खाद्य जाल (Food Web)
खाद्य श्रृंखला पारितंत्र में होने वाले खाद्य अथवा ऊर्जा प्रवाह का केवल एक ही पहलू प्रस्तुत करती है और उससे यह अर्थ निकलता है कि जीवों में एक सीधा, सरल, शेष से पृथक् संबंध होता है जो पारितंत्रों में शायद कभी नहीं होता है। पारितंत्र के भीतर परस्पर संबंधित अनेक खाद्य श्रृंखलाएँ हो सकती हैं और इससे खाद्य जाल का निर्माण होता है।
इस प्रकार खाद्य जाल किसी पारितंत्र में एक-दूसरे से संयोजित खाद्य शृंखलाओं का एक नेटवर्क है। एक जंतु विभिन्न खाद्य शृंखलाओं का सदस्य हो सकता है।
उदाहरण के लिये एक पौधा एक ही समय में अनेक शाकभक्षियों का भोजन हो सकता है, जैसे घास पर खरगोश अथवा टिड्डा या बकरी अथवा सभी निर्भर रहते हैं। इसी प्रकार एक शाकभक्षी विभिन्न मांसभक्षी प्रजातियों का भोजन हो सकता है।
या
पारितंत्र में पोषण स्तर रैखिक नहीं होते वरन यह एक दूसरे से संयोजित होते हैं और खाद्य जाल का निर्माण करते हैं। इस प्रकार खाद्य जाल किसी पारितंत्र में एक दूसरे से संयोजित खाद्य श्रृंखलाओं का एक नेटवर्क है। एक जन्तु विभिन्न खाद्य श्रृंखलाओं का सदस्य हो सकता है। खाद्य जाल, किसी पारितंत्र ऊर्जा प्रवाह का सबसे अधिक यथार्थ माडल हैं।
पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह सदैव रेखीय होता है। क्रमवर्ती पोषण स्तरों में ऊर्जा प्रवाह की मात्रा में हास होता है जैसा कि घटते आकार के बाक्सों के द्वारा दिखाया गया है। खाद्य श्रृंखला या खाद्य जाल के प्रत्येक सोपान में जीवों द्वारा प्राप्त की गई ऊर्जा इसके स्वयं के उपापचय और अनुरक्षण में भी प्रयुक्त होती है और शेष ऊर्जा अगले पोषण स्तर को हस्तान्तरित होती है।
किसी पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह का मॉडल। बाक्स खडी फसल के जैव संहति व नालियां ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाते हैं। (NU = उपयोग में नहीं लायी गयी, R = श्वसन)