ज्वारनदमुख पारितंत्र (Estuaries Ecosystem)।

ज्वारनदमुख पारितंत्र (Estuaries Ecosystem)

नदियाँ जब डेल्टा न बनाकर सीधे समुद्र में मिल जाती हैं, तब एश्चुअरी का निर्माण होता है। इसलिये एश्चुअरी को एक ऐसे संक्रमण क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जहाँ नदियाँ समुद्र में मिलती हैं। यह एक ऐसा तटीय क्षेत्र होता है, जिसका मुँह समुद्र की ओर खुला होता है।
ज्वारनदमुख पारितंत्र के लाभ -

प्रोविजनिंग सेवाएँ (Provisioning Services)
  • खाद्य उत्पादन
  • कच्चे माल की उपलब्धता
  • प्राकृतिक औषधियों का उत्पादन
  • उच्च जैविक उत्पादकता

विनियमन और रख-रखाव सेवाएँ (Regulation and Maintenance Services)
  • कचरे का नियमन
  • पोषक तत्त्व व गैसीय रचना का चक्रण (Cycling of Gases and Nutrients)
  • जलवायु विनियमन
  • जल चक्र की स्थिरता

पर्यावास और पारिस्थितिकी सामुदायिक सेवाएँ (Habitat and Ecological Community Services)
  • जीव-जन्तुओं के लिये वास
  • नई प्रजातियों का वास
  • बाढ़/सुनामी से सुरक्षा
  • मछलियों का वास

सांस्कृतिक सेवाएँ (Cultural Services)
  • सांस्कृतिक और मनोरंजन केंद्र
  • पर्यटन
  • प्राकृतिक सौंदर्यता
  • मछली उत्पादन
  • शोध क्षेत्र
स्वाभाविक है कि एश्चुअरी एक ऐसा क्षेत्र होगा जहाँ नदियों के भी गुण होंगे और समुद्र की भी कुछ विशेषताएँ होंगी। यही कारण है कि जैवविविधता और पारिस्थितिकी उत्पादकता एश्चुअरी में अधिक होती है क्योंकि यहाँ नदियों और समुद्र दोनों के पोषक तत्त्वों की प्राप्ति भारी मात्रा में होती है। चूँकि एश्चुअरी में समुद्र और नदी का जल हमेशा प्रवाहित होता रहता है, इसलिये इसकी लवणता 0.5ppt (parts per thousands – ppt) से 35ppt के बीच होती है। एश्चुअरी विश्व के सर्वाधिक सघन बसावट वाले क्षेत्रों में से एक है। प्राचीन मेसोपोटामियाई सभ्यता भी यूफ्रेट्स नदी की एश्चुअरी में ही विकसित हुई। एश्चुअरी में ज्वारीय गतिविधियाँ भी सीमित होती हैं इसलिये यह प्रायः एक शांत क्षेत्र होता है, जो अनेक जीव-जन्तुओं को निवास के लिये आकर्षित करता है।

इसके अलावा जीव-जन्तुओं के लिये यहाँ भोजन की भी प्रचुरता होती है। एक लैगून, खाड़ी या पत्तन (Harbours) भी एश्चुअरी के अंतर्गत रखे जा सकते हैं। एश्चुअरी केवल कुछ जीव-जन्तुओं या पौधों का आवास स्थल ही नहीं है बल्कि यह प्रदूषण को भी नियंत्रित करता है। एश्चुअरी की दलदली भूमि और पौधे नदियों द्वारा लाए गए अवसादों और प्रदूषकों को अवशोषित कर जल को स्वच्छ बनाते हैं। एश्चुअरी में पाए जाने वाले पौधे तटीय क्षेत्रों के कटाव को तो रोकते ही हैं, साथ ही समुद्री तूफान की प्रभाविता को भी कम करते हैं। एश्चुअरी भूमिगत जल का पुनर्भरण (Ground Water Recharge) कर पीने योग्य जल की उपलब्धता को बढ़ाता है। माही, तापी, नर्मदा, मांडवी आदि नदियाँ एश्चुअरी बनाती हैं।

ज्वारनदमुख पारितंत्र की समस्याएँ (Threats to Estuaries Ecosystem)
  • नगरीय मल-जल एवं औद्योगिक कचरे के इन क्षेत्रों में बहाव के कारण होने वाले प्रदूषण से इन ज्वारनदमुखों की पारिस्थितिकी पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
  • मनोरंजन एवं पर्यटन का प्रभाव इस क्षेत्र पर बहुत अधिक पड़ा है।
  • अति मत्स्यन।
  • नवीन प्रजातियों का आगमन एवं अन्य जीवों की निकासी।
  • बंदरगाह व जल परिवहन प्रणाली।
  • जलवायु परिवर्तन (जल स्तर में वृद्धि इससे ज्वारनदमुख पारितंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ा है)।
  • भूमि उपयोग प्रतिरूप में परिवर्तन (समुद्री तट पर अतिक्रमण) उद्योग, कृषि, होटल, बंदरगाह निर्माण, शहरी अतिक्रमण आदि।
  • अवसादीकरण की समस्या।
  • सुनामी।

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