टेलिविजन विज्ञापन | television vigyapan

टेलिविजन विज्ञापन

टेलिविजन विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं: व्यवसायिक व सामाजिक। जाहिर-सी बात है कि टेलिविजन पर अधिक मात्रा मे व्यवसायिक विज्ञापन ही आते हैं। इन्हें कमर्शियल या टेलिविजन कमर्शियल कहा जाता है। अधिकतर टेलिविजन विज्ञापनों में विज्ञापित वस्तु को एक निश्चित स्थिति में दर्शाया जाता है। साथ ही एक निश्चित माहौल बनाने का प्रयास भी किया जाता है। विज्ञापित वस्तु मे निहित तत्त्वों, इसकी गुणवत्ता तथा कार्यक्षमता आदि को सकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। और यह सब कार्य करने के लिए टेलिविजन विज्ञापन निर्माता के पास केवल मात्र दस से तीस सेकेंड होते हैं। यह निश्चय ही एक कठिन कार्य है।
इस कठिन कार्य को सुचारू रूप से करने हेतू रचनात्मक, प्रबन्धनीय व निर्माण सम्बन्धी विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों के दल की आवश्यकता पड़ती है। इस दल में विजुअलाइजर, चित्र विशेषज्ञ, निर्देशक, संगीतकार आदि अनेक विशेषज्ञ होते हैं। किन्तु इन सभी में से शायद सबसे प्रमुख भूमिका लेखकों की होती है।
मुद्रित विज्ञापन व प्रचार, प्रसार सामग्री में प्रयुक्त शाब्दिक सामग्री को 'प्रति' कहा जाता है। रेडियो व टेलिविजन हेतू शाब्दिक सामग्री 'स्क्रिप्ट' शैली में लिखा जाता है। विज्ञापन स्क्रिप्ट में दिखाए जाने वाले दृश्य व क्रियाओं का शाब्दिक विवरण तथा विज्ञापन में शामिल पात्रों के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाली मौखिक सामग्री शामिल होती है। स्क्रिप्ट लिखने हेतू शाब्दिक मनन के साथ-साथ चित्र सामग्री सम्बन्धित मनन की भी आवश्यकता है। टेलिविजन विज्ञापन के लेखक को शाब्दिक सामग्री को लिखने के साथ-साथ सम्बन्धित क्रियाओं व चित्र सामग्री के संदर्भ में भी सोचने की आवश्यकता है। साथ ही महत्त्वपूर्ण बात यह है कि टेलिविजन विज्ञापन में प्रयुक्त शाब्दिक सामग्री तथा दिखाई जाने वाली क्रिया व दृश्य सामग्री के बीच में सही तालमेल हो। शाब्दिक व दृश्य सामग्री के बीच के इस तालमेल को 'रचनात्मक समन्वयता' कहा जाता है।
टेलिविजन विज्ञापनों में रचनात्मक समन्वय के अन्य प्रमुख पहलू हैं कि विज्ञापन आँखों व कानों के लिए बनाए जाते हैं। साथ ही टेलिविजन विज्ञापनों में आवश्यकता के अनुसार भावात्मकता व तर्कशीलता के बीच में भी सही तालमेल बैठाया जाता है।
प्रभावी टेलिविजन विज्ञापन बनाने की दिशा मे निम्नलिखित प्रमुख चरण होते हैं-
  • सम्पूर्ण विज्ञापन की कल्पना करना
  • विज्ञापित वस्तु सेवा के महत्त्वपूर्ण पहलूओं को दर्शाना
  • विज्ञापन संदेश में सहजता व सरलता लाना
  • विज्ञापन के प्रस्तुतिकरण में गतिशीलता लाना
  • सम्प्रेषण हेतू आकर्षक व मनोरंजक तत्त्वों का इस्तेमाल करना

सम्पूर्ण विज्ञापन की कल्पना करना
टेलिविजन दृश्य प्रधान माध्यम है। जाहिर-सी बात है कि दर्शक टेलिविजन माध्यम में बहुत कुछ देखना चाहते हैं। वे विज्ञापित वस्तु को देखना चाहते हैं, वे विज्ञापित वस्तु की कार्य प्रणाली व कार्य क्षमता को भी देखना चाहते हैं, वे विज्ञापित वस्तु से होने वाले फायदों को भी देखना चाहते हैं। साथ ही वे यह भी देखना चाहते हैं कि किस वर्ग के लोग विज्ञापित वस्तु का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जरूरी होता है कि पूरे विज्ञापन की निर्माण से पहले ही सम्पूर्ण रूप से कल्पना की जाए। यह कार्य कर पाने के लिए अति सूक्ष्म व अव्वल दर्जे के विजुअलाइजिंग क्षमता की आवश्यकता होती है। सिनेमा या टेलिविजन निर्माण के क्षेत्र में अनुभव टेलिविजन विज्ञापन निर्माण में मददगार साबित होता है।

विज्ञापित वस्तु सेवा के महत्त्वपूर्ण पहलूओं को दर्शाना
विज्ञापन माध्यम के रूप में टेलिविजन की बहुत बडी खूबी है कि इस पर लगभग सभी चीजों को दर्शाया जा सकता है। विज्ञापन निर्माता टेलिविजन के इस पहलू का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। किन्तु यहाँ सवाल उठता है कि क्या दिखाया जाए ? विज्ञापित वस्तु के संदर्भ में कुछ विकल्प हैं: खाली विज्ञापित वस्तु को दिखाना, निश्चित संगत स्थिति में वस्तु को दिखाना, वस्तु को इस्तेमाल होते हुए दिखाना, वस्तु को पैकेज के साथ दिखाना, वस्तु में निहित विभिन्न तत्त्वों को दिखाना, वस्तु के विभिन्न अंगों को दिखाना, निश्चित संदर्भो में वस्तु के आकार व आकृति को दिखाना, वस्तु की कार्य प्रणाली को दिखाना आदि।

विज्ञापन संदेश में सहजता व सरलता लाना
टेलिविजन विज्ञापन देखते समय ज्यादातर दर्शक सोचना नहीं चाहते। हम प्रायः टेलिविजन मनोरंजन व समाचार के लिए देखते हैं। अतएव हम टेलिविजन पर गम्भीर व जटिल सामग्री की अपेक्षा नहीं रखते। इसी कारण टेलिविजन विज्ञापनों में अवधारणा या थीम से लेकर शब्द, भाषा, चित्र सामग्री, संगीत आदि में सरलता व सहजता की आवश्यकता होती है।

विज्ञापन के प्रस्तुतिकरण में गतिशीलता लाना
चलमान माध्यम होने के नाते दर्शकों की टेलिविजन से गतिशीलता की अपेक्षा रहती है। इसी कारण टेलिविजन विज्ञापनों में अनेकों कार्य व क्रियाओं को शामिल किया जाता है। इस प्रकार की क्रियाशीलता के कारण दर्शकों का आकर्षण व ध्यान बरकरार रहता है तथा वह चैनल सर्फिग से बचते हैं। वैसे कोई भी दर्शक धीमे व बोरियत भरे विज्ञापन नहीं देखना चाहता। अतएव सभी प्रकार की वस्तु व सेवाओं के विज्ञापनों में गतिशीलता की आवश्यकता होती है। किन्तु बाइक, कार व स्वास्थ्यवर्धक पेय आदि के विज्ञापनों में गतिशीलता व क्रियाशीलता की अधिक आवश्यकता होती है।

सम्प्रेषण हेतू आकर्षक व मनोरंजक तत्त्वों का इस्तेमाल करना
सिनेमा की भांति टेलिविजन को भी 'शो-बिजनेस' कहा जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि विज्ञापनों के जरिए सपने बेचे जाते हैं। विज्ञापन हमारे अन्दर छिपी चाहतों को जगाते हैं।
इस संदर्भ में टेलिविजन विज्ञापनों में मनोरंजन एक अत्यावश्यक तत्त्व व साधन है। विज्ञापनों में मनोरंजन को विज्ञापित संदेश को सम्प्रेषणीय व प्रभावी बनाने हेतू प्रयोग में लाया जाता है। अतः टेलिविजन विज्ञापनों में मनोरंजन को सम्प्रेषण व संचार के माध्यम के रूप में प्रयोग किया जाता है।

Post a Comment

Newer Older