पारिवारिक बजट क्या है?, अर्थ एवं परिभाषाएँ | parivarik budget kya hai

पारिवारिक बजट: अर्थ एवं परिभाषाएँ

बजट एक निश्चित अवधि के पूर्व अनुमानित आय-व्यय के विस्तृत ब्यौरे को कहते हैं। निश्चित आय से परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही बजट का मुख्य उद्देश्य होता है।
parivarik budget kya hai
परिवार के सदस्य अपनी आय के अनुसार विभिन्न मदों पर व्यय करते हैं और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। बजट पारिवारिक आय-व्यय में संतुलन बनाए रखता है। एक अच्छा बजट वह होता है जिसमें कुछ आय बचत के लिए भी रखी जाती है ताकि आकस्मिक खर्चों पर व्यय किया जा सके।

पारिवारिक बजट के सन्दर्भ कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
  • बेवर के अनुसार “पारिवारिक बजट पारिवारिक आय को व्यवस्थित रुप से व्यय करने का एक तरीका है जिससे परिवार के सदस्यों के सुख व कल्याण में वृद्धि हो सके।
  • केग एवं रश के अनुसार “बजट भूतकाल के व्यय, भविष्य के अनुमानित व्यय और वर्तमान समय के मदों पर निश्चित व्यय का लेखा-जोखा है”।
  • तोमर, गोयल व दर्शन के अनुसार “बजट सुनियोजित भविष्य की एक परिकल्पना है जो आयव्यय का एक निश्चित अवधि के लिए लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है।
  • महेन्द्र के. मान के अनुसार “पारिवारिक बजट भूतकाल के खर्चों का एक विवरण है जिसमें भविष्य के खर्चों और वितरण का ब्यौरा रहता है, जो अलग-अलग समय में विभिन्न कार्यों पर खर्च किया जाता है।

पारिवारिक बजट के सिद्धांत

पूर्व खण्ड में हमने बजट के अर्थ एवं परिभाषाओं के बारे में पढ़ा। अब हम बजट के सिद्धान्तों के बारे में जानेंगे जिन्हें ध्यान में रखते हुए पारिवारिक बजट का निर्माण किया जाता है।

राजमल पी. देवदास के अनुसार बजट आयोजन निम्नलिखित कारकों पर आधारित है-

पारिवारिक आय
ग्रॉस व क्रेण्डल के अनुसार “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा संतोष का वह प्रवाह है जो आवश्यकताओं व इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु परिवार के अधिकार में आता है। यह आवश्यक नहीं है की हर माह पारिवारिक आय समान रहे परन्तु हमें आय के अनुसार ही पारिवारिक बजट का निर्माण करना चाहिए। किसी भी परिवार की आय उसके जीवन स्तर को निर्धारित करती है। वेतन, मजदूरी, ब्याज, किराया, पेंशन, बोनस आदि परिवारिक आय के साधन हैं।

परिवार के निर्धारित लक्ष्य
प्रत्येक परिवार के स्वयं के कुछ निर्धारित लक्ष्य होते हैं जिनको प्राप्त करने की वह पूर्ण चेष्टा करता है। लक्ष्यों की प्राप्ति के पश्चात ही परिवार के सदस्यों में संतष्टि की भावना उत्पन्न होती है। प्रत्येक परिवार में मुख्य रूप से तीन प्रकार के लक्ष्य होते हैं; दीर्घकालीन लक्ष्य, अल्पकालीन लक्ष्य और साधन समाप्ति लक्ष्य। दीर्घकालीन लक्ष्यों के उदाहरण हैं, बच्चों की शादी कराना, अपना घर खरीदना आदि। बच्चों की शादी के लिए की जाने वाली मासिक बचत करके परिवार के सदस्य अल्पकालीन लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं। साधन समाप्ति लक्ष्यों के उदाहरण हैं, पुष्प सज्जा के लिए फूल तोड़ना, सब्जी बनाने के लिए सब्जियाँ काटना, बैंक से पैसे निकालने के लिए चैक काटना आदि।

