलने के कारण उपभोक्ता ऐसी वस्तुओं को जल्दी ही प्रचलन से बाहर कर देते हैं अतः विज्ञापन निर्माता को अपने उत्पाद की किस्म को बनाये रखने एवं उसमें सुधार करने के लिये विवश करता हैं परिणाम स्वरूप ग्राहकों को उत्तम किस्म की वस्तुएं प्राप्त होती है।

जीवन स्तर में सुधार
सर विन्सतन चर्चिल के अनुसार विज्ञापन अच्छे जीवन स्तर के लिये मांग उत्पन्न करता है। विज्ञापन से वस्तु के प्रति ग्राहक में रूचि जाग्रत होती है। व ग्राहक इनका उपयोग करके जीवन स्तर में सुधार करता है।

उपभोक्ता बचत
विज्ञापन द्वारा ग्राहकों को विभिन्न वस्तुओं, उनकी स्थानापन्न वस्तुओं, कीमत, उपलब्धता गारन्टी, वारन्टी, उपयोगिता के बारे में जानकारी देता हैं इससे उपभोक्ता अपने धन का विवेकपूर्ण उपयोग कर सकते है एवं वस्तुओं से दी गई कीमत की तुलना में अधिक उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं।

3. मध्यस्थों के लिये महत्व

निर्माताओं से सम्पर्क
निर्माता अपने उत्पाद का विज्ञापन करते है जिससे मध्यस्थ निर्माताओं से उनकी एजेन्सी लेने हेतु सम्पर्क करते है। इसकी और विभिन्न थोक एवं फुटकर व्यापारी भी विज्ञापन करते है। जिससे निर्माता इन विज्ञापनों के आधार पर इन मध्यस्थों से व्यावसायिक सम्पर्क कर सकते है।

विक्रय में सहायता
विज्ञापन में वस्तु के डीलर/एजेन्ट/थोक व्यापारी आदि का उल्लेख होता है। इससे ग्राहक मध्यस्थों के पास स्वयं आ जाते है। इसके अतिरिक्त विज्ञापन से उपभोक्ताओं को वस्तु के बारे में अनेक जानकारिया जैसे-वस्तु की कीमत, किस्म, उपयोग विधि, छूट होती है जिससे विक्रेता को विक्रय हेतु अधिक प्रयास नही करने पडते है।

जोखिम में कमी
विज्ञापन के प्रभाव में मध्यस्थों का माल शीघ्र बिक जाता है अतः विक्रेता को फैशन में परिवर्तन आदि से माल के बेकार हो जाने का भय नहीं रहता है।

लाभों में वृद्धि
निर्माता द्वारा विज्ञापन किये जाने के कारण उसका लाभ स्वतः ही मध्यस्थों को मिल जाता है उनको स्वयं विज्ञापन की आवश्यकता नहीं रहती, विक्रय अधिक होता है व ज्यादा विक्रयकताओं की नियुक्ति नही करनी पडती जिससे खर्चों में कमी आती है व लाभों में वृद्धि होती है।

अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा का अन्तः
विज्ञापित वस्तु के मुल्यों पर निर्माता का नियन्त्रण रहता है। फलस्वरूप अनावश्यक प्रतिस्पर्धा का अन्त हो जाता है।

विक्रेताओं को प्रोत्साहन
निर्माता विक्रय की मात्रा के आधारपर विक्रयकर्ताओं का कमीशन/पुरस्कार देते हैं। इससे विक्रय अधिक विक्रय करने को प्रोत्साहित होते है परिणाम स्वरूप उनकी आय में वृद्धि होती हैं।

