पर्यवेक्षण का अर्थ - परिभाषाएँ, विशेषताएँ, क्रियाएँ, गुण, | paryavekshan ka arth

पर्यवेक्षण

पर्यवेक्षण अंग्रेजी के शब्द Supervision का हिन्दी अनुवाद है जो दो शब्दों Super + vision से बना है जिसका शब्दकोषीय अर्थ है, देखने की श्रेष्ठ दृष्टि अथवा अधिदर्शन।
पर्यवेक्षण दो तरफा तकनीक है, एक तरफ यह, जहाँ दूसरों के कार्यों का अधीक्षण, निर्देशन एवं खोजबीन करने की क्रिया है वहीं दूसरी तरफ, दूसरों को सलाह एवं मार्गदर्शन देने की क्रिया भी है।
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इस प्रकार पर्यवेक्षण में नकारात्मक एवं सकारात्मक क्रियाओं का मेल होता है। अधीक्षण एक नकारात्मक क्रिया तथा मार्गदर्शन एवं सलाह एक सकारात्मक क्रिया है।

पर्यवेक्षण की परिभाषाएँ


रेनिंग- “दूसरों के कार्यो का सत्ता के सहयोग से निर्देशन ही पर्यवेक्षण है।"

टैरी और फ्रेंकटिन के अनुसार – “पर्यवेक्षण का अर्थ बताए गए कार्य को पूरा करने के लिए कार्मिकों तथा अन्य साधनों के प्रयासों के दिशा और निर्देश से है।

मार्गरेट विलियमसन- “यह एक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत कर्मचारियों को उनकी आवश्यकतानुसार सीखने, अपने ज्ञान तथा कौशल का सर्वोत्तम उपयोग करने तथा योग्यताओं में सुधार करने में किसी पदाधिकारी की सहायता प्राप्त होती है ताकि कर्मचारी अधिक प्रभावशाली ढंग से कार्य कर सकें ताकि इसमें कर्मचारियों एवं उनके संस्थान को अधिकाधिक संतोष मिलता रहे।

जे.डी.मिलेट – “वांछित कार्य उद्देश्यों को पूरा करने हेतु मानवीय एवं अन्य संस्थाओं का निर्देशन करना ही पर्यवेक्षण है।"

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर पर्यवेक्षण की जो परिभाषा स्पष्ट होती है, वह यह है कि वांछित कार्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु मानवीय एवं अन्य संसाधनों का सत्ता के सहयोग से अधीक्षण एवं मार्गदर्शन ही पर्यवेक्षण है।

पर्यवेक्षण की विशेषताएँ

  • पर्यवेक्षण दो तरफा क्रिया है, इसमें मार्गदर्शन एवं अधीक्षण सम्मिलित है।
  • पर्यवेक्षण का उद्देश्य, संगठन के उद्देश्यों की समयानुसार दक्षतापूर्वक पूर्ति है।
  • पर्यवेक्षण अनवरत् रूप से सम्पन्न की जाने वाली एक सतत् क्रिया है।
  • पर्यवेक्षण भौतिक और मानवीय दोनों ही तत्त्वों की उच्च दृष्टि से देखरेख करती है।
  • पर्यवेक्षण निरीक्षण से भिन्न होता है। निरीक्षण, जहाँ कार्यस्थल पर कार्योत्तर समीक्षा है, यह पूर्णतया नकारात्मक क्रिया होती है
जबकि पर्यवेक्षण, सकारात्मक दृष्टि से कार्य से पूर्व तथा पश्चात् दोनों ही अवस्थाओं में की जