पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)
1776 में प्रकाशित एडम स्मिथ की मशहूर किताब 'द वेल्थ ऑफ नेशंस' को पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का उद्गम स्रोत माना जाता है। एडम स्मिथ (1723-1790) स्कॉटलैंड में जन्मे दार्शनिक अर्थशास्त्री थे। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के प्रोफेसर स्मिथ के लेखन ने कुछ खास विचारों को जन्म दिया, पश्चिमी देशों में लोकप्रिय हुए और अंततः पूँजीवाद का जन्म हुआ। उन्होंने तब वाणिज्य और उद्योग में सरकार के ज्यादा नियमन के खिलाफ आवाज उठाई थी।इस नियमन की वजह से अर्थव्यवस्था का विकास उस रफ्तार से नहीं हो पा रहा था जिस रफ्तार से हो सकता था। उनके मुताबिक इसके चलते ही लोगों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर नहीं हो पा रही थी। उन्होंने 'श्रम विभाजन' पर जोर देते हुए कहा था कि अर्थव्यवस्था में सरकारी अहस्तक्षेप (Non-interference by the government) की नीति अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने अपने सैद्धांतिक प्रस्ताव में बताया कि बाजार की शक्तियों' के 'अदृश्य हाथ' (invisible hand) देश में संतुलन की स्थिति को लाएंगे और आम लोगों की स्थिति बेहतर होगी। लोकहित के लिए कोई अर्थव्यवस्था काम करे, इसके लिए स्मिथ ने बाजार में 'प्रतिस्पर्धा' को जरूरी माना था।
जब संयुक्त राज्य अमेरिका स्वतंत्र हुआ तो उसने एडम स्मिथ के विचारों को अपनी नीतियों में शामिल कर लिया। यह एडम स्मिथ की किताब 'वेल्थ ऑफ नेशन्स' के प्रकाशित होने के एक साल बाद ही हो गया। इसके बाद स्मिथ के विचार दूसरे यूरोपीय और अमेरिकी देशों में फैले। 1800 आते-आते वहां की अर्थव्यवस्था को पूँजीवादी अर्थव्यवस्था कहा जाने लगा जिसके, बाद में, कई और नाम भी प्रचलित हुए-प्राइवेट इंटरप्राइजेज सिस्टम, फ्री इंटरप्राइजेज सिस्टम और मार्केट इकॉनोमी।
इस व्यवस्था में क्या उत्पादन करना है, कितना उत्पादन करना है और उसे किस कीमत पर बेचना है, ये सब बाजार तय करता है, इसमें सरकार की कोई आर्थिक भूमिका नहीं होती है।