भिक्षावृत्ति क्या है? अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं | beggary in hindi

भिक्षावृत्ति

यह एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश में दिनो दिन बढ़ती ही जा रही है। वैसे तो भृक्षावृत्ति की समस्या किसी भी देश के लिए शर्मनाक समस्या है परन्तु अपने भारत देश में आम लोगो में यह बोझ ही है। पूरे भारत में आज की तारिक में लाखों की संख्या में भिखारी है जो कि लगभग हर एक प्रदेश में देखे जा सकते है। एक पंजाब ही ऐसा प्रदेश है जहाँ इन की संख्या नगण्य है सिर्फ ना के बराबर है। यह समस्या , आर्थिक आधार पर आधारित ना होके बल्कि वृहत रूप से सामाजिक बनती जा रही कई तरह के संक्रमण भी है। साधारण तौर पर इन भिखारियों मेंपाए जाते है जो कि पर्यावरणीय रूप से सुखद पहलू नहीं है । इसके कारण अन्य देशो में हमारे देश का समाज भी बुनता आया है इसकी तस्वीरों को उतार कर विदेशी सैलानी अपने देशो में हमारी एक गरीब व अस्वस्थ समाज की तस्वीर प्रस्तुत करते है। इसको तुरन्त उपचार की आवश्यकता है।
beggary in hindi
प्राचीन काल के भिखारियों से आज के भिखारी भी तस्वीर बिल्कुल भिन्न है। पहले ज्यादातर भिक्षुक धार्मिक लोग होते थे तथा पेट पालने हेतु भिक्षावृत्ति करते थे परन्तु आज भीखमंगे इस कार्य को ही व्यवसाय बनाये बैठे है और अपना कीमती वक्त घोर अनैतिक कार्यों में बिताते है जैसे- हत्या ,चोरी हिंसा आदि।

भिक्षावृत्ति का अर्थ तथा परिभाषा

सन् 1951 तक भारत में 487857 भिखारी थे और इनमें 344216 पुरूष तथा 143641 महिलाएँ थी आज इनकी संख्या कहीं 10 गुनी हो चुकी है। जिस स्थान पर बहुत ज्यादा जनसंख्या रहती है वहाँ अन्य सामाजिक असंतुलन बढ़ने से लोगों में रोजगार का सही प्रकार से वितरण ना होने से अथवा उपयोगिता की कमी होने से भी एक अन्य कारणों से भिखारियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
ये वो लोग है जो गन्दी बस्तियों, सार्वजनिक स्थानों पर या विस्थापित होते है। वैसे आज के यग में ये गाँव का और शहर का दोनों ही जगह विद्यमान रहते है। जो लोग जाने अनजाने लोगो से पैसे, सामान आदि वस्तुओं की बेवजह मांग करते है वो ही भिखारी की श्रेणी में आते है।

कुछ परिभाषाएँ निम्नी प्रकार से है-

भीख मांगना दर- दर घूमना भिक्षा मांगना, घावों शारीरिक पीड़ाओं अथवा दोषों को बेवजह प्रदर्शन करना अथवा शिक्षा प्राप्तय करने के लिए दया उत्पन्न करने हेतु उनको झूठे बहाना बनाना सम्मिलित है।

"Begging includes wandering from door to door, soliciting alms, exhibiting or exposing sares, wounds bodily ailments or deformities, or making false pretence or them for exciting pity for securing alms."

“ The Mysore prohibition of Beggary ActXXX iii if 1944"

दूसरी परिभाषा के रूप में हम कह सकते है कि -

“एक व्यक्ति जिसके जीवन व्यापन का कोई साधन नहीं है और जो इधन उधर-घूमता रहता है या सार्वजनिक स्थानों में पाया जाता है अथवा भीख मांगने के लिए अपना प्रदर्शन स्वीकार करता है।” और इस परिभाषा के अनुसार किसी भी भीख मांगने वाले में तीन बातें दिखाई देती है -:
  1. जीवन यापन हेतु प्रत्यक्ष साधन का न होना,
  2. सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगना
  3. भीख मिल जाए इसके लिए अपने शरीर को क्षतिग्रस्त कर के भी दिखा कर भीख मांगना
आज की तारीख में भारत में करोड़ों की संख्या में भिखारी हैं और ज्यादातर उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, आंध्रप्रदेश, मध्ययप्रदेश और दिल्ली में है। मम्बई में लगभग 60, 000 कलकत्ता में 50,000 मद्रास में 30.000 दिल्ली में 50,000 अनुमानित हैं।

भिखारियों की भिक्षावृत्ति के कारण

भारत में इस समस्या के निम्न कारण प्रमुख है-
  • आर्थिक असमर्थता- इस समस्या के लिए जिम्मेदार आर्थिक कारण प्रमुख तौर पर है। निर्धनता तथा बेकारी ही इसे बढ़ाते है। बेकारी से कामयाबी की तरह जाने से कई लोगों ने भिक्षावृत्ति छोड़ी भी है।
  • धार्मिक परम्पराएँ- भारत वर्ष में सैकड़ों वर्ष पहले जो भिक्षावृत्ति धर्म कर्म के कार्यों को करने वाले के लिए थी वो आज अपना विकृत रूप लेकर भिक्षावृत्ति से भीख मांगना में बदल चुकी है। कई सक्षम लोग ब बड़ी साजिशों के तहत भी यह कार्य करते है। दान पुण्य के विचारों वाले व्यक्तियों को भी भीक्षा देने की आदत होती है अतएव भिखारी उनकी मानसिकता को समझकर मंदिरों , गुरूद्वारों , तीर्थ स्थानों पर अपनी रिहाईश बना लेते है। और जीवन यापन का जरिया बनाकर रहने लगते है।
  • शारीरिक विकलांगता- भारत देश में विकलांगों को शारीरिक अक्षमता को संभालने हेतु पर्याप्तत उपाय नहीं किए जा रहे , तो यह समस्या पूरी तरह से हल नहीं हो पा रही है। इसीलिए यह भी एक बहुत बड़ा कारण बनकर उभरता जा रहा है भिक्षावृत्ति का।
  • सामाजिक कारण- भारत में दुनिया के अन्यी देशो के मुकाबले जाति व्यवस्था में ऊँच नीच का भाव अथवा मतभेद ज्यादा ही है। ऊँची जाति वाले नीची को हेय दृष्टि से देखते है। और यही सामाजिक समस्या में तब्दील हो जाता है। हमारे समाज में विधवाए परित्मिकता आदि स्त्रियाँ भी मजबूर होकर भिक्षावृत्ति की ओर अग्रसर हो जाती है।
  • मानसिक कारण- मन:विक्षिप्तता भी प्राय: एक बहुत कारण बन जाती है। घर के सदस्य ऐसे लोगों को ज्यासदातर अपने पास रखना नहीं चाहते है, और मानसिक अस्पतालों में भर्ती करा कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है तथा वो बिमार व्यक्ति वहां से बच निकल कर कहीं भी आवारा बन कर भ्रमणकारी हो जाता है तथा भीख मांगना शुरू कर देता है। खाने पीने की दुकानों आदि से चोरी भी करना शुरू कर देता है। यह एक बहुत ही संजीदा समस्या का कारण है जिसके लिए हम तथा संपूर्ण समाज ही दोषी है।
  • विपत्तियों से जूझता व्यक्ति- प्राकृतिक आपदाओं से जूझते व्यक्ति जिसमें बाढ़, भूकम्प , आकाल, संक्रमण , भयंकर बिमारियों का फैलना जैसे कालावार, फ्लू आदि इन सभी परिस्थितियों में आदमी मजबूरन असहाय बनकर भिक्षावृत्ति की ओर बढ़/अग्रसर हो जाता है। अनाथ बच्चे भी यह कार्य करने लगते है। मुख्य कमाने वाले का घर में न होना भी इसका एक कारण बन जाता है।

