महासागर | महासागर कितने हैं? | महासागरों नाम |
महासागर
1. प्रशांत महासागर
2. अटलांटिक महासागर
- डॉल्फिन उभार : भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित है।
- चैलेंजर उभार : भूमध्य रेखा के दक्षिण में स्थित है।
- विविल टामसन कटक : यह आइसलैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच स्थित है।
- टेलिग्राफिक पठार : यह ग्रीनलैण्ड के दक्षिण में स्थित है।
- न्यूफाउंडलैंड उभार : 50° उत्तरी अक्षांश के पास मध्य अटलांटिक कटक न्यूफाउण्डलैण्ड उभार कहलाता है।
- अजोर उभार : 40° उत्तरी अक्षांश के दक्षिण मध्यवर्ती मटक से एक शाखा अलग होकर अजोर उभार के नाम से अजोर तट की ओर जाती है।
- वालविस कटक : 40° उत्तरी अक्षांश पर यह अफ्रीका के मग्नतट पर स्थित है।
- रायोगैंडी उभार : यह दक्षिण अमेरिका की ओर उन्मुख है।
- मध्यवर्ती कटक में कई चोटियाँ सागर के ऊपर दृष्टिगत होती है, जैसे अजोर्स का पिको द्वीप तथा केप वर्डे द्वीप।
- अटलांटिक महासागर में बहुत कम द्वीप पाए जाते हैं। इनमें प्रमुख है- दक्षिण सैंडविच खाई, केप वर्डे गर्त, प्यूरिटोरिको गर्त, रोमशे गर्त आदि।
3. हिन्द महासागर (Indian Ocean)
4. दक्षिणी महासागर
5. आर्कटिक महासागर
जलीय चक्र
घटक |
प्रक्रियाएँ |
महासागरों में संग्रहित जल |
वाष्पीकरण,
वाष्पोत्सर्जन,
ऊर्ध्वपातन |
वायुमंडल में जल |
संघनन,
वर्षण |
हिम एवं बर्फ में पानी का संग्रहण |
हिम पिघलने पर
नदी-नालों के रूप में बहना |
धरातलीय जल बहाव |
जलधारा के रूप में,
ताजा जल संग्रहण व जल रिसाव |
भौम जल संग्रहण |
भौम जल का विसर्जन,
झरने |
महासागरीय तापमान
- महासागरीय तापमान तटवर्ती स्थलीय भागों की जलवायु को प्रभावित करता है।
- महासागरीय जल का औसत तापान्तर नगण्य (लगभग 1°C) होता है।
- उच्चतम तापमान शाम को दो बजे एवं न्यूनतम तापमान प्रातः पाँच बजे होता है।
- महासागरीय जल के तापमान के वितरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
- बढ़ते हुए अक्षांश के साथ तापमान 0.5°C प्रति अक्षांश घटता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध का औसत वार्षिक तापमान 19°C तथा दक्षिणी गोलार्ध में यह 16°C होता है।
- व्यापारिक हवाओं की पेटी में महासागरों के पूर्वी भाग में कम तापक्रम तथा पश्चिमी भाग में अधिक तापमान होता है।
- पछुआ पवन की पेटी में महासागरों के पूर्वी भाग में अधिक तापमान होता है।
- भूमध्य रेखा से उत्तरी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव की ओर जाने से सतहीय जल का तापमान घटता है, क्योंकि ध्रुवों की ओर सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल की अधिकता एवं दक्षिणी गोलार्ध में जल की अधिकता के कारण आसमान तापमान वितरण होता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में गर्म स्थल के संपर्क में आने से महासागर अधिक उष्मा प्राप्त कर लेता है, जिस कारण यहाँ का तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा अधिक रहता है।
- निम्न अक्षांशों में स्थलीय भागों से घिरे सागरों का तापमान अधिक होता है, जैसे- भूमध्य सागर (26.6°C), लाल सागर (37.8°C) तथा फारस की खाड़ी (34.4°C)
- जिस स्थान पर गर्म धाराएँ पहुँचती है, वहाँ का तापमान बढ़ जाता है, जैसे- गल्फस्ट्रीम उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर तापमान बढ़ा देती है।
- ठंडी धाराएँ तापक्रम को नीच कर देती है जैसे- लेब्राडोर ठंडी धारा उत्तर अमेरिका के उत्तर-पूर्व तट के तापमान को हिमांक के पास पहुँचा देती है।
- महासागरों की सतह के जल का औसत तापमान लगभग 27°C होता है।
महासागरीय लवणता
- सागरों के सतह पर समान लवणता वाले क्षेत्रों को मिलाने वाली रेखा को समलवण रेखा (Isohaline) कहते हैं।
