थकान किसे कहते हैं - thakan kise kahate hain

थकान का अर्थ एवं परिभाषा

शक्ति व्यवस्थापन में थकान का विशेष महत्व है। एक लंबी समयावधि तक लगातार कार्य करते रहने से थकान उत्पन्न होती है। लगातार काम करते रहने पर व्यक्ति द्वारा शारीरिक एवं मानसिक कारणों से कार्य कर पाने में असमर्थता/असक्षमता को सरल भाषा में थकान कह सकते हैं। थकान का एक मुख्य कारण शारीरिक दुर्बलता भी है। प्रायः देखा जाता है जो कार्य रुचिकर होते हैं, उन्हें करने में थकान का अनुभव कम होता है।
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शक्ति व्यवस्थापन के लिए थकान दूर करना अति आवश्यक है। थकान दूर होने पर व्यक्ति पुनः तनाव मुक्त, एकाग्रचित्त और नए उत्साह से कार्य करता है। शारीरिक थकान में कार्य सम्पादित करने पर मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है।

आइए थकान के विषय में कुछ रोचक तथ्यों को जानें।

थकान के कारण

थकान मुख्यतः दो कारणों से हो सकती है।
  1. बाह्य या भौतिक कारक
  2. आन्तरिक या मानसिक कारक

बाह्य या भौतिक कारक
अधिक कार्यभार, कम समय में अधिक काम निपटाना, अनुपयुक्त कार्य क्षेत्र, अनुचित शारीरिक स्थिति, अपूर्ण प्रकाश, उचित खान-पान न मिलना आदि के कारण थकान हो सकती है। ये थकान उत्पन्न करने वाले भौतिक कारक हैं। इन कारकों को एक सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है।

आन्तरिक या मानसिक कारक
रोग ग्रस्त शरीर, मानसिक आघात, अल्प अथवा उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग, काम में रूचि या ज्ञान-कौशल का अभाव तथा व्यक्ति का नकारात्मक दृष्टिकोण थकान के मानसिक कारण हैं। इन कारकों पर व्यक्ति को स्वयं नियंत्रण रखना होता है।

थकान के लक्षण

  • शारीरिक एवं मानसिक रूप से कार्य में रूचि न लेना।
  • एकाग्रता में कमी।
  • उबासी, नींद, जम्हाई आना।
  • व्यक्ति देखने में शिथिल और रसहीन दिखाई पड़ता है।
  • काम करने में अधिक समय लेना।
  • काम में बहुत गलतियां होना।

थकान के प्रकार

थकान दो प्रकार की होती है।
  1. शारीरिक थकान
  2. मनोवैज्ञानिक थकान

शारीरिक थकान
लगातार काम करने के कारण शरीर और अधिक कार्य न कर पाने की स्थिति में होता है। शरीर में ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है। शरीर में भोजन उपापचय के दौरान कार्बोहाईड्रेट से ग्लूकोज में बदल जाता है। यह ग्लूकोज रक्त में मिलकर पेशियों में पहुँचता है। पेशियां ग्लूकोज का संचय कर लेती हैं। रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन नामक तत्त्व ऑक्सीजन का संवहन करता है। ऑक्सीजन पेशियों में उपस्थित ग्लूकोज से क्रिया करके पाइरुविक अम्ल तथा बाद में लैक्टिक अम्ल बनाता है। यह लैक्टिक अम्ल पुनः ऑक्सीजन के साथ क्रिया कर कार्बन डाई ऑक्साइड तथा जल बनाता है। इस प्रकार पेशियां निरन्तर ग्लूकोज का ऑक्सीकरण करती रहती हैं तथा शरीर को ऊष्मा एवं ऊर्जा मिलती रहती है।
कार्य करने की दशा में पेशियां निरन्तर त और प्रसारित होती रहती हैं। इस प्रकार पेशियों में संचित ऊर्जा समाप्त हो जाती है और उस स्थान पर लैक्टिक अम्ल का निर्माण हो जाता है जिसका पुनः ऑक्सीकरण होना आवश्यक है। 
विश्राम की अवस्था में पेशियों में संग्रहित लैक्टिक अम्ल का ऑक्सीकरण हो जाता है जिसके फलस्वरूप कार्बन डाई आक्साइड, जल एवं ऊष्मा की उत्पत्ति होती है तथा थकान दूर हो जाती है।
विश्राम करने से व्यक्ति की कार्यक्षमता पूर्ववत हो जाती है। पेशियों की थकान को अरगोमीटर (Ergometer) नामक यंत्र से नापा जाता है।

मनोवैज्ञानिक थकान
इस प्रकार की थकान का कारण शारीरिक न होकर मानसिक होता है। मनोवैज्ञानिक थकान कई बार शारीरिक थकान से अधिक तीव्र होती है। इसके कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नीरस थकान एवं कुण्ठाजन्य थकान इसके उदाहरण हैं।

थकान दूर करने के उपाय

  • उचित विश्राम लेकर थकान को दर किया जा सकता है।
  • कार्य में किसी प्रेरक स्रोत की उपस्थिति से थकान का अनुभव कम होता है।
  • कार्य में परिवर्तन करते रहने से कार्य नीरस नहीं लगता जिससे थकान कम लगती है।
  • उचित खानपान एवं शारीरिक मुद्रा से थकान को दूर किया जा सकता है।
  • आधुनिक उपकरणों तथा तकनीक की सहायता।

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