समाज के लिये महत्व
  • विज्ञापन किसी भी राष्ट्र का जीवन-शैली की झलक दिखाता है।
  • रोजगार के अवसर बढाता है, जिससे लोगों को रोजगार मिलता हैं।
  • विज्ञापन से उत्पादन की मांग बढती है, मांग बढ़ने से उत्पान की लागत में कमी आती है एवं लोगों को सस्ती कीमत पर वस्तु उपलब्ध होती है व समाज के लोगों को जीवन स्तर बढाता हैं।
  • विज्ञापन खोज को बढ़ावा देता है जिससे नये-नये उत्पादों का निर्माण होता है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुसार वस्तुए उपलब्ध करवाता है।
  • लोगों को पढ़ने के लिये प्रेरित करता है। जिससे देश की साक्षरता दर में वृद्धि होती है।
  • विज्ञापन समाज के लोगों को सामाजिक बुराईयों से लडने की प्रेरणा देता है।
  • संचार या ध्यय को सक्षम बनाता है। एक सक्षम माध्यम ही लोगों को पक्षपात रहित सूचनाएँ और संदेश दे सकता हैं।
  • विज्ञापन द्वारा ही लोगों को सस्ती दर पर मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते है।

विज्ञापन की तकनीक

विज्ञापन की तकनीक आज हर कम्पनी अपने उत्पाद के बारे में ग्राहकों को सूचित बिक्री का अधिग्रहण बाजार मूल्य में वृद्धि और प्रतिष्ठा और नाम हासिल करने के लिये अपने उत्पाद का विज्ञापन करने की जरूरत है। हर व्यवसाय, अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिये बहुत सारा पैसा खर्च करना पडता है लेकिन खर्च किया हुआ पैसा खर्च करना पडता है लेकिन खर्च किया हुआ पैसा तभी सफल होता है, जब उत्पादों के लिये विज्ञापन की बेहतरीन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिये विज्ञापन दाताओं द्वारा कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। अधोलिखित बिन्दुओं द्वारा इन तकनीकों का अध्ययन किया जा सकता है।

1. भावनात्मक अनुरोध
विज्ञापन की यह तकनीक दो कारकों की मदद पर आधारित होती है उपभोक्ता की आवश्यकतायें एवं भय कारक / उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अन्तर्गत भावनात्मक अपील निम्न बिन्दुओं से भली प्रकार समझी जा सकती हैं-
  • कुछ नया करने की जरूरत
  • स्वीकृति प्राप्त करने की जरूरत
  • नजर अन्दाज नहीं करने की जरूरत
  • पुरानी चीजें के बदलाने की जरूरत
  • सुरक्षा की जरूरत
  • आकर्षक बनने की जरूरत
  • भय के अन्तर्गत आय अपील इस प्रकार है।
  • दुर्घटना का डर
  • मौत का डर
  • टाले जाने का डर
  • बीमार होने का डर
  • पुराने होने का डर

2. प्रचार के लिये विज्ञापन
इस तकनीक के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उत्पाद के मुफ्त नमूने देना शामिल है। ग्राहकों का ध्यान हासिल करने के लिये व्यापार मेला, प्रचार, की घटनाओं और विज्ञापन अभियान के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने की पेशकश की जाती हैं

3. गाडी में सवार विज्ञापन
विज्ञापन की इस तकनीकी के अन्तर्गत ग्राहकों/लोगों को एक समूह में शामिल होने के लिये प्रेरित किया जाता है जिन्होंने उस उत्पाद को खरीदा है और जो आगे की ओर अग्रसर हैं उदाहरण के लिये पेन्टीन शैम्पू विज्ञापन का कहना है कि 15 करोड महिलाओं का भरोसा पेन्टीन पर आज भी है।

4. तथ्य एवं आंकडे
इसके अन्तर्गत विज्ञापन दाता नम्बर, सबुत और वास्तविक उदाहरण का उपयोग कर अपने उत्पादों को अच्छा बताने का प्रयास करते है उदाहरण के लिये कोलगेट दुनिया के 70 प्रतिशत दन्त चिकित्सकों द्वारा उपयोग करने की सलाह दी गई है।