परिवार की वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकताएं
पैन्सन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक वस्तुओं की प्राप्ति हेतु एक प्रभावपूर्ण इच्छा होती है जो उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रयत्नों अथवा त्याग के रूप में व्यक्त होती है। परिवार के सदस्यों की आवश्यकताएं असीमित होती हैं। कई भौतिक, नैतिक, सामाजिक, आर्थिक तत्त्व व्यक्ति की आवश्यकताओं का निर्धारण करते हैं। प्रत्येक परिवार में कुछ वर्तमान की आवश्यकताएं होती हैं तथा कुछ भविष्य की। वर्तमान की आवश्यकताओं के उदाहरण हैं; भोजन, पानी, स्कूल की फीस, मकान का किराया आदि और भविष्य की आवश्यकताओं के उदाहरण हैं; बच्चों का विवाह, विश्वविद्यालय/प्रोफेशनल कोर्स की फीस आदि। बजट का निर्माण परिवार के सदस्यों की वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए और पारिवारिक बजट में बचत के लिए भी प्रमुख स्थान होना चाहिए ताकि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।

एन्जीला क्रीज के अनुसार बजट के निम्नलिखित सिद्धान्त हैं-

आय से अधिक व्यय नहीं होना चाहिए।
बजट का निर्माण करते समय परिवार के सदस्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आय से अधिक व्यय ना हो। यदि आय से अधिक खर्च होगा तो परिवार के सदस्यों में आर्थिक असुरक्षा की भावना उत्पन्न होगी और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परिवार के सदस्यों को उधार लेना पड़ सकता है।

ज्यादा आवश्यक वस्तुओं पर सर्वप्रथम व्यय करना चाहिए।
बजट के इस सिद्धान्त के अनुसार बजट निर्माण करते समय परिवार के सदस्यों को सबसे पहले सर्वाधिक जरूरी वस्तुओं पर व्यय करना चाहिए जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, चिकित्सा आदि।

इस बात का सावधानीपूर्वक ध्यान रखना चाहिए कि व्यय कम हो।
बजट बनाते समय हम कम व्यय करें, इस बात पर ध्यान देना चाहिए। विलासितापूर्ण वस्तुओं का कम प्रयोग कर हम पारिवारिक व्यय को कम कर सकते हैं।

नियमित रुप से एक निश्चित मात्रा में बचत करनी चाहिए।
एक अच्छा बजट वह होता है जिसमें बचत के लिए भी स्थान हो। बचत से जो राशि जमा की जाती है उसका प्रयोग परिवार के सदस्य अपनी भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में या आकस्मिक आवश्यकताओं में करते हैं।

धन को सदैव उपयोगी बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
बजट निर्माण करते समय यह कोशिश करनी चाहिए कि हम धन को अधिक से अधिक उपयोगी बनाएं। धन को उपयोग की वस्तुओं पर व्यय करना चाहिए जिससे परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो।

पारिवारिक बजट के प्रकार

परिवारिक बजट के अर्थ, विभिन्न परिभाषाओं और सिद्धान्तों से परिचय के पश्चात अब हम परिवारिक बजट के प्रकारों से परिचित होंगे। परिवारिक बजट के प्रकार निम्नलिखित हैं-

संतुलित बजट (Balanced Budget)
संतुलित बजट से अभिप्राय ऐसे बजट से है जिसमें आय और व्यय समान हों अर्थात जिसमें अनुमानित आय और प्रस्तावित व्यय बिल्कुल समान होते हैं। संतुलित बजट को एक अच्छा बजट माना जाता है, क्योंकि इसमें ना तो बचत का स्थान होता है और ना ही उधार लेने की आवश्यकता।

बचत का बजट (Surplus Budget)
इस प्रकार के बजट में अनुमानित आय अधिक और प्रस्तावित व्यय कम होता है। इस प्रकार के बजट द्वारा परिवार में बचत होती है और परिवार के सदस्यों में आर्थिक सुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है।

