भारत राज्य वन रिपोर्ट, 2015 (India State of Forest Report, 2015)
भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा राज्य वन रिपोर्ट, प्रत्येक दो वर्ष में 1987 से प्रकाशित की जा रही है। इसे भारतीय सुदूर संवेदन (IRS) के रिसोर्ससैट-2 उपग्रह के माध्यम से मापकर दर्शाया जाता है। 2015 की प्रकाशित रिपोर्ट 14वीं रिपोर्ट है।
वन रिपोर्ट की विशेषताएँ
ग्रीन वॉश क्षेत्र के भीतरी तथा बाहरी वनावरण का आकलन
यह उल्लेखनीय है कि देश के अभिलिखित (Recorded) वन क्षेत्र की अंकीय (Geo-coded) सीमाएँ उपलब्ध न होने के कारण अभिलिखित वन क्षेत्र के भीतर व बाहर हुए वनावरण के अंतर को इंगित करना संभव नहीं था। इस बाधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय वन सर्वेक्षण ने इस उद्देश्य हेतु भारतीय सर्वेक्षण टोपोग्राफिक शीट्स (Topographic Sheets) के ग्रीन वॉश क्षेत्र का प्रयोग किया। टोपोशीटों के ग्रीन वॉश क्षेत्र देश के 'अभिलिखित वन क्षेत्र' (RFAs) से विस्तृत रूप से मेल खाते हैं। यद्यपि इनमें निजी वन, समुदाय एवं अन्य वन क्षेत्र सभी सम्मिलित हैं जो कि वन विभाग के स्वामित्व में नहीं आते हैं। इसके अतिरिक्त, टोपोशीट के ग्रीन वॉश क्षेत्र के बाहर भी अभिलिखित वन क्षेत्र पाया गया है।
शहरी वृक्ष संसाधन
शहरी वृक्ष एवं वन, कस्बों और शहरों में जीवन की श्रेणी में प्रमुख भूमिका अदा कर रहे हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण, 2002 से लगातार बाह्य वन वृक्ष इन्वेन्ट्री के अधीन शहरी वृक्ष संसाधनों का आकलन कर रहा है, तथापि पहले की रिपोर्टों में शहरी वृक्ष संसाधनों पर सूचना को अलग से समाहित नहीं किया गया था। शहरी वृक्षों की वृद्धि की महत्ता पर विचार करते हुए आकलनों के परिणामों को 2013 की रिपोर्ट में अलग अध्याय में सम्मिलित किया गया है। इस अध्याय में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर शहरी क्षेत्र के वनों की संख्या एवं प्रजातियों के अनुसार आयतन एवं व्यास श्रेणी को विस्तारपूर्वक दर्शाया गया है।
भारतीय वन सर्वेक्षण के नए प्रयास
ई-ग्रीनवॉच (E-greenwatch)
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में यह आदेश जारी किया था कि क्षतिपूर्तिकारी वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) क्षतिपूर्तिकारी वनरोपण क्रियाकलापों में तकनीकी सहयोग व मूल्यांकन हेतु राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के रूप में कार्य करेगी।
ई-ग्रीनवॉच को एक संपूर्ण संरचना सहित समग्र ऑनलाइन प्रणाली की तरह विकसित किया गया है जो कि पूर्णतः पारदर्शी, भरोसेमंद एवं | जवाबदेह है। यह कैंपा के तहत होने वाले विभिन्न क्रियाकलापों की निगरानी करेगा। ई-ग्रीनवॉच को मुख्यतः कैंपा निधियों का उपयोग करने वाली भिन्न परियोजनाओं की प्रगति का अनुश्रवण आधार प्रदान करने की दृष्टि से विकसित किया गया है। यह वृक्षारोपण गतिविधियों के उचित अनुश्रवण व मूल्यांकन का कार्य भी करेगा। वर्तमान में 24 राज्य व एक संघशासित प्रदेश को ई-ग्रीनवॉच से जोड़ दिया गया है।
निर्णय सहायता प्रणाली (Decision Support System)
निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) एक वेब-GIS आधारित अनुप्रयोग है जो वन क्षेत्रों के संबंध में परिमाणात्मक और गुणात्मक सूचनाएँ प्रदान करने के लिये विकसित की गई है। इसे नवंबर 2014 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। यह निर्णायकों को प्रणाली द्वारा विकसित सूचनाओं के आधार पर पूर्व सूचित निर्णय लेने में सहायता करती है। यह प्रणाली वन संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावों के संबंध में भी निर्णय लेने के लिये एक वृहद् तरीके के रूप में मदद करती है। यह वन एवं वन्यजीव क्षेत्रों से संबंधित अलग-अलग मुद्दों पर सूचनाएँ प्रदान करने के लिये अलग-अलग परिमंडलों का प्रयोग करती है।
DSS अनुप्रयोग में प्रयुक्त जिओ स्पेशियल डाटा में राज्य और जिला परिमंडल, संरक्षित क्षेत्र, बाघ संरक्षित क्षेत्र, बाघ कॉरिडोर, वन आच्छादन मानचित्र, वन किस्म मानचित्र, जैविकीय समृद्धि, भू-आकृतिक एकीकरण, नेट वर्तमान मूल्य, हाइड्रोलोजिकल लेयर, अभिलेखबद्ध वन क्षेत्र आदि शामिल हैं।
भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा राज्य वन रिपोर्ट, प्रत्येक दो वर्ष में 1987 से प्रकाशित की जा रही है। इसे भारतीय सुदूर संवेदन (IRS) के रिसोर्ससैट-2 उपग्रह के माध्यम से मापकर दर्शाया जाता है। 2015 की प्रकाशित रिपोर्ट 14वीं रिपोर्ट है।
वन रिपोर्ट की विशेषताएँ
ग्रीन वॉश क्षेत्र के भीतरी तथा बाहरी वनावरण का आकलन
यह उल्लेखनीय है कि देश के अभिलिखित (Recorded) वन क्षेत्र की अंकीय (Geo-coded) सीमाएँ उपलब्ध न होने के कारण अभिलिखित वन क्षेत्र के भीतर व बाहर हुए वनावरण के अंतर को इंगित करना संभव नहीं था। इस बाधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय वन सर्वेक्षण ने इस उद्देश्य हेतु भारतीय सर्वेक्षण टोपोग्राफिक शीट्स (Topographic Sheets) के ग्रीन वॉश क्षेत्र का प्रयोग किया। टोपोशीटों के ग्रीन वॉश क्षेत्र देश के 'अभिलिखित वन क्षेत्र' (RFAs) से विस्तृत रूप से मेल खाते हैं। यद्यपि इनमें निजी वन, समुदाय एवं अन्य वन क्षेत्र सभी सम्मिलित हैं जो कि वन विभाग के स्वामित्व में नहीं आते हैं। इसके अतिरिक्त, टोपोशीट के ग्रीन वॉश क्षेत्र के बाहर भी अभिलिखित वन क्षेत्र पाया गया है।
शहरी वृक्ष संसाधन
शहरी वृक्ष एवं वन, कस्बों और शहरों में जीवन की श्रेणी में प्रमुख भूमिका अदा कर रहे हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण, 2002 से लगातार बाह्य वन वृक्ष इन्वेन्ट्री के अधीन शहरी वृक्ष संसाधनों का आकलन कर रहा है, तथापि पहले की रिपोर्टों में शहरी वृक्ष संसाधनों पर सूचना को अलग से समाहित नहीं किया गया था। शहरी वृक्षों की वृद्धि की महत्ता पर विचार करते हुए आकलनों के परिणामों को 2013 की रिपोर्ट में अलग अध्याय में सम्मिलित किया गया है। इस अध्याय में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर शहरी क्षेत्र के वनों की संख्या एवं प्रजातियों के अनुसार आयतन एवं व्यास श्रेणी को विस्तारपूर्वक दर्शाया गया है।
भारतीय वन सर्वेक्षण के नए प्रयास
ई-ग्रीनवॉच (E-greenwatch)
सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 में यह आदेश जारी किया था कि क्षतिपूर्तिकारी वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) क्षतिपूर्तिकारी वनरोपण क्रियाकलापों में तकनीकी सहयोग व मूल्यांकन हेतु राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के रूप में कार्य करेगी।
ई-ग्रीनवॉच को एक संपूर्ण संरचना सहित समग्र ऑनलाइन प्रणाली की तरह विकसित किया गया है जो कि पूर्णतः पारदर्शी, भरोसेमंद एवं | जवाबदेह है। यह कैंपा के तहत होने वाले विभिन्न क्रियाकलापों की निगरानी करेगा। ई-ग्रीनवॉच को मुख्यतः कैंपा निधियों का उपयोग करने वाली भिन्न परियोजनाओं की प्रगति का अनुश्रवण आधार प्रदान करने की दृष्टि से विकसित किया गया है। यह वृक्षारोपण गतिविधियों के उचित अनुश्रवण व मूल्यांकन का कार्य भी करेगा। वर्तमान में 24 राज्य व एक संघशासित प्रदेश को ई-ग्रीनवॉच से जोड़ दिया गया है।
निर्णय सहायता प्रणाली (Decision Support System)
निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) एक वेब-GIS आधारित अनुप्रयोग है जो वन क्षेत्रों के संबंध में परिमाणात्मक और गुणात्मक सूचनाएँ प्रदान करने के लिये विकसित की गई है। इसे नवंबर 2014 में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। यह निर्णायकों को प्रणाली द्वारा विकसित सूचनाओं के आधार पर पूर्व सूचित निर्णय लेने में सहायता करती है। यह प्रणाली वन संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावों के संबंध में भी निर्णय लेने के लिये एक वृहद् तरीके के रूप में मदद करती है। यह वन एवं वन्यजीव क्षेत्रों से संबंधित अलग-अलग मुद्दों पर सूचनाएँ प्रदान करने के लिये अलग-अलग परिमंडलों का प्रयोग करती है।
वनावरण 2015 आकलन
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श्रेणी
|
क्षेत्रफल
(वर्ग किमी.)