भिक्षावृती के प्रकार

इन सभी वर्गो की निम्न रूप से विस्तार से जानेंगे-
  • धार्मिक- इस वर्ग में साधु, बैरागी, संन्यासी, जोगी आदि आते है
  • जाति तथा जनजाति पर आधारित -: यह एक तरह से पेशेवार लोग होते है जो कि किसी भी समुदाय या धर्म से ताल्लुक नहीं रखते है फिर भी खुद को फकीर कहलवाना पंसद करते है तथा गली मुहल्लों में समूहो में घूम दृ घूम कर या बजाकर जीवकोत्पासर्जन करते है।।
  • झूठे- नकली भिक्षु। कहीं किसी भी धार्मिक अथवा समूहो से कोई स्वीकार नहीं होता का झठी बाते कर लोगों को ठगने वाले भिखारी यही होते हैगरस्थ और स्पां,
  • शारीरिक रूप से सामान्य भिखारी- दिन के समय भीख मांगना और रात के समय चोरी ध्डाका डालना ही इन लोगों का काम है। कहीं.कहीं तो बद्तमीजी पर भी उतर आते है, छीनाझपटी भी करके जंजीर खींचना आदि इनका उद्देश्यक होता है और इसके बाद नशाखोरी तथा शराबी के रूप में जाने जाते है
  • अपंग- किसी न किसी शारीरिक दुर्बलता अथवा अक्षमता का अपनी ढाल बनाकर ये लोग भीख मांगने का कार्य करते है।
  • रोगग्रस्त व्यक्ति- किसी भी रोग से जूझते हुए लोग जो बिल्कुल ही हताश हो चकते है वो इसी श्रेणी में आते हैऔर वो कोढ़ तथा तयेदिक जैसी बिमारियों से , लड़ने वाले या कहें कि हारे हए लोग होते हैं।
  • मानसिक रूप से बिमार लोग- कई बार घरवालो की नजर बचाकर भी मानसिक रूप से कमजोर अथवा बिमार लोग भी इस तरह के काम करते है, जिन्हें सड़कों पर लोग खमंगा कह कर पुकारते है। कई लोगो का कोई पता नहीं होता कि वो कौन हैं क्यूकि वे घर छोड़ चुके या निकाले जा चुके होते है।
  • बाल भिक्षु- चुराए गए बच्चो से ज्यारदातर ऐसे ही कार्य कराया जाता है। यह एक गैंग/नेटवर्क होता है जो कि बच्चों को चुराकर पंगु बनाकर यह कार्य करवाया जाता है और अपना व्यवसाय बढ़ाता है। कई माँ बाप भी सड़कों के किनारे बैठकर बच्चों से भी मंगवाते है।
  • अपना व्यवसाय बनाए बैठे लोग- किसी भी जरूरतमंदों को अपना नौकर बनाकर रख लेना और फिर उससे भिख मंगवाना ही इनका पेशा है। कोई भी अनाथ बच्चा या शारीरिक तौर पर अक्षक को इसके लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • पूर्ण रूपेण व्यवसायिक तौर पर कार्य करने वाले भिखारी- इस वर्ग में आने वाले सभी दिन भर भीख मांग कर रात के समय छोटी मोटी नौकरी कर लेते है और अपना जीवन यापन करते है।

भिक्षावृत्ति की रोकथाम हेतु उपाय

इस समस्या से निपटने हेतु बहुत सूक्ष्मगता से सूझ बूझ कार्यक्रमों को बनाने तथा सुनियोजित तरीके से प्रतिपादित करने की आवश्यकता है। फिर भी अनेक उपाय निम्न्लिखित हो सकते है।

विस्तार से इन उपायो को निम्नलिखित तरीके से जाना जा सकता है -:
  1. कानून निर्माण :- हरेक राज्य इसके लिए जिम्मेरदार है अतएवं हरेक सरकार को अपने अधिकारों से तहत कुछ ऐसे कड़े नियम कानून को बनाना होगा जिससे यह भयंकर छूआछूत की भी बिमारी जैसे फैलता हुआ रोग काबू में आ जाए तथा अवैधता का प्रमाणपत्र दिया जा सके तथा राज्य की हालत को खस्ता ना दिखना पड़े और तरक्की के नए आयाम खुल सकें।
  2. रोगों के इलाज तथा रोकथाम की व्यवस्था :- इस दिशा में सरकारों को कुछ कठोर कदम उठाने पड़ेगें जैसे, कोढ़, तपेदिक (T.B) आदि संक्रमण के रूप में फैलने वाले रोगो का इलाज सस्ता/ मुफ्त मुहैया कराने की कोशिश तथा उपाय करना इन रोगो से निजात पाना हरेक नागरिक का प्रथम अधिकार है और साथ ही राज्य/ देश की छवी सुधारने हेतु बड़ा कदम है।
  3. अनाथ/अपाहिजों की सुरक्षा :- सभी सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाएं जो कि इस दिशा में कार्यरत है, उन्हें इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अनाथालयों तथा विस्थापितों के शरणालयों की संख्या में इजाफा घर अनाथी तथा मजबूर स्त्री/पुरूष, बच्चों को यथायोग्य सुविधा मुहैया कराना ही उचित होता इसके साथ ही यदि संमक हो तो किसी और संस्था की सहायता लेकर मुहेजा (उचित) व्यवसायिक शिक्षण /प्रशिक्षण का भी पुख्ता इंतजाम किया जाना चाहिए।
  4. मानसिक रोग सुरक्षा :- हरेक राज्य तथा व्यापक स्तर पर देश में हरेक स्थान/शहर/कस्बा गाँव पर मा मानसिक रोग को रोगियो की उपचार व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि दरी की वजह से ना रूझते हए समय रहते ही इलाज संभव हो सकें। इस क्षेत्र में शोध की भी आवश्यकता है।
  5. विपत्ति में पड़े लोगो की सहायता :- आपदा प्रबंधन के साथ ही ऐसे समय-समय पर आने वाली कठिनाईयों से ना जझ पा रहे लोगो की जॉचपड़ताल के उपश्चात इनके पुर्नवसन/पर्नरिर्माण की पुरजोर कोशिश करनी चाहिए। (Restoration / Reevaluation)
  6. इस तरह की मानसिक/प्रवृत्ति को जनमत द्वारा दूर करना :- हमारे देश में इस तरह के अभियानों की सख्त आवश्यकता है जिससे बंद आँख कर बैठने वालो के दिमाग भी खुले और देश में कामचोरी भी बढ़ती प्रवृत्ति को रोका जा सके ताकि देश की प्रवृत्ति की रफ्तार बढ़ सके। आराम से बैठे हुए खाना/रहना/सोना/पहनना सिर्फ व सिर्फ जरूरतमंदों को ही मुहैया कराया जाय और वो भी सिर्फ ऐ सीमित समयसीमा/अर्थात एक ताकि राते जीवन जीने का ठथ्य ना बनकर लोग सक्षम होते ही खुद का काम/मेहनत कर कमाने लायक बन सके तथा देश की तरक्की में अपना यथायोग्य योगदान दे सकें।
  7. बेरोजगारी तथा गरीबी के उन्मूलन का प्रयास :- सबसे अन्त में यह बहुत जरूरी है कि इस दिशा में कुछ कारगर कदम उठाए जाए जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करते हुए इस भिक्षावृत्ति की समस्या से भी निजात पायी जा सके। जीवन यापन में उपायो को आगे लाना होगा, उपयुक्त योग्यता (व्यक्ति की) के आधार पर नौकरी / व्यवसाय की व्सवस्था तथा उपयुक्त अवसर प्रदान करने होंगे तभी कुछ दिशाएँ बदलेगी तथा देश का विकास भी और एक और एक कदम बढ़ेगा।

सारांश :

इस लेख को पढ़ कर आप भिक्षावृत्ति की समस्या के जूझते हमारे देश की स्थिति समझ पाए होगे साथ ही इसके कारण तथा निवारण के उपायों की करीब से जान पाए होंगे। इसी अध्याय में आपको भिक्षावृत्ति मे लिपत भिक्षुओं के वर्गों का ज्ञान हुआ होगा। किस तरह से हमारे देश में इस समस्या की बेले फैलती जा रही है जो कि , दे रही को जन्मवस्थाहिंसा आदि जैसे अपराध तथा अव्य ,चोरी ,बेरोजगारी है।
हमारे देश में इसका प्राचीन स्वरूप बना था ? और अब उसे किस प्रकार से सुनाया जा रहा? ये सभी आवश्यक पहलूओ पर आपका ध्यान केन्द्रित ही करना इस लेख का मुख्य उद्देश्य था जो कि फलीफूत हुआ होगा।

पारिभाषिक शब्दावली
  • भिक्षावृत्ति - भिख मांगना
  • जिविकोपार्जन - जीवन यापन हेतु धन कमाना
  • सार्वजनिक संस्थान - आम जगह जहाँ हरेक व्यक्ति आ जा सकता है -
  • संपगु - शारीरिक रूप से पर्ण सक्षम व्यक्ति
  • पुर्नवास - फिर से जीवन यापन लयक बनाना

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