घाटे का बजट (Deficit Budget)
घाटे का बजट बचत के बजट से बिल्कुल विपरीत होता है। घाटे के बजट में अनुमानित आय कम और प्रस्तावित व्यय अधिक होता है। इस प्रकार का बजट परिवार के लिए नुकसानदायक होता है। इस बजट में व्यय करने के लिए परिवार के सदस्यों को उधार लेना पड़ता है। इस प्रकार के बजट से परिवार के सदस्यों में आर्थिक असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है।

वास्तविक और सैद्धान्तिक बजट (Actual and Theoretical Budget)
वास्तविक बजट से अभिप्राय ऐसे बजट से है जिसमें किसी एक परिवार की आय-व्यय का वास्तविक ब्यौरा होता है। इसके द्वारा हम परिवार की आर्थिक स्थिति अर्थात परिवार की आय और व्यय की वर्तमान स्थिति का सही अनुमान लगा सकते हैं। यह हर परिवार के लिए समान नहीं होता और एक ही परिवार के लिए हर माह में भी समान नहीं होता, क्योंकि परिवारों की आवश्यकताएं परिवर्तित होती रहती हैं। सैद्धान्तिक बजट से तात्पर्य किसी विशेष वर्ग के परिवारों की वांछित व्यय की रुपरेखा से है।

औसत बजट (Average Budget)
औसत बजट से अभिप्राय ऐसे बजट से है जो किसी वर्ग विशेष के समस्त परिवारों की औसत आय और व्यय को बताता है। इस बजट से इस वर्ग की विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर व्यय की एक सामान्य प्रवृत्ति का ज्ञान होता है।

मानक या आदर्श बजट (Standard or Ideal Budget)
यह बजट औसत परिवारों के लिए आदर्श व्यय की रुपरेखा को बताते हैं। इनमें से कुछ को आदर्श मान लिया जाता है और इन्हीं के आधार पर परिवारों के बजट बनाए जाते हैं।

मात्रा तथा मूल्य बजट (Quantity and Cost Budget)
मात्रा तथा मूल्य बजट से अभिप्राय ऐसे बजट से है जिसमें किसी परिवार की एक निश्चित समय में क्रय की गयी वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा तथा उनके मूल्यों का विवरण रहता है। इसमें जीवन निर्वाह व्यय का और उसमें होने वाले परिवर्तनों का सही-सही अनुमान लगाया जा सकता है।

पूर्ण अथवा आंशिक बजट (Complete or Partial Budget)
जब व्यक्ति सम्पूर्ण व्यय अर्थात छोटे-बड़े सभी व्ययों की योजना बनाते हैं, तब उन्हें पूर्ण बजट कहते हैं। कभी-कभी व्यक्ति छोटे-छोटे दैनिक व्ययों के लिए कोई योजना नहीं बनाता, केवल प्रमुख मदों पर व्यय की योजना बनाता है, ऐसे बजट को आंशिक बजट कहते हैं।

पारिवारिक बजट के अर्थ, परिभाषा और प्रकार से परिचित होने के बाद आइए देखते हैं कि आपके ज्ञान में कितनी वृद्धि हुई है।

पारिवारिक बजट के लाभ

पारिवारिक व्यय हेतु पारिवारिक बजट निर्माण के कई लाभ होते हैं। प्रस्तुत खण्ड में हम पारिवारिक बजट के लाभों के विषय में पढ़ेंगे जो निम्नलिखित हैं

बजट से पारिवारिक आय का उचित वितरण होता है।
प्रत्येक परिवार में धन एक सीमित संसाधन होता है, परन्तु आवश्यकताएं असीमित होती हैं। सीमित पारिवारिक आय से परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही बजट का मुख्य उद्देश्य होता है। बजट की सहायता से हम अपनी पारिवारिक आय का प्राथमिकता के अनुसार विभिन्न मदों में उचित वितरण करते हैं और व्यय करने के उपरान्त कछ बचत भी करते हैं, जिसका प्रयोग भविष्य में आकस्मिक आवश्यकताओं हेतु किया जा सकता है।

