गृह विज्ञान - अर्थ एवं परिभाषा, उद्देश्य, क्षेत्र, महत्त्व, उपयोगिता | grah vigyan | home science kise kahate hain

गृह विज्ञान अर्थ एवं परिभाषा

गृह विज्ञान नाम से ही पता चलता है कि वह घर और घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य व खुशी से सम्बन्धित है। विज्ञान संकाय एवं गृह विज्ञान एक अंत:विषयक क्षेत्र हैं, (Inter displinary) जो छात्रों को स्वयं को विकसित करने के लिए व्यावसायिक और कॅरिअर के विकल्प प्रदान करता है। गृह विज्ञान एक बहुआयामी क्षेत्र होने के कारण विभिन्न लेखकों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं द्वारा व्यापक रूप से परिभाषित किया गया हैं। सरल शब्दों में गृह विज्ञान एक बहु विषयक क्षेत्र का अध्ययन है जो स्वास्थ्य, भोजन, बच्चों की देख-भाल, वस्त्र-परिधान डिजाइन और संसाधन प्रबन्धन के साथ घर से संबंधित अन्य विषयों का प्रबंधन करता है।

डॉ.  ए. एच. रिचर्ड (Dr.A.H. Richard) ने लेडी इरविन कॉलेज, नई दिल्ली में प्रथम अखिल भारतीय महिला सम्मेलन (1932) में गृह विज्ञान को परिभाषित किया कि गृह विज्ञान एक बहुआयामी विषय है जो पारिवारिक आय-व्यय, भोजन की स्वच्छता, कपड़ों की पर्याप्तता, घर का उचित संसाधनों से प्रबंधन करता है। गृह-विज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है, जो छात्रों को सफलतापूर्वक पारिवारिक जीवनयापन के लिये तैयार करता है और सामाजिक व आर्थिक समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाता है। लेक प्लेसिड एसोसिएशन (The lake placid Association) के अनुसार "गृह विज्ञान उन सिद्धान्तों, शर्तों और आदर्शों का अध्ययन है जो एक ओर व्यक्ति के तत्काल और भौतिक वातावरण से सम्बन्धित है तो दूसरी ओर मानव प्रकृति से संबंधित है।"
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भारत में गृह विज्ञान के मार्गदर्शकों ने अनुभवों के आधार पर गृह विज्ञान को परिभाषित करने में अपने विचारों को संश्लेषित किया है। डॉ. राजमल पी. देवदास के अनुसार, गृह विज्ञान मानवीय वातावरण, परिवार, पोषण, संसाधनों के प्रबन्धन, मानव विकास, उपभोक्ता क्षमता को सुधारने के लिये विज्ञान और मानविकी ज्ञान के उपयोग को समाहित करता है।

गृह विज्ञान विश्व में कई नामों से जाना जाता है, जैसे-गृह कला (Domestic Art), घरेलू विज्ञान (Household Science), घरेलू कला (Household Art), घरेलू अर्थशास्त्र (Household Economics), घरेलू प्रशासन (Household Administration) तथा गृह विज्ञान (Domestic Science) आदि । अमेरिका में यह 'गृह अर्थशास्त्र' (Home Economics) तथा इंग्लैण्ड व भारत में 'गृह विज्ञान' (Home Science) के नामों से प्रचलित है।

वर्मा (2000), के अनुसार गृह विज्ञान विषय विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिक एवं प्रायोगिक ज्ञान के समायोजन पर केन्द्रित है, ताकि व्यक्ति, परिवार समुदाय एवं राष्ट्र का विकास हो सके।

गृह विज्ञान की अवधारणा घरों के द्वारा समुदाय में सुधार लाने की प्रबल इच्छा पर आधारित है जिसको संसाधनों की व्यवस्थित व्यवस्था के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। गृह विज्ञान व्यक्ति के अच्छे व्यक्तित्व विकास में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

गृह विज्ञान की आधुनिक अवधारणा ऐसे घर को बनाने की है जहाँ शान्ति, समृद्धि और प्रगति प्रबल हो। एक कारक जो गृह विज्ञान की अवधारणा को प्रभावित करता है, वह है महिलाओं के मुद्दों के प्रति जागृति। आधुनिक गृह विज्ञान दोनों लिंगों को अच्छे पारिवारिक एवं व्यावसायिक जीवनयापन के लिये बराबर के अवसर प्रदान करता है। सामग्री और आर्थिक उपलब्धियों के साथ-साथ परिवार के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं नैतिक पहलुओं को पदोन्नत करना भी आवश्यक है। यह गृह विज्ञान के आधारभूत सिद्धांतों में से एक है। घर-परिवार में ईमानदारी, सच्चाई निर्भरता और निष्पक्षता जैसे नैतिक मूल्यों का प्रत्यारोपण भी करता है।