5. अधूरा विज्ञापन
इसके अन्तर्गत विज्ञापन दाता यह बताते है कि इनका उत्पाद अच्छा काम करता है किन्तु यह नहीं बताते कि प्रतिद्वन्दी से कितना अधिक अच्छा काम करता है। उदाहरण के लिये प्रतिदिन अधिक पोषण के लिये हार्लिक्स यह विज्ञापन यह नहीं बताता कि और कितना अधिक न्यूट्रिशन मिलता है।

6. समर्थन
इसके अन्तर्गत विज्ञापन दाता बडी हस्तियों का उपयोग अपने उत्पादों का विज्ञापन करने के लिए करते है। बड़ी हस्तियों या स्टार अपने अनुभवों को बताकर किसी उत्पाद को खरीदने का समर्थन करते हैं जैसे हाल ही में सुपर स्टार अभिताभ बच्चन एवं उनकी पत्नी जया बच्चन ने एक ज्वैलरी उत्पाद के लिये विज्ञापन दिया था इसके अन्तर्गत यह बताया गया कि किस प्रकार जया बच्चन को उक्त उत्पाद ने प्रभावित किया ।

7. आदर्श परिवार और आदर्श बच्चे
विज्ञापन दाता इस तकनीक का इस्तेमाल यह बताने के लिए करते है कि उनके उत्पाद का प्रयोग करने वाले परिवार भाग्यशाली होते है। उदाहरण के लिए डिटोल साबुन का विज्ञापन यह बताता है कि जो परिवार उसका उपयोग करते है वो हमेशा रोगाणुओं से सुरक्षित रहते है।

8. देश भक्ति विज्ञापन
इस प्रकार के विज्ञापन यह दर्शाते हैं कि उक्त उत्पाद या सेवा का उपयोग करने वाला व्यक्ति किस प्रकार अपने देश का समर्थन कर सकता है। उदाहरण के लिये कुछ उत्पादों को एक साथ या उनमें से किसी एक को खरीदने के लिए उनके विज्ञापन में दावा किया जाता है कि आप स्कूल जाने के लिए बच्चे की मदद करने जा रहें है।

9. ग्राहको से पुछताछ
विज्ञापन की इस तकनीक के अन्तर्गत विज्ञापन दाता अपने उत्पादों के सम्बन्ध में प्रतिक्रिया जानने के लिए उपभोक्ता से सवाल पूछते है।

10. छूट
इस तकनीक के अन्तर्गत विज्ञापन दाता अपने उत्पादों को बेचने के लिये उत्पादों की कीमत में कुछ छूट देने का प्रस्ताव उपभोक्ताओं से करते है जैसे एक शर्त खरीदने के दो एक शर्त मुफ्त या किसी क्लब के दो साल के लिये सदस्य बनने पर सभी सेवाओं या उत्पादों पर 20 प्रतिशत की छूट आदि ।

11. सरोगेट विज्ञापन
विज्ञापन की इस तकनीक के अन्तर्गत वो कम्पनियाँ आती है जो अपने उत्पादों के प्रत्यक्ष विज्ञापन नहीं करती हैं। ये विज्ञापन दाता अपने उत्पादों को बेचने के लिये अप्रत्यक्ष तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं
विज्ञापन दाताओं द्वारा अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिये उक्त प्रमुख तकनीकों का इस्तेमाल के लिये उक्त प्रमुख तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ कुछ ऑनलाइन विज्ञापन के लिये भी विभिन्न तकनीक इस्तेमाल जी जा रही है जिससे एक बैनर वेब पन्नों पर जगह है, लिंक विज्ञापन, प्रोडक्ट वेबसाइट आदि हैं।

महत्वपूर्ण बिन्दु-
विज्ञापन अव्यैक्तिक सन्देश होता है। इनमें सिनेमा, टेलीविजन, रेडियो, परिवहन के साधनों, पत्र-पत्रिकाओं, बाह्य साइन बोर्डों एवं अन्य साधनों द्वारा जन समुदाय को वस्तुओं एवं सेवाओं की जानकारी किया जाती है एवं उन्हें क्रय करने को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिये भुगतान विज्ञापन द्वारा किया जाता है।