बजट अनावश्यक व्यय को पहचानने और उसे कम करने में सहायक होता है।
बजट की सहायता से हम यह पता लगा सकते हैं कि किन मदों पर अनावश्यक व्यय हो रहा है। जब अनावश्यक मदों की पहचान हो जाती है तो उन मदों को हटाया या रोका जा सकता है।

एक अच्छा बजट दीर्घकालीन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है।
परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के पश्चात् कुछ धनराशि बच जाती है। उस बचत राशि का प्रयोग भविष्य में दीर्घकालीन लक्ष्यों जैसे मकान का निर्माण, पिछले ऋणों का भुगतान करना आदि के लिए हो सकता है। अत: एक अच्छे बजट द्वारा हम दीर्घकालीन व्ययों हेतु धनराशि संग्रह कर सकते हैं।

बजट परिवार के लिए वित्तीय मार्गदर्शक के रुप में कार्य करता है।
बजट परिवार के लिए वित्तीय मार्गदर्शक का कार्य करता है। बजट से हमें यह पता चलता है कि हमारी आय कितनी है और हमने कितना व्यय किया। बजट से हमें अनावश्यक वस्तुओं पर किए गए व्यय के बारे में भी पता चलता है। पुराने बजट से यह भी देखा जा सकता है कि हमने कुछ विशिष्ट वस्तुओं पर कितना व्यय किया। बजट से यह पता चलता है कि हम अपनी आय को अच्छी तरह से उपयोग कर रहे हैं या नहीं। यह हमें भविष्य में बचत करने हेतु भी सहायता करता है।

बजट जीवन में अति आवश्यक वस्तुओं के निर्धारण में मदद करता है।
अच्छा बजट हमें यह निर्धारित करने में मदद करता है कि हमें अपने जीवन में किस वस्तु की सर्वाधिक आवश्यकता है। बजट से हमें अपनी वास्तविक आय का पता चलता है और अपनी आय के अनुसार ही हम यह निश्चित करते हैं कि हमें किन मदों पर व्यय करना है। हम बजट द्वारा यह निश्चित करते हैं कि वास्तव में हमें अपनी आय के अनुसार किन मदों को प्राथमिकता देनी है।

इसके अतिरिक्त बजट के अन्य लाभ भी हैं, जो निम्न प्रकार हैं-
  • बजट के नियोजन में परिवार के सभी सदस्य मिलकर कार्य करते हैं, जिससे आपस में सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।
  • यह सचेत निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • बजट भविष्य के लिए बचत करने में मदद करता है।
  • बजट से मनुष्य वित्तीय परेशानियों और चिंताओं से मुक्त रहता है।
  • बजट द्वारा परिवार के संगठन की जानकारी प्राप्त हो सकती है, जैसे परिवार में सदस्यों की संख्या, आयु, लिंग आदि।

पारिवारिक बजट में व्यय की मुख्य मदें

प्रत्येक परिवार की आय, आवश्यकताएं, पारिवारिक स्तर और स्थितियाँ भिन्न होती हैं, परन्तु कुछ मदें प्रत्येक परिवार में समान होती हैं। आइए इन मदों के विषय में जानें।
पारिवारिक बजट की मुख्य मदें निम्नलिखित हैं-

भोजन
भोजन, पारिवारिक बजट का एक महत्वपूर्ण मद है। इस मद के अंतर्गत अनाज, फल, तेल, दूध, घी, मसाले इत्यादि पर किया जाने वाला व्यय सम्मिलित होता है। परिवार के सदस्य घर से बाहर होटल, कैन्टीन आदि में जो भी भोजन करते हैं, वह व्यय भी इस मद में सम्मिलित होता है। इस मद में होने वाला व्यय परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी निर्भर करता है। प्रत्येक परिवार की आय का एक बड़ा भाग इस मद पर व्यय होता है, इसलिए गृह प्रबंधक को ऐसा बजट बनाना चाहिए जिससे सीमित आय में भी परिवार के हर सदस्य को पौष्टिक भोजन प्राप्त हो सके।

वस्त्र
इस मद के अन्तर्गत परिवार के सदस्यों के पहनने के वस्त्र, जूते, चप्पल, पर्दे, चादर, तौलिया इत्यादि पर व्यय किया जाता है। वस्त्रों की सिलाई का खर्च भी इसमें सम्मिलित किया जाता है।

आवास
प्रत्येक परिवार अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार आवास की व्यवस्था करता है। व्यक्ति या तो स्वयं के आवास में रहते हैं या किराये के मकान में। इस मद में मकान का किराया, मरम्मत व्यय, रंग-रोगन, बिजली के खर्च आदि के व्यय सम्मिलित होते हैं। यदि मकान ऋण लेकर या किश्तों में लिया गया है तो उस राशि की व्यवस्था भी इस मद के अन्तर्गत आती है।

शिक्षा
इस मद में विद्यालय और विश्वविद्यालय की पढ़ाई के सभी खर्चे सम्मिलित होते हैं। विद्यालय की फीस, किताबों, स्टेशनरी, कम्प्यूटर, शैक्षिक यात्राओं, छात्रावास, ट्यूशन आदि पर किया गया व्यय इसके अन्तर्गत आता है।

स्वास्थ्य
इस मद के अन्तर्गत परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य से संबंधित व्यय जैसे डॉक्टर की फीस, दवाई, अस्पताल शुल्क आदि सम्मिलित किए जाते हैं।

मनोरंजन
मनोरंजन पर किया जाने वाला व्यय परिवार की आर्थिक स्थिति, परिवार के सदस्यों की उम्र, लिंग और शिक्षा पर निर्भर करता है। इसके अन्तर्गत पिकनिक, टी.वी., सिनेमा, नाटक, रेडियो, मनोरंजनात्मक भ्रमण आदि पर किया जाने वाला व्यय सम्मिलित होता है।

यातायात
इसके अन्तर्गत प्रत्येक सदस्य की यात्राओं का व्यय सम्मिलित किया जाता है। इसमें निजी और व्यक्तिगत वाहन का ईधन, मरम्मत, वाहन के रख-रखाव का व्यय भी सम्मिलित किया जाता है।

अन्य घरेलू व्यय
परिवार को समय-समय पर अनेक प्रकार के व्यय करने पड़ते हैं, जैसे घर का रख-रखाव, फर्नीचर का खर्चा, घर की सजावट आदि में किए गए व्यय इस मद में सम्मिलित किए जाते हैं।

बचत
परिवार में आकस्मिक तथा आवश्यक व्यय जैसे विवाह, बीमारी, उच्च शिक्षा आदि के लिए बचत करना आवश्यक है। परिवार के समस्त सदस्यों की सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के पश्चात् पारिवारिक आय में से जो धनराशि बचती है, उसे बचत कहते हैं। आय का एक निश्चित भाग अनिवार्य रुप से इस मद में डाला जाता है।

बजट निर्माण के चरण

आइए अब प्रस्तुत खण्ड में हम बजट निर्माण के चरणों के बारे में जानें।
पारिवारिक बजट का मुख्य उद्देश्य व्यय के विभिन्न मदों पर पैसों के आवंटन की योजना बनाना है जिससे पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके।

बजट निर्माण के निम्नलिखित नौ चरण हैं-

बजट की समयावधि का निर्धारण करना।
बजट निर्माण के पहले चरण में बजट की समयावधि को निर्धारित किया जाता है। सामान्यतः यह अवधि एक माह की होती है, क्योंकि कई प्रकार के पारिवारिक घरेलू मदों का भुगतान अनिवार्य रुप से मासिक करना पड़ता है। जैसे, स्कूल की फीस, बिजली और पानी का बिल इत्यादि।