गृह विज्ञान के उद्देश्य

  1. छात्र-छात्राओं के ज्ञान, कौशल एवं सामर्थ्य का विकास कर वैज्ञानिक सिद्धान्तों को दैनिक जीवन के व्यवहार में लाना।
  2. छात्र-छात्राओं में परिवार व सामुदायिक जीवन की आवश्यकताओं, समस्याओं एवं इनके समाधान के लिये समझ पैदा करना।
  3. छात्र-छात्राओं में उन्नत जीवन स्तर को प्राप्त करने की योग्यता एवं निपुणता को बढ़ाना।

गृह विज्ञान के क्षेत्र

गृह विज्ञान में विशेषज्ञता के पाँच अलग-अलग क्षेत्र हैं। प्रत्येक शाखा अनुसंधान के लिये स्नातक पाठ्यक्रम और सुविधाएँ प्रदान करती है। गृह विज्ञान के पाँच विभाग एवं उनकी विषयसूची निम्नानुसार है-

1. मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन
मानव विकास गर्भ धारण से लेकर वृद्धावस्था तक के विकास के अध्ययन से सम्बन्धित है। शारीरिक, मानसिक, क्रियात्मक, भावनात्मक, भाषा, संज्ञानात्मक, नैतिक और सामाजिक विकास इसमें शामिल किये गये हैं। बच्चों के व्यवहार की समस्याओं, असाधारण बच्चों, विकारों, मनुष्य के विकास में बाधक विशिष्ट समस्याओं का भी अध्ययन किया जाता है। इसके अध्ययन से गृहिणी अपने बच्चों के स्वास्थ्य व विकास के विविध आयामों पर पूर्णरूपेण नजर एवं नियन्त्रण रख सकती है तथा उन्हें एक स्वस्थ सामाजिक एवं उत्तरदायी नागरिक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। साथ ही बदलते परिवेश में विवाह एवं परिवार के प्रकार, उद्देश्य एवं चुनौतियों का भी समावेश किया जाता है।

2. पारिवारिक संसाधन प्रबन्धन (Family Resource Management)
पारिवारिक संसाधन प्रबन्धन के अन्तर्गत समय, धन, ऊर्जा और स्थान प्रबन्धन अध्ययन के लिए प्रमुख विषय हैं। समय प्रबन्धन के लिए एक अच्छी समय योजना अत्यन्त आवश्यक है। पैसे के प्रबन्धन के लिए संसाधनों का समुचित उपयोग करना जिसे परिवार का बजट बना कर पूरा किया जाता है। इस विषय के अध्ययन से व्यक्ति अपने सीमित समय, श्रम, धन एवं आस-पास मौजूद अन्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग अपने परिवार व घर की समुचित देख-भाल, सजावट तथा आस-पास के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए कर सकता है। उपभोक्ता शिक्षा को भी इस विषय के अन्तर्गत शामिल किया गया है। खाद्य सुरक्षा, मिलावट के खिलाफ सुरक्षा, स्वास्थ्य खतरों (Health Hazards) और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना, डिजाइन और कला के प्रमुख सिद्धान्तों और बुनियादी बातें भी इस क्षेत्र में शामिल किये गये हैं।

3. खाद्य और पोषण (Food & Nutrition)
खाद्य और पोषण विषय के अध्ययन में खाद्य विज्ञान और पोषण शामिल किये गये हैं। खाद्य विज्ञान में भोजन की रसायन विज्ञान, पोषक तत्त्वों का संरक्षण, पोषक तत्त्वों के साधन, भोजन के पोषक मूल्य और भोजन के विभिन्न मिश्रण बनाना आदि अध्ययन के मुख्य बिन्दु हैं । खाद्य और पोषण विभिन्न पोषक तत्त्वों, उनकी संरचना, कार्य, स्रोत, आवश्यकता और कमी की स्थिति का ज्ञान प्रदान करता है।
विभिन्न शारीरिक अवस्थाओं जैसे-
  • प्रसूतावस्था
  • धात्रीवस्था
  • शैशवावस्था
  • बाल्यावस्था
  • किशोरावस्था
  • वृद्धावस्था एवं विभिन्न रोगों की अवस्था के दौरान आहार संबंधी आवश्यकताओं एवं परिवर्तनों की शिक्षा दी जाती है।
इसके अतिरिक्त भोज्य पदार्थों का संग्रहण एवं परिरक्षण, समुदाय में व्याप्त पोषण सम्बन्धी समस्याएँ और विभिन्न पोषाहार कार्यक्रमों की भी जानकारी दी जाती है।

4. वस्त्र एवं परिधान
वस्त्र एवं परिधान विज्ञान के अन्तर्गत छात्र छात्राएँ वस्त्रों में निहित रेशों, उनसे बने धागों व वस्त्रों की बुनाई, बनावट व विशेषताओं का अध्ययन करते हैं, परिधान के बुनियादी सिद्धान्तों, डिजाइन और निर्माण को भी इसमें सिखाया जाता है।