|
भौगोलिक
क्षेत्रफल का प्रतिशत
|
वनावरण
|
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(क) अत्यंत सघन वन
|
85,904
|
2.61
|
(ख) सामान्य सघन वन
|
315,374
|
9.59
|
(ग) खुले वन
|
300,395
|
9.14
|
कुल वनावरण
|
7,01,673
|
21.34
|
झाड़ीदार वन
|
41,362
|
1.26
|
गैर वन
|
25,44,228
|
77.40
|
कुल
भौगोलिक क्षेत्रफल
|
32,87,263
|
100.00
|
DSS अनुप्रयोग में प्रयुक्त जिओ स्पेशियल डाटा में राज्य और जिला परिमंडल, संरक्षित क्षेत्र, बाघ संरक्षित क्षेत्र, बाघ कॉरिडोर, वन आच्छादन मानचित्र, वन किस्म मानचित्र, जैविकीय समृद्धि, भू-आकृतिक एकीकरण, नेट वर्तमान मूल्य, हाइड्रोलोजिकल लेयर, अभिलेखबद्ध वन क्षेत्र आदि शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- ISFR-2015 के अनुसार देश में कल वनावरण एवं वृक्षावरण 7,94,245 वर्ग किमी. है जो कि देश के कल भौगोलिक क्षेत्र का 24.16 प्रतिशत है।
- भारत में कुल वन क्षेत्र 7.01.673 वर्ग किलोमीटर है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.34 प्रतिशत है।
- वृक्ष आच्छादित क्षेत्र 92,572 वर्ग किलोमीटर है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.82 प्रतिशत है।
- 2013 के पिछले मूल्यांकन की तुलना में वन आच्छादित क्षेत्रफल में 3,775 वर्ग किमी. और वृक्ष आच्छादित क्षेत्रफल में 1,306 वर्ग किलोमीटर (कुल 5,081 वर्ग किमी.) की वृद्धि हुई है। भारत के समग्र वन क्षेत्र में एक-चौथाई उत्तर-पूर्व के राज्यों में हैं, लेकिन पिछले मूल्यांकन की तुलना में उत्तर-पूर्व के राज्यों में 628 वर्ग किमी. वन क्षेत्र में कमी आई है।
- वन क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वन क्षेत्रफल मध्य प्रदेश का है, तत्पश्चात् अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा ओडिशा का स्थान आता है।
- प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक वन क्षेत्रफल मिज़ोरम (88.93%) लक्षद्वीप (84.56%), अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (81.84%) तथा अरुणाचल प्रदेश (80.30%) का है।
- ISFR-2013 की तुलना में मैंग्रोव वन क्षेत्र में 112 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। मैंग्रोव वनों का सर्वाधिक विस्तार क्रमशः पश्चिम बंगाल (2,106 वर्ग किमी.), गुजरात (1,107 वर्ग किमी.) तथा अंडमान एवं निकोबार (617 वर्ग किमी.) में है।
- वर्ष 2013 की तुलना में 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के वनावरण में कमी आयी जिसमें सबसे ज़्यादा कमी मिज़ोरम (-306 वर्ग किमी.) में हुई इसके बाद क्रमशः उत्तराखंड, तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश का स्थान आता है।
- वर्ष 2013 की तुलना में 19 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के वनावरण में वृद्धि हुई। सबसे ज़्यादा वृद्धि तमिलनाडु (2501 वर्ग किमी.) में हुई इसके बाद क्रमशः केरल, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का स्थान आता है।
- प्रतिशत की दृष्टि से न्यूनतम वन क्षेत्रफल पंजाब (3.52%) है इसके बाद क्रमशः हरियाणा (3.58%), राजस्थान (4.73%) एवं उत्तर प्रदेश (6.00%) का स्थान आता है।
- देश में वनों का कुल कार्बन स्टॉक 7,044 मिलियन टन अनुमानित है जिसमें 103 मिलियन टन की वृद्धि हुई है। यह पिछले मूल्यांकन की तुलना में 1.48 प्रतिशत अधिक है।
- 15 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में भौगोलिक क्षेत्र के मद्देनजर 33 प्रतिशत से ऊपर वनों का दायरा है।