भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति - भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति कौन थे? | bharat ke pratham uprashtrapati

भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति रहे। 1952 में सोवियत संघ से आने के बाद डॉक्टर राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति निर्वाचित किये गये। संविधान के अनुसार उपराष्ट्रपति का नया पद सृजित किया गया था। नेहरू जी ने इस पद हेतु राधाकृष्णन का चयन करके पुनः लोगों को चौंका दिया। उन्हें आश्चर्य था कि इस पद के लिए कांग्रेस पार्टी के किसी राजनीतिज्ञ का चुनाव क्यों नहीं किया गया।
bharat-ke-pratham-uprashtrapati
उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन ने राज्यसभा में अध्यक्ष का पदभार भी सम्भाला। सन 1952 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाये गये। बाद में पण्डित नेहरू का यह चयन भी सार्थक सिद्ध हुआ, क्योंकि उपराष्ट्रपति के रूप में एक गैर राजनीतिज्ञ व्यक्ति ने सभी राजनीतिज्ञों को प्रभावित किया।
संसद के सभी सदस्यों ने उन्हें उनके कार्य व्यवहार के लिये काफ़ी सराहा।

भारत के उपराष्ट्रपतियों की सूची

नाम पद ग्रहण और कार्यकाल
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 13 मई 1952-12 मई 1957 और
13 मई 1957-12 मई 1962 (दूसरा कार्यकाल)
डॉ. जाकिर हुसैन 13 मई 1962-12 मई 1967
श्री वी वी गिरि 13 मई 1967-03 मई 1969
श्री जी एस पाठक 31 अगस्त 1969-30 अगस्त 1974
श्री बी डी. जत्ती 31 अगस्त 1974-30 अगस्त 1979
श्री एम. हिदायतुल्ला 31 अगस्त 1979-30 अगस्त 1984
श्री आर वेंकटरमन 31 अगस्त 1984-24 जुलाई 1987
डॉ. शंकर दयाल शर्मा 03 सितम्बर 1987-24 जुलाई 1992
श्री के आर नारायणन 21 अगस्त 1992-24 जुलाई 1997
श्री कृष्णकांत 21 अगस्त 1997-27 जुलाई 2002
श्री भैरों सिंह शेखावत 19 अगस्त 2002-21 जुलाई 2007
श्री मोहम्मद हामिद अंसारी 11 अगस्त, 2007-10 अगस्त, 2012 और
11 अगस्त 2012- अब तक (दूसरा कार्यकाल)

उप-राष्ट्रपति

संविधान में भारत के लिए एक उप-राष्ट्रपति की व्यवस्था की गई है। वरिष्ठता क्रम में राष्ट्रपति के पश्चात् उप-राष्ट्रपति को स्थान प्राप्त है। भारत के उप-राष्ट्रपति का पद, संयुक्त राज्य अमेरिका की भाँति भारत में भी उप-राष्ट्रपति को संघीय संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) का पदेन सभापित बनाया गया है। संविधान के अनुच्छेद 63 से 70 तक उप-राष्ट्रपति पद के संबंध में विभिन्न प्रावधान किये गये हैं।

योग्यताएँ

उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए संविधान में पात्रता की अग्रांकित शर्ते निर्धारित की गई हैं-
  • (क) वह भारत का नागरिक हो,
  • (ख) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
  • (ग) राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए योग्य हो,
  • (घ) वह सरकार (संघ, राज्य, स्थानीय) के किसी लाभ के पद पर विद्यमान न हो,
  • (ड़) वह संसद या राज्य विधानमण्डल के किसी सदन का सदस्य न हो। किसी ऐसे सदस्य के उपराष्ट्रपति होने के बाद उसकी सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो गई मान ली जाती है।

निर्वाचन

उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मण्डल के सदस्यों द्वारा किया जाता है। निर्वाचन के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली तथा गुप्त मतदान को अपनाया गया है। संविधान में प्रारम्भ में संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन की व्यवस्था थी। वर्ष 1961 में पारित किये गये संविधान के 11वें संशोधन के द्वारा इस व्यवस्था को बदलकर निर्वाचक मण्डल के सदस्यों द्वारा उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन की व्यवस्था की गयी है।
भारत की संविधानसभा में कतिपय सदस्यों द्वारा दिए गये इस सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया था कि उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन में भी राष्ट्रपति के निर्वाचन की भांति संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के अतिरिक्त राज्यों की विधानसभा के सदस्यों की भागीदारी हो।

पदावधि

उप-राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष की अवधि तक पद धारण करता है।

पद से हटाये जाने की प्रक्रिया
उप-राष्ट्रपति को पद से हटाये जाने के लिए संविधान में किन्हीं आधारों को संविधान में वर्णित नहीं किया गया है। उप-राष्ट्रपति समय से पूर्व स्वेच्छा से त्यागपत्र दे सकता है। उसे राज्यसभा के उस प्रस्ताव द्वारा, जिसे राज्यसभा के कुल सदस्यों के पूर्ण बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा ने उसे स्वीकार कर लिया हो, पदच्युत किया जा सकता है परन्तु इस प्रकार का प्रस्ताव 14 दिन के पूर्व नोटिस पर ही पारित किया जा सकता है।

शपथ
उप-राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस कार्य के लिए नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान में निर्धारित प्रारूप के अनुसार शपथ ग्रहण करता है। उप-राष्ट्रपति शपथ के द्वारा विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा, और अपने पद के कृत्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करने का संकल्प लेता है।

वेतन व भत्ते
उप-राष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति के रूप में वेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं। वह उप-राष्ट्रपति के रूप में सुसज्जित निःशुल्क आवास और अन्य सुविधाओं का भी अधिकारी होता है।
वर्तमान में उप-राष्ट्रपति को 1.25 लाख रू. प्रतिमाह वेतन प्रदान किया जाता है।

शक्तियां व कार्य

यद्यपि संविधान में उप-राष्ट्रपति का उल्लेख संघ की कार्यपालिका से संबंधित अध्याय में किया गया है किन्तु संविधान में उप-राष्ट्रपति को कार्यपालिका संबंधी कोई कार्य प्रदान नहीं किये गये है। उप-राष्ट्रपति के दो प्रमुख कार्य हैं-
  1. उसे संसद के उच्च सदन अर्थात् राज्यसभा का सभापति बनाया गया है वह नियमित रूप से राज्यसभा के सभापति के रूप में ही अपने कृत्यों का निर्वाह और शक्तियों का प्रयोग करता है।
  2. संविधान में यह व्यवस्था की गई है कि राष्ट्रपति के पद पर अस्थाई रिक्ति होने, अथवा राष्ट्रपति के पद-त्याग या मृत्यु के कारण, उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

إرسال تعليق

أحدث أقدم