5. गृह विज्ञान प्रसार एवं संचार प्रबन्धन
प्रसार शिक्षा में कार्यक्रम नियोजन के मूल सिद्धांत, श्रव्य-दृश्य सामग्री का निर्माण, सामाजिक कार्य, समाज के विकास व संवाद के विभिन्न तरीके शामिल किये गये हैं। प्रसार शिक्षा में गृह विज्ञान के विविध विषयों से प्राप्त शिक्षा को ग्रामीण समुदाय की आवश्यकतानुसार ज्ञान उपलब्ध कराना भी प्रसार शिक्षा का उद्देश्य है।

गृह विज्ञान शिक्षा का महत्त्व

गृह विज्ञान शिक्षा से प्राप्त ज्ञान, समझ, कौशल, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य लोगों को एक संतोषजनक व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामुदायिक जीवन जीने में मदद करता है। अन्य विषयों के विपरीत, गृह विज्ञान एक व्यावहारिक ज्ञान है जिसे रोजमर्रा के जीवन में उपयोग किया जाता है। व्यावहारिक विषय के रूप में अपनी क्षमताओं को व्यक्त करने और नेतृत्व के गुणों को विकसित करने के लिये गृह विज्ञान शिक्षा अवसर प्रदान करती है।

गृह विज्ञान शिक्षा एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के गुण भी विकसित करती है। गृह विज्ञान शिक्षा छात्रों को भोजन के स्वस्थ जीवनयापन के महत्त्व के बारे में जानकारी प्राप्त कराती है। परिवार की समस्याओं को सुलझाने के विभिन्न समाधानों की जानकारी गृह विज्ञान शिक्षा प्रदान करती है। गृह विज्ञान शिक्षा स्वरोजगार शुरू करने में भी सहायक है। गृह विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त तकनीकी ज्ञान को छात्र व्यक्तिगत और व्यावसायिक लाभ के लिये उपयोग कर सकता है।

गृह विज्ञान का विषय क्षेत्र/उपयोगिता

गृह विज्ञान शिक्षा ने शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रमुख रोजगार क्षेत्र के रूप में खुद को कायम रखा है। नर्सरी स्कूल, परिवार नियोजन एजेंसियों, परिवार परामर्श केन्द्रों, पूर्व प्राथमिक शिक्षा प्रशिक्षण केन्द्रों, कृषि अनुसंधान केन्द्रों, समाज कल्याण विभाग यूनिसेफ (UNICEF), एफएओ (FAO), केअर (CARE) आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ गृह विज्ञान स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थी उपयुक्त स्थान पा सकते हैं। पोषण सलाहकार, आहार विशेषज्ञ (Dietician), खाद्य विशेषज्ञों और राष्ट्रीय पोषण संस्थान आदि अन्य कॅरिअर के अवसरों में से कुछ हैं। इसके साथ गृह विज्ञान स्वरोजगार के अवसरों के लिये अधिक संभावनाएं प्रदान करता है। फैशन डिजाइनिंग, सिलाई केन्द्र, नर्सरी स्कूल, खिलौना उद्योग में सलाहकार, केटरिंग यूनिट, परिवार परामर्श केन्द्र, खाद्य प्रसंस्करण केन्द्र, ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ गृह विज्ञान स्नातक स्वरोजगार तलाश कर सकते हैं।

महत्त्वपूर्ण बिन्दु :
  • गृह विज्ञान एक अंत:विषय क्षेत्र विज्ञान का संकाय है, जो छात्र-छात्राओं हेतु व्यावसायिक और कॅरिअर विकल्प प्रदान करता है।
  • गृह विज्ञान को गृह कला, घरेलू विज्ञान, घरेलू कला, घरेलू अर्थशास्त्र तथा घरेलू प्रशासन आदि नामों से भी जाना जाता है।
  • आधुनिक गृह विज्ञान बालक एवं बालिकाओं (दोनों लिंगों) को अच्छे पारिवारिक एवं व्यावसायिक जीवनयापन के समान अवसर प्रदान करता है।
  • गृह विज्ञान विद्यार्थियों के ज्ञान, कौशल एवं सामर्थ्य का विकास कर पारिवारिक व सामुदायिक जीवन की आवश्यकताओं, समस्याओं का समाधान एवं उन्नत जीवनस्तर की योग्यता व निपुणता को बढ़ाता है।
  • गृह विज्ञान के पाँच विभाग मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन, पारिवारिक संसाधन प्रबंधन, खाद्य एवं पोषण विभाग, वस्त्र एवं परिधान विज्ञान एवं गृह विज्ञान प्रसार एवं संचार प्रबन्धन है।
  • गृह विज्ञान से शिक्षित विद्यार्थी नर्सरी स्कूल, परिवार नियोजन एजेंसियों, परिवार परामर्श केन्द्रों, कृषि अनुसंधान केन्द्र, फैशन डिजाइनिंग आदि में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

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