पारिवारिक बजट की निर्धारित समयावधि में विभिन्न सदस्यों की आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की सूची बनाना।
परिवार के सदस्यों की आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की सूची बनाते समय यह आवश्यक है कि इनका वर्गीकरण किया जाए। परिवार के सदस्य कुछ निश्चित मदों पर व्यय करते हैं जैसे भोजन, कपड़ा, शिक्षा आदि। बजट बनाते समय इन मदों के अनुरुप सूची बना लेनी चाहिए। सभी आवश्यक वस्तुओं को इन शीर्षकों में व्यवस्थित कर लेना चाहिए। इन शीर्षकों के अन्तर्गत उपशीर्षकों का भी उपयोग किया जा सकता है।

विभिन्न मदों पर होने वाले व्यय का योग कर बजट पर व्यय होने वाली पूर्ण राशि का अनुमान लगाना।
बजट निर्माण के इस चरण में प्रत्येक शीर्षक के अंतर्गत आने वाले मद पर व्यय की जाने वाली राशि का अनुमान लगाया जाता है। अंत में सब शीर्षकों के व्ययों का योग कर पर्ण बजट पर होने वाले कुल व्यय का प्रतिशत निकाला जाता है। प्रत्येक शीर्षक के व्यय के योग से यह ज्ञात हो जाता है कि परिवार इन मदों पर कुल कितना व्यय कर रहा है। जैसे भोजन पर, आवास पर आदि। मदों की राशि की जानकारी नियमित खरीददारी अथवा अनुभव द्वारा प्राप्त की जा सकती है।

आश्वस्त आय (Assured income) और सम्भावित आय (Probable income) का अनुमान लगाना।
बजट की समायावधि का निर्धारण करने के बाद उस समय प्राप्त होने वाली आय का अनुमान लगाना चाहिए। निश्चित आय और सम्भावित आय दोनों का अनुमान लगाना चाहिए और उन्हें जोड़ लेना चाहिए। निश्चित आय के उदाहरण हैं वेतन। सम्भावित आय के उदाहरण हैं ब्याज, बोनस, कमीशन आदि।

अनुमानित आय (Expected income) और प्रस्तावित व्यय (Proposed expenditure) में संतुलन स्थापित करना।
यह बजट निर्माण का सबसे महत्वपर्ण चरण है. क्योंकि अनमानित आय और प्रस्तावित व्यय में संतुलन के बिना कोई भी बजट पूर्ण व सफल नहीं हो सकता। व्यय की राशि यदि अधिक हो तो प्रत्येक शीर्षक से उन कुछ वस्तुओं को हटाया जा सकता है जो अति अनिवार्य नहीं हैं।

बजट में निम्नलिखित दो विधियों द्वारा संतुलन प्राप्त किया जा सकता है

(क) उपलब्ध आय में वृद्धि करके
आय में वृद्धि द्वारा अतिरिक्त व्ययों को पूरा किया जा सकता है। आय में वृद्धि हेतु विभिन्न तरीके अपनाये जा सकते हैं, जैसे अतिरिक्त रोजगार (ट्यूशन आदि) करके आय में वृद्धि हो सकती है। आय में थोड़ी सी वृद्धि से सुखद परिणाम देखे जा सकते हैं।

(ख) व्यय में कटौती करके
निम्नलिखित तरीकों द्वारा व्यय में कटौती की जा सकती है-
कम महँगे ब्रांडों का प्रयोग करें, महँगी वस्तुओं की अपेक्षा सस्ती पर उचित गुणवत्ता वाली वस्तुएं खरीदनी चाहिए। 
वस्तुएं की थोक में खरीददारी करने से लागत मूल्य कम लगती है।
रेस्तरां और कैफेटरिया पर कम व्यय करना चाहिए, घर पर भोजन करना अधिक किफायती होता है।
घर में प्रयोग होने वाले प्रमुख उपकरणों, फर्नीचर आदि पर बजट के अनुसार ही व्यय करना चाहिए।
घर में कार्य करने के लिए नौकरों पर निर्भर ना रहते हुए घर के कार्य स्वयं कर गृह प्रबन्धक बचत कर सकता है। यह करके गृहणी बचत कर सकती है। सामुदायिक सुविधाओं का लाभ लेकर भी व्यय में कमी की जा सकती है।