विज्ञापन के उद्देश्य
  • विक्रय वृद्धि
  • नये ग्राहक बनाना
  • नये बाजारों में प्रवेश करना
  • मध्यस्थों को आकर्षित करना
  • उपभोक्ता के खरीदने के उद्देश्य व किसी ब्राण्ड की वस्तु पर प्रभाव डालना
  • अपने उत्पाद या ब्राण्ड के प्रति उपभोक्ता की जागरूकता एवं जिज्ञासा को बढाना
  • वस्तु का प्रयोग एक बार करने के बाद बार-बार प्रयोग करने की आदत डालने के लिये उपभोक्ताओं की प्रोत्साहित करना
  • अन्य वस्तुओं से उपभोक्ता को अपनी वस्तु की तरफ परिवर्तित करना।

विज्ञापन के माध्यम
  • बाह्य विज्ञापन
  • समाचार पत्रीय विज्ञापन
  • पत्रिका विज्ञापन
  • सैण्डविच मैन विज्ञापन
  • डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन
  • मनोरंजन विज्ञापन
  • क्रय बिन्दु विज्ञापन

विज्ञापन के लाभ
  • शिथिलता
  • स्पष्टता
  • सूचना
  • विश्वास व आश्वासन
  • सुविधा
  • पसन्द की स्वतन्त्रता

विज्ञापन के दोष
  • क्रय असरदार
  • दोषपूर्ण विक्रय संगठन
  • प्रतिपोषण की कमी
  • घटिया किस्म की वस्तुयें
  • लोचपूर्णता की कमी
  • विक्रेता बाजार
  • बेलोचदार (मांग वाली वस्तुयें)
  • जन सामान्य की रूचि, रीति-रिवाज व भावनाओं के विरूद्ध विज्ञापन

विज्ञापन की आवश्यकता
  • नये उत्पाद की जानकारी
  • उत्पाद की नवीनता की सूचना
  • नये ग्राहकों की तलाश
  • उपभोक्ता को
  • उत्पाद की सही जानकारी
  • विक्रेता की सहायता
  • मूल्य में बदलाव की जानकारी

विज्ञापन का महत्व
  • प्रतिस्पर्धा में सहायक
  • विक्रेताओं के लिये मार्ग प्रशस्त करता है।
  • मध्यस्थों की प्राप्ति
  • नवीन वस्तुओं के उत्पादन में सहायक
  • व्यवसाय का विकास
  • विक्रय में वृद्धि
  • उत्पादन में वृद्धि
  • अधिक लाभ
  • ख्याति में वृद्धि

1. उपभोक्ताओं को लाभ
  • शिक्षा के लिए महत्व
  • समय की बचत
  • क्रय में सुविधा
  • उत्तम किस्म की वस्तुओं की उपलब्धता
  • जीवन स्तर में सुधार
  • उपयोगिता एवं बचत

2. मध्यस्थों लिये महत्व
  • निर्माताओं से सम्पर्क
  • विक्रय में सहायता
  • जोखिम में कमी
  • लाभों में वृद्धि
  • अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा का अन्त
  • विक्रेताओं को प्रोत्साहन

3. समान के लिए महत्त्व
  • विज्ञापन की तकनीकें
  • भावनात्मक अनुरोध
  • प्रचार के लिये विज्ञापन
  • गाड़ी में सवार विज्ञापन
  • तथ्य एवं आंकड़ें
  • अधूरा विज्ञापन
  • समर्थन
  • आदर्श परिवार
  • और आदर्श बच्चे
  • देशभक्ति विज्ञापन
  • ग्राहकों से पूछताछ
  • छूट
  • सेरोगेट विज्ञापन

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