- महासागरीय जल के भार एवं उसमें घुले हुए पदार्थों के भार के अनुपात को महासागरीय लवणता कहते हैं। इसे ग्राम प्रति हजार ग्राम (0/000) के रूप में व्यक्त किया जाता है। महासागरीय जल की लवणता लगभग 35 ग्राम प्रति हजार ग्राम है।
- लवणता के संघटकों में क्लोरीन सबसे अधिक मिलने वाला तत्व है।
- कर्क तथा मकर रेखाओं के क्षेत्र (लगभग 35° अक्षांश के पास) में लवणता सबसे अधिक होती है जबकि ध्रुवों पर सबसे कम।
महासागरीय लवणता के प्रमुख घटक |
||
लवण |
कल मात्रा (प्रति 1000 ग्राम) |
प्रतिशत |
सोडियम क्लोराइड |
27.213 |
77.8% |
मैग्नेशियम क्लोराइड |
3.807 |
10.9% |
मैग्नेशियम सल्फेट |
1.658 |
4.7% |
कैल्शियम सल्फेट |
1.260 |
3.6% |
पोटैशियम सल्फेट |
0.863 |
2.5% |
कैल्शियम कार्बोनेट |
0.123 |
0.3% |
मैग्नेशियम ब्रोमाइड |
0.076 |
0.2% |
- सागरीय लवणता अधिक होने पर जल का क्वथनांक अधिक तथा हिमांक कम होता है।
- सागरीय लवणता के कारण जल का घनत्व भी बढ़ता है।
- लवणता अधिक होने से वाष्पीकरण न्यून होता है।
- पृथ्वी सागरीय लवणता का मुख्य स्रोत है।
- नदियाँ सागर तक लवण पहुँचाने वाली प्रमुख कारक हैं।
- पवन भी स्थल से सागर तक नमक पहुँचाने का कार्य करती है।
- ज्वालामुखी से निस्सृत राखों से भी कुछ लवण प्राप्त होता है।
सागरीय लवणता के नियंत्रक कारक
- सागरीय हिम के पिघलने से लवणता में कमी आती है।
- बड़ी नदियाँ महासागर के तटीय जल की लवणता को कम कर देती हैं।
- वाष्पीकरण से सागरीय लवणता में वृद्धि होती है।
- वर्षा लवणता को कम कर देती है।
- प्रतिचक्रवातीय दशा एवं उच्च वायुमंडलीय दाब से सागरीय लवणता बढ़ती है।
कुछ सागरों में लवणता |
|
सागर |
लवणता |
1. वान
झील (तुर्की) |
330 |
2. मृत
सागर |
238 |
3. ग्रेट
साल्ट लेक (यूएसए) |
220 |
4. काराबोगाज
खाड़ी |
170 |
5. सांभर
झील (राजस्थान) |
205 |
6. कैस्पियन
सागर का दक्षिणी भाग |
195 |
7. कैस्पियन
सागर का उत्तरी भाग |
23 |
8. लाल
सागर |
40 |
महासागरीय धाराएँ
- सागरों एवं महासागरों की सतह पर जल के एक निश्चित दिशा में प्रवाहित होने की गति को धारा कहते हैं।
- जब पवन वेग से प्रेरित होकर सागरीय सतह का जल मंद गति से परिसंचलित होता है, तो उसे प्रवाह (Drift) कहते हैं। जैसे-दक्षिणी एवं उत्तरी अटलांटिक प्रवाह।
- समुद्र का जल जब एक निश्चित दिशा में अपेक्षाकृत अधिक वेग से अग्रसर होता है, तो उसे धारा (Current) कहते हैं। इनका वेग 28-42 किमी. प्रति घंटा होता है, जैसे एल-निनो धारा। एल-निनो पेरू के पश्चिमी तट से 200 किमी. दूरी पर उत्तर से दक्षिण दिशा में चलने वाली एक गर्म जलधारा है।
- ला-निनो एक विपरीत महासागरीय धारा है इसका प्रभाव तब होता है जब एल-निनो का प्रभाव खत्म हो जाता है। ला-निनो एल-निनो की विपरीत स्थिति है अर्थात् ला-निनो साधारण स्थिति है।
- एल निनो माडोकी मध्य प्रशांत महासागर में उत्पन्न होती है। इसे डेट लाइन एलनिनो भी कहते हैं। यह जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है।
- समुद्र का जल जब अधिक गति से एक सुनिश्चित दिशा में भूपृष्ठीय नदियों की भांति गतिशील होता है, तो उसे विशाल धारा (Stream) कहते हैं, जैसे- गल्फस्ट्रीम।
- गर्म धारा (Warm Current) : विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर प्रवाहित होने वाली धाराएँ गर्म धाराएँ होती हैं जैसे- ब्राजील धारा।
- ठण्डी धारा (Cold Current) : ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर बहने वाली धाराएँ ठण्डी होती हैं जैसे लेब्राडोर धारा।
- पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण धाराओं की दिशा में झुकाव हो जाता है। फेरल के नियमानुसार, यह झुकाव उत्तरी गोलार्द्ध में दायीं तरफ तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं तरफ होता है।
- पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिऑलिस बल कहते हैं।
- पृथ्वी की घूर्णन गति
- वायु दाब एवं पवन
- सागर की लवणता में अंतर
- तट रेखा का आकार
- घनत्व में अंतर
- तापमान की भिन्नता
प्रशांत महासागर की धाराएँ
- उत्तर विषुवत् रेखीय धारा
- दक्षिण विषुवत् रेखीय धारा
- उत्तरी प्रशांत धारा
- क्यूरोशियो धारा
- सुशिमा धारा
- अलास्का की धारा
- एल निनो धारा
- पूर्वी ऑस्ट्रेलिया धारा
- क्यूराइल या ओयाशियो धारा
- ओखाटस्क धारा
- पश्चिमी पवन धारा
- कैलिफोर्निया धारा
- पेरू या हम्बोल्ट धारा
अटलांटिक महासागर की धाराएँ
- गल्फ स्ट्रीम
- बाजील धारा
- उत्तरी विषुवत् रेखीय धारा
- विपरीत विषुवत्रेखीय धारा (गिनी धारा)
- दक्षिण विषुवत्रेखीय धारा
- फ्लोरिडा धारा
- बेंगुएला की धारा
- केनारी की धारा
- लेब्राडोर की धारा
- फॉकलैण्ड की धारा
- अंटार्कटिका प्रवाह
- दक्षिण अटलांटिक महासागर प्रवाह
- सारगैसो सागर : सारगैसो शब्द पुर्तगाली भाषा के शब्द सारगैसम से लिया गया है, जिसका अर्थ है समुद्री घास (Sea Weed)। उत्तरी अटलांटिक महासागर में गल्फस्ट्रीम, केनारी धारा एवं उत्तरी विषुवत् रेखीय धारा द्वारा एक प्रति चक्रवातीय प्रवाह क्रम पाया जाता है, जिसके अंतर्गत शांत एवं गतिहीन जल पाया जाता है जिसमें सरगैसम (Sargassum) घास फैली रहती है। इस भाग को सारगैसो सागर कहा जाता है।
- सारगैसो सागर को सर्वप्रथम स्पेन के नाविकों ने देखा था।
- यह 20° उत्तर से 40° उत्तर और 35° पश्चिमी देशान्तर से 75° पश्चिमी देशांतर तक पाया जाता है।
- यहाँ अटलांटिक महासागर की सर्वाधिक लवणता 37°/°° पायी जाती है।
- सारगैसो सागर के चारों ओर समुद्री धाराएँ प्रवाहित होती है। यह एक ऐसा सागर है, जिसका तट नहीं है। इसको महासागरीय मरुस्थल के रूप में पहचाना जाता है।
- इसका औसत वार्षिक तापमान 26°C रहता है। सागर में तैरती हुई घास नौवहन में बाधा उत्पन्न करती है।
हिन्द महासागर की धाराएँ
- अगुलहास धारा
- मोजाम्बिक धारा
- मेडागास्कर धारा
- दक्षिण पश्चिम मानसून धारा
- उत्तर-पूर्वी मानसून धारा
- दक्षिण विषुवत् रेखीय धारा
- पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया धारा
महासागरीय धाराओं का प्रभाव
- जब गर्म धाराएँ ठंडे भागों में पहुँचती हैं तो वहाँ अधिक सर्दी नहीं होने देती, जैसे ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क आदि का तापमान गल्फ स्ट्रीम के बढ़े भाग उत्तरी अटलांटिक धारा के कारण अपेक्षाकृत गर्म रहता है।
- इसी तरह ठंडी धारा किसी स्थान के तापमान को अत्यन्त नीचा कर देती है, जैसे-क्यूराइल, लेब्राडोर, फाकलैंड की ठंडी धाराएँ, प्रभावित क्षेत्रों में भारी हिमपात के लिए जिम्मेदार हैं।
- गर्म धाराओं के ऊपर चलने वाली हवाएँ, नमी धारण करके प्रभावित क्षेत्रों में वर्षा करती हैं। जैसे- जापान के पूर्वी भाग में क्यूरोशियो धारा के कारण वर्षा होती है।
- गर्म और ठंडी धाराओं के मिलन स्थल पर कुहरा पड़ता है, जो नौवहन के लिए संकट की स्थिति होती है। इसी कारण न्यूफाउण्डलैंड के पास लेब्राडोर ठंडी धारा तथा गल्फस्ट्रीम गर्म धारा के मिलने से तापव्यतिक्रम होने से घना कुहरा पड़ता है।
- जहाँ ठण्डी और गर्म धाराएँ मिलती है, वहाँ मछली पकड़ने का विशाल क्षेत्र बन जाता है।
- धाराओं द्वारा मछलियों के लिए प्लैकंटन (घास) लाया जाना मछलियों के लिए आदर्श स्थिति पैदा करता है।
- गल्फस्ट्रीम द्वारा यह प्लैकंटन न्यूफाउण्डलैंड तथा उत्तर पश्चिम यूरोपीय तट पर पहुँचाया जाता है जिस कारण वहाँ पर मत्स्य उद्योग अत्यधिक विकसित हो गया है।
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