बजट का परीक्षण करना
बजट का परीक्षण करना उसकी सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण चरण है। इस चरण में यह सुनिश्चित किया जाता है कि बजट को प्रभावी ढंग से किस प्रकार लागू किया जाए।
बजट का परीक्षण निम्नलिखित दृष्टिकोणों से करना चाहिए-
  • बजट द्वारा परिवार के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकताओं की पर्ति होनी चाहिए।
  • आकस्मिक आवश्यकताओं जैसे घर में शादी, मकान खरीदना आदि के लिए बचत होनी चाहिए।
  • बजट व्यवहारिक होना चाहिए।
  • पारिवारिक बजट का लक्ष्य दीर्घकालीन लक्ष्यों को प्राप्त करना होना चाहिए।

बजट का नियंत्रण
बजट का परीक्षण करने के पश्चात उसे क्रियान्वित किया जाता है। बजट के क्रियान्वयन में नियंत्रण की आवश्यकता होती है। इस चरण में यह सुनिश्चित किया जाता है कि वास्तविक रुप में व्यय बजट की रुपरेखा के अनुसार ही किया जा रहा है या नहीं। व्यय करने से पूर्व ही बजट की रुपरेखा को ध्यान में रखना चाहिए जिससे व्यय अधिक ना हो।

समायोजन
आय-व्यय का गलत अनुमान लगने, आकस्मिक घटना तथा परिवार की आवश्यकताओं और रुचियों में परिवर्तन होने के कारण बजट में समायोजन करना आवश्यक हो जाता है। समायोजन की क्रिया उस समय आवश्यक हो जाती है जब व्यय पर नियंत्रण नहीं रखा जाता है। बजट में समायोजन की परिस्थिति में अतिरिक्त राशि को विनियोजित किया जा सकता है।

व्यय का मूल्यांकन
परिवारिक बजट का मुख्य उद्देश्य परिवार के लक्ष्यों की प्राप्ति करने के साथ परिवार के सुखसंतोष में वृद्धि करना भी होता है। मूल्यांकन के चरण में यह ज्ञात होता है कि प्रस्तावित बजट के द्वारा वांछित सन्तोष प्राप्त हुआ या नहीं तथा परिवार के समस्त सदस्यों की आवश्यकताएं पूरी हुई या नहीं। मूल्यांकन से यह भी निश्चित करना चाहिए कि लक्ष्यों की प्राप्ति सन्तोषजनक है या नहीं।

एंजिल का उपभोग नियम

सन् 1857 में जर्मन अर्थशास्त्री अर्नेस्ट एंजिल ने एक आर्थिक सिद्धान्त की स्थापना की जिसे एंजिल के उपभोग नियम (Engel's law of consumption) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने जर्मनी में रहने वाले परिवारों के पारिवारिक बजट का अध्ययन एवं विश्लेषण किया और उन पर नवीन अनुसंधान किए। उन्होंने विभिन्न परिवारों को तीन वर्गों; निम्न, मध्यम और धनिक वर्ग में विभाजित किया। परिवार में व्यय होने वाली वस्तुओं जैसे वस्त्र, मकान, ईधन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के बजट के अध्ययन के उपरान्त एंजिल ने कुछ निष्कर्ष निकाले, जिन्हें हम एंजिल के उपभोग के नियमों के नाम से जानते हैं।
यह नियम निम्न हैं-
  • जब पारिवारिक आय में वृद्धि होती है तब भोजन पर प्रतिशत व्यय कम होता जाता है और आय कम होने पर बढ़ता जाता है।
  • आय में उतार-चढ़ाव होने पर भी वस्त्रों पर होने वाला प्रतिशत व्यय लगभग समान रहता है।
  • आय जितनी भी हो, प्रकाश, ईधन एवं मकान पर प्रतिशत व्यय समान रहता है।
  • आय में वृद्धि होने पर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं विलासितापूर्ण वस्तुओं पर प्रतिशत व्यय बढ़ता है तथा आय कम होने पर प्रतिशत व्यय कम हो जाता है।
  • उपर्युक्त नियम से यह स्पष्ट होता है कि आय के बढ़ने पर मूल आवश्यकताओं पर व्यय का प्रतिशत बढ़ता नहीं है वरन् भोजन पर व्यय की प्रतिशत की मात्रा कम होने लगती है, परन्तु विलासितापूर्ण आवश्यकताओं पर व्यय का प्रतिशत आय के बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है।

