इटली से पुनर्जागरण का प्रारंभ।

इटली से पुनर्जागरण का प्रारंभ।

इटली से पुनर्जागरण का प्रारंभ।

इटली से ही पुनर्जागरण क्यों ?
  1. विदेश व्यापार का प्रमुख केंद्र
  2. समृद्ध नगरों की स्थापना
  3. समृद्ध मध्यम वर्ग का उदय
  4. पूर्व की समृद्ध संस्कृति से सम्पर्क
  5. इटली प्राचीन रोमन सभ्यता की जन्म स्थली
  6. कुस्तुन्तुनिया के पतन पर विद्वानों का इटली में आश्रय लेना
  7. शिक्षा के स्वरुप में परिवर्तन

पुनर्जागरण की जन्म स्थली इटली :

पुनर्जागरण की नवीन विचारधारा का प्रारंभ इटली से ही शुरू हुआ। इटली से पुनर्जागरण के प्रारंभ होने के कई कारण रहे। इतिहासविदों की मान्यता है की इटली में प्राचीन रोमन साम्राज्य की महत्वपूर्ण उपलब्धियां धुंधले रूप से नजर आ रही थी और ज्ञान प्राप्त करने की प्राचीन परम्परा पूर्ण रूप से अवरुद्ध नहीं हुई थी। अनेक व्यक्ति कला और साहित्य को संरक्षण दे रहे थे। इटली से पुनर्जागरण के प्रारंभ होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित रहे -

1. विदेश व्यापार का प्रमुख केंद्र - 
इटली की भौगोलिक स्थिति भूमध्य सागरीय देशों में सबसे अनुकूल स्थिति थी जिससे अरब और एशिया के व्यापारियों द्वारा लाया गया माल अधिकांश इटली में ही बिकता था और यहीं से एशिया की वस्तुएँ यूरोपीय देशों में व्यापार के लिए जाती थी जिससे इटली एक प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस विदेशी व्यापार से इटली में एक सम्रद्ध मध्यवर्ग का उदय हुआ। यह मध्यवर्ग मजहबी नियंत्रणों की उपेक्षा करने लगा।

2. समृद्ध नगरों की स्थापना - 
इटली विदेशी व्यापारियों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र होने से नेपल्स, फ्लोरेन्स, मिलान, वेनिस जैसे समृद्ध नगरों की स्थापना हुई जिससे इन नगरों में निवास करने वाले लोगों के रहन-सहन, खान-पान, सभ्यता और संस्कृति उच्च कोटि की हुई। जिसने पुनर्जागरण को प्रेरणा दी।

3. समृद्ध मध्यम वर्ग का उदय -
इटली व्यापार का प्रमुख केंद्र होने के कारण समृद्ध मध्यम वर्ग का उदय हुआ। यह व्यापारी वर्ग इतना शक्तिशाली हो गया की उसने सामंतों एवं पोप की परवाह नहीं की और मध्यकालीन मान्यताओं को नहीं माना, इससे इटली में पुनर्जागरण की नवीन प्रवृत्ति का संचार हुआ।

4. पूर्व की समृद्ध संस्कृति से सम्पर्क - 
पूर्वी देशों के व्यापारी इटली में कुछ समय के लिए प्रवास करते थे एवं इटली के व्यापारी एशिया के विभिन्न देशों में व्यापार के लिए जाते थे। एशिया के लोगों के रहन-सहन धर्म सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धता ने उन्हें आकर्षित किया। यूरोप के अज्ञान एवं धार्मिक रूढ़िवादिता की तुलना समृद्ध पूर्वी देशों से किया जाना स्वाभाविक था। इसी तुलना ने इटली में पुनर्जागरण की प्रवृत्ति को सशक्त आधार प्रदान किया।

5. इटली प्राचीन रोमन सभ्यता की जन्म स्थली - 
इटली के नगरों में मौजूद प्राचीन सभ्यता के बहुत से स्मारक अभी भी लोगों को गत वैभव की याद दिलाते थे।प्राचीन रोम जैसी महत्ता तथा अपने देश को पुनः गौरवशाली बनाने का विचार लोगों के मन में छाया हुआ था। इसी विचार ने इटली को पुनर्जागरण का केंद्र बिंदु बना दिया।

6. कुस्तुन्तुनिया के पतन पर विद्वानों का इटली में आश्रय लेना -
यूरोप के प्रवेश द्वार कुस्तुन्तुनिया पर 1453 ई. में तुर्कों के अधिकार हो जाने के कारण यूनानी विद्वान, कलाकार और व्यापारी इटली आकर बस गये। यह विद्वान अपने साथ प्राचीन यूनानी साहित्य भी साथ लेकर के आये।इनमें निहित ज्ञान से यूरोप अभी अनभिज्ञ था। इस साहित्य के अतुल ज्ञान विज्ञान एवं विचार पद्धति ने यूरोप को जागृत कर दिया।

7. शिक्षा के स्वरुप में परिवर्तन -
मध्ययुग में शिक्षा मजहब से विशेष प्रभावित व् केन्द्रित थी। इटली में व्यापार और आर्थिक सम्रद्धि के कारण शिक्षा के नये स्वरुप की आवश्यकता हुई। इसमें भौगोलिक ज्ञान, व्यावसायिक ज्ञान, विज्ञान, मानवोपयोगी तथा तर्क युक्त विषयों को समुचित स्थान दिया गया। ऐसी शिक्षा ने इटली में पुनर्जागरण का आधार बना दिया।
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