जीन अभियांत्रिकी (Genetic Engineering)।

जीन अभियांत्रिकी (Genetic Engineering)


जीन अभियांत्रिकी वस्तुतः एक तकनीक है, जिसके अंतर्गत किसी जीव के किसी विशेष लक्षण अथवा लक्षणों में वांछित सुधार लाने के उद्देश्य से उस विशेष लक्षण अथवा लक्षणों को नियंत्रित करने वाले जीन में कृत्रिम तरीके से परिवर्तन किया जाता है। इसलिये किसी विशेष डीएनए खंड को या किसी विशिष्ट जीन या जीनों को अलग करके उन्हें नए जीवों में आरोपित कर दिया जाता है, जैसे- किसी जीन या जीनों को किसी जीवाणु से मनुष्य में अथवा पौधों या जंतुओं में हस्तांतरित करना या इसकी विपरीत प्रक्रिया।
इससे जीनों का एक बिल्कुल नए प्रकार का पुनर्संयोजन (Recombination) बनता है या दूसरे शब्दों में कहें तो पुनर्संयोजित डीएनए (Recombinant DNA) बनता है। इस प्रकार जीन अभियांत्रिकी तकनीक के माध्यम से किसी जीव में वांछित लक्षणों को प्राप्त किया जा सकता है।
जीन अभियांत्रिकी का एक महत्त्वपूर्ण एवं प्रत्यक्ष लाभ यह है कि इसकी सहायता से असाध्य एवं आनुवंशिक बीमारियों का निराकरण किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त इसके माध्यम से पशुओं की अधिक उत्पादक एवं उपयोगी नस्लों का विकास भी संभव है। वर्तमान समय में जीन अभियांत्रिकी का उपयोग मुख्य रूप से एड्स, हृदय से संबंधित रोगों, मलेरिया, हीमोफीलिया एवं अन्य घातक बीमारियों आदि के लिये वैक्सीन निर्माण में किया जा रहा है।

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