सारांश

"बजट” हमारे दैनिक जीवन में एक परिचित शब्द है। बजट के द्वारा हम एक निश्चित समय के लिए अपनी पारिवारिक आय का अनुमान लगाते हैं और यह निर्णय लेते हैं कि उसे किन मदों में और किस प्रकार व्यय किया जाए जिसके फलस्वरूप परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। हमें बजट का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम आय से अधिक व्यय ना करें तथा सर्वप्रथम आवश्यक वस्तुओं पर व्यय करें। बजट में बचत के लिए भी स्थान होना चाहिए क्योंकि बचत से ही दीर्घकालीन लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है। पारिवारिक बजट बनाने के कई लाभ हैं जैसे, बजट से पारिवारिक आय का उचित वितरण होता है, यह हमें अनावश्यक व्यय को पहचानने और उसे घटाने में सहायक होता है, बजट के द्वारा हम अपने परिवार के सदस्यों के लक्ष्यों एवं आवश्यकताओं की प्राप्ति कर सकते हैं आदि।
बजट निर्माण को परिवार की आय, परिवार का आकार और संरचना, परिवार के सदस्यों का व्यवसाय, पारिवारिक जीवन चक्र के चरण जैसे कारक प्रभावित करते हैं। हर चरण में अपना महत्व होता है। हमें पारिवारिक बजट का निर्माण अपनी प्राथमिकता निर्धारित करते हुए ध्यानपूर्वक बुद्धिमत्ता से करना चाहिए। इस इकाई में एंजिल के उपभोग नियम का भी वर्णन किया गया है जिसके अनुसार पारिवारिक आय में वृद्धि होने के साथ भोजन पर प्रतिशत व्यय कम होता जाता है। आय में परिवर्तन होने पर वस्त्र पर होने वाला प्रतिशत व्यय समान रहता है, आय के घटने-बढ़ने पर भी मकान, प्रकाश तथा ईधन पर प्रतिशत व्यय स्थिर रहता है और आय बढ़ने पर शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, व्यक्तिगत सेवाओं पर प्रतिशत व्यय में वृद्धि नहीं होती परन्तु एंजिल के इस नियम में बचत के लिए कोई स्थान नहीं है। परन्तु वर्तमान में एक सफल बजट वह होता है जिसमें बचत को भी स्थान दिया जाता है।

पारिभाषिक शब्दावली

  • पारिवारिक आय: पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा संतोष का प्रवाह है जो आवश्यकताओं व इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु परिवार के अधिकार में आता है।
  • पारिवारिक व्यय: विभिन्न साधनों से परिवार को जो आय प्राप्त होती है, उस आय को किन वस्तुओं पर कैसे, कब व कितना व्यय किया जाए, यही पारिवारिक व्यय कहलाता है।
  • वेतन: जिन कार्यों में शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम लगता है, उसके प्रतिफल में मिलने वाली आय को आमतौर पर वेतन कहा जाता है।
  • ब्याज: पूँजी के विनियोग के बदले में जो धन प्राप्त होता है, उसे ब्याज कहते हैं।

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