क्या होती है “मनी लॉन्ड्रिंग"

क्या होती है “मनी लॉन्ड्रिंग"
Money-laundering

'मनी लॉन्ड्रिंग' जिसके बारे में कहा जाता है की इसे सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में माफिया समूहों ने इस्तेमाल किया था । माफिया समूहों ने जबरन वसूली, जुआ आदि से बेशुमार दौलत कमाई और इस पैसे को वैध स्रोत (जैसे लाउन्डोमेट्स) के रूप में दिखाया। गौरतलब है की संयुक्त राज्य अमेरिका में 1980 के दशक में मनी लॉन्डिंग एक चिंता का विषय बन गया था।राजनैतिक लोगो में 'मनी लॉन्ड्रिंग'ने कोहराम मचाया हुआ है। भारत में आमतौर पर "मनी लॉन्ड्रिंग" को लेनदेन के तौर पर जाना जाता है । भारत में मनी लॉन्डरिंग सबसे ज़्यादा चर्चा में तब हुआ जब 1990 के दशक के दौरान इस मामले में कई नेताओं के नाम उजागर हुए थे।


मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा

मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब आमतौर पर अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाने से होता है। मनी लॉन्ड्रिंग गैरकानूनी तरीके से कमाई गयी धनराशि को छुपाने का ही एक तरीका है। मनी लॉन्ड्रिंग के ज़रिये धन ऐसे कामों में लगाया जाता है या निवेश किया जाता है कि जाँच करने वाली एजेंसियां भी यह नहीं पता लगा पातीं की धन कहाँ से या किस जरिये आया है। मनी लॉन्डरिंग के दौरान आमतौर पर 3 मुख्य चरण शामिल होते हैं 
  • जिसमे सबसे पहला चरण वो होता है जिसके तहत नकदी बाजार में आती है इसमें कोई शख्स अवैध तरीके से कमाए गए धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थानों में नकद जमा करता है।
  • "मनी लॉन्ड्रिंग” में दुसरे चरण को लेयरिंग' कहा जाता है जिसका मतलब धन छुपाने से है। इसमें हेरा फेरी करने वाला एकाउंट्स में गड़बड़ी करके और अन्य संदिग्ध लेनदेन करके अपनी असली आमदनी को छुपा लेता है। लाउन्डरर, धनराशि को निवेश के साधनों जैसे कि बांड, स्टॉक, और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है। यह खाता अक्सर ऐसे देशों की बैंकों में खोला जाता है जहां मनी लॉन्ड्रिंग के कानून ज़्यादा सख्त नहीं होते हैं । 
  • यह मनी लॉन्ड्रिंग के आखिरी चरण में बाहर भेजा पैसा या देश में खपाया गया पैसा वापस लाउन्डरर के पास वैध धन के रूप में आ जाता है। ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश,अचल संपत्ति खरीदने, लक्जरी सामान खरीदने आदि के ज़रिये वापस आता है।

मनी लॉन्ड्रिंग में कौन कौन सी गतिविधियाँ शामिल हैं


  1. मनी लॉन्ड्रिंग करने के कई तरीके हो सकते हैं जिनमे एक सबसे अहम् है “ फर्जी कंपनी बनाना" जिन्हें "शेल कंपनियां" भी कहा जाता है। 
  2. शेल कंपनियां अमूमन असली कंपनियों की तरह ही होती हैं लेकिन हकीकत में इसमें कोई संपत्ति नही लगी होती है और ना ही इनमें हकीकत में कोई उत्पादन कार्य होता है। 
  3. ये शैल कंपनियां केवल कागज़ी होती हैं हकीकत में इनका कोई वजूद नहीं होता । 
  4. हालाँकि लाउन्डरर इन कंपनियों की बैलेंस शीट में बड़े बड़े लेन-देनों को दिखाता है। 
  5. कंपनी के नाम पर लोन लेता है, सरकार से टैक्स में छूट लेता है, आयकर रिटर्न नही भरता है और इन सब फर्जी कामों के ज़रिये वह बहुत सा काला धन जमा कर लेता है। 
  6. झूठे दस्तावेज़ों को दिखाकर वह सरकारी जांच एजेंसियों के शिकंजे से भी बचा रहता है ।
  7. मनी लॉन्ड्रिंग अन्य तरीकों में शामिल है किसी बड़े मकान, दुकान या मॉल को खरीदना लेकिन कागजों पर उसकी कीमत कम दिखाना ताकि कम कर देना पड़े। 
  8. इस प्रकार कर चोरी के माध्यम से भी काला धन जुटाया जाता है।
  9. एक अन्य तरीके से मनी लॉन्ड्रिंग तब होती है जब लाउन्डरर कई माध्यमों से अपना धन ऐसे देशों के बैंकों में जमा करा देता हैं जहाँ उसके खाते की जाँच का अधिकार किसी अन्य देश की सरकार को नही होता है। 
  10. इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्विट्ज़रलैंड है जहाँ पर बड़ी संख्या में भारतीयों का काला धन जमा है जो कि मनी लॉन्ड्रिंग करके कमाया गया है।

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कानून

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग कानून, 2002 में अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसमें 4 बार संशोधन (2005, 2009 और 2012 और 2019) किया जा चुका है। 2019 के आखिरी संशोधन केंद्र सरकार ने धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act-PMLA) में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। यह संशोधन धन शोधन के मामलों से निपटने के लिये प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को सशक्त करेगा। पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की सूची में धन को छुपाना (concealment), अधिग्रहण (acquisition) कब्ज़ा (possession) और धन का क्रिमिनल कामों में उपयोग (use of proceeds of crime) इत्यादि को शामिल किया है। PMLA, 2002 में आरबीआई, सेबी और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) को पीएमएलए के तहत लाया गया है और इसलिए इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।

Post a Comment

Newer Older