पर्यावरणीय समस्याएँ एवं समाधान (Environmental Issues and Solutions)।

पर्यावरणीय समस्याएँ एवं समाधान (Environmental Issues and Solutions)

ज़्यादातर पर्यावरणीय समस्याएँ पर्यावरण अवनयन व जनसंख्या द्वारा संसाधनों के उपभोग में वृद्धि से जनित हैं। पर्यावरणीय समस्याएँ, वातावरण में होने वाले वे सारे परिवर्तन हैं जो अवांछनीय हैं एवं स्थानीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर पर्यावरण की धारणीयता के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं। इनमें स्थानीय स्तर पर मृदा प्रदूषण, जलजनित रोग, वन्यजीवों की प्रजातियों का विलुप्त होना प्रमुख हैं। वहीं क्षेत्रीय स्तर पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, अम्ल वर्षा व तेल रिसाव के कारण पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

वैश्विक स्तर पर प्रदूषण, जैवविविधता क्षरण, भूमंडलीय तापन, ओजोन क्षरण, जलवायु परिवर्तन तथा प्रजातियों का विनाश होना प्रमुख पर्यावरणीय समस्या के रूप में विश्व के सम्मुख बड़ा खतरा है। वर्तमान पर्यावणीय समस्याएँ संसाधनों के कुप्रबंधन का परिणाम है। इन समस्याओं का स्वरुप केवल स्थानीय न होकर वैश्विक होता है, अतः इसके समाधान के प्रयास भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के किए जाने चाहिये।
इनके समाधान के लिए आवश्यक है कि पर्यावरण अवनयन के विभिन्न पहलुओं के आधार पर सतत् विकास के उद्देश्य को प्राप्त करने की योजना बनाई जाए। पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूलतम ऊर्जा पर आधारित इस तरह की प्रौद्योगिकी विकसित की जाए जिससे न्यूनतम प्रदूषण हो।
ऊर्जा संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर भी प्रदूषण के स्तर में कमी लाई जा सकती है। जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को कृषि, वानिकी, पर्यटन और मत्स्यन के साथ जोड़ा जा सकता है। वनीकरण को जनांदोलन के रूप में बढ़ावा देकर पर्यावरण को समृद्ध किया जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है कि औद्योगिक विकास और नगरीकरण की अवधारणा को सतत् विकास के साथ जोड़कर देखा जाए। पर्यावरण की समस्या का समाधान तभी हो सकता है जबकि इस समस्या को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तंत्र का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए।

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