केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission)
केंद्रीय सूचना आयोग की संरचना
कार्यकाल एवं सेवा शर्ते
- यदि वे दीवालिया हो गये हों; या
- यदि उन्हें नैतिक चरित्रहीनता के किसी अपराध के संबंध में दोषी करार दिया गया हो (राष्ट्रपति की नजर में);
- यदि वे अपने कार्यकाल के दौरान किसी अन्य लाभ के पद पर कार्य कर रहे हों;
- यदि वे (राष्ट्रपति की नजर में) वे शारीरिक या मानसिक रूप से अपने दायित्वों का निवर्हन करने में अक्षम हों; या
- वे किसी ऐसे लाभ को प्राप्त करते हुये पाये जाते हैं, जिससे उनका कार्य या निष्पक्षता प्रभावित होती हो।
शक्तियां एवं कार्य
- (क) जन-सूचना अधिकारी की नियुक्ति न होने के कारण किसी सूचना को प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा हो;
- (ख) उसे चाही गयी जानकारी देने से मना कर दिया गया हो;
- (ग) उसे चाही गयी जानकारी निर्धारित समय में प्राप्त न हो पायी हो;
- (घ) यदि उसे लगता हो कि सूचना के एवज में मांगी फीस सही नहीं है;
- (ङ) यदि उसे लगता है कि उसके द्वारा मांगी गयी सूचना अपर्याप्त, झूठी या भ्रामक है; तथा
- (च) सूचना प्राप्ति से संबंधित कोई अन्य मामला।
- (क) वह किसी व्यक्ति को प्रस्तुत होने एवं उस पर दबाव डालने के लिये सम्मन जारी कर सकता है तथा मौखिक या लिखित रूप से शपथ के रूप साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है;
- (ख) किसी दस्तावेज को मंगाना एवं उसकी जांच करना:
- (ग) शपथपत्र के रूप में साक्ष्य प्राप्त करना;
- (घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से सार्वजनिक दस्तावेज को मंगाना;
- (ङ) किसी गवाह या दस्तावेज की जांच करने के लिये सम्मन जारी करना, तथा;
- (च) कोई अन्य मामला जो निर्दिष्ट किया जाए।
- (क) किसी विशेष रूप में सूचना तक पहुंच;
- (ख) जहां कोई भी जन सूचना अधिकारी नहीं है, वहां ऐसे अधिकारी को नियुक्त करने का आदेश देना;
- (ग) सूचनाओं के प्रकार या किसी सूचना का प्रकाशन;
- (घ) रिकॉर्ड के प्रबंधन, रख-रखाव एवं विनिष्टीकरण की रीतियों में किसी प्रकार का आवश्यक परिवर्तन;
- (ङ) सूचना के अधिकार के बारे में प्रशिक्षण की व्यवस्था; इस अधिनियम के अनुपालन के संदर्भ में लोक प्राधिकारी से वार्षिक प्रतिवेदन प्राप्त करना;
- (छ) आवेदक द्वारा चाही गयी जानकारी के न मिलने पर या उसे क्षति होने पर लोक प्राधिकारी को इसका मुआवजा देने का आदेश करना;
- (ज) इस अधिनियम के अंतर्गत अर्थदंड लगाना, तथा;
- (झ) किसी याचिका को अस्वीकार करना।
राष्ट्रीय आयोग/केन्द्रीय निकाय तथा संबंधित मंत्रालय |
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आयोग/निकाय |
अंतर्गत |
केन्द्रीय सूचना आयोग |
कार्मिक मंत्रालय |
वित्त आयोग |
वित्त मंत्रालय |
संघ लोक सेवा आयोग |
कार्मिक मंत्रालय |
अंतर्राज्यीय परिषद् |
गृह मंत्रालय |
कर्मचारी चयन आयोग |
कार्मिक मंत्रालय |
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग |
सामाजिक न्याय एवं
अधिकारिता मंत्रालय |
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग |
जनजातीय मामलों का मंत्रालय |
केन्द्रीय सतर्कता आयोग |
कार्मिक मंत्रालय |
क्षेत्रीय परिषदें |
गृह मंत्रालय |
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो |
कार्मिक मंत्रालय |
राष्ट्रीय अनुसंधान एजेंसी (NIA) |
गृह मंत्रालय |
भाषाई अल्पसंख्यकों के आयुक्त |
गृह मंत्रालय |
बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय आयोग |
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय |
पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग |
सामाजिक न्याय एवं
अधिकारिता मंत्रालय |
विकलांग व्यक्तियों के लिए केन्द्रीय आयुक्त |
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय |
केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड |
महिला एवं बाल
विकास मंत्रालय |
उत्तर-पूर्व परिषद |
उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय |
केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण |
कार्मिक मंत्रालय |
अल्पसंख्यकों का राष्ट्रीय आयोग |
अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय |
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग |
गृह मंत्रालय |
राष्ट्रीय महिला आयोग |
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय |
- गठन के समय मुख्य सूचना आयुक्त सहित आयोग के छह आयुक्त थे। बाद में सरकार ने आयोग को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से इसके आठ सूचना आयुक्त बनाए और मुख्य सूचना आयुक्त को आयोग का प्रमुख बनाया।
- जब लोकसभा में विपक्ष का नेता इस समिति में नहीं होता तो लोकसभा में विपक्ष के सबसे बड़े दल के नेता को इस समिति का सदस्य माना जाता है।
- जब सूचना आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में कार्य करने हेतु योग्यताधारी होता है तो वह भी पांच वर्ष से अधिक अपने पद पर नहीं रह सकता है।
- उसे दुर्व्यवहार का दोषी माना जाता है, यदि वह केन्द्र सरकार द्वारा किए गए किसी अनुबंध या समझौते में इच्छुक या संबंद्ध हो, या ऐसे अनुबंध या समझौते के लाभ में किसी रूप में सम्मिलित हो या सदस्य होने के नाते अन्यथा इससे कोई लाभ या परिलब्धि प्राप्त करे और किसी कंपनी के अन्य सदस्यों के साथ संयुक्त रूप में कोई लाभ या परिलब्धि प्राप्त करे।
- आयोग, लोक सूचना अधिकारी पर 250 रु. प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगा सकता है, जो अधिकतम 25,000 रु. हो सकता है। यह दोषी अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश भी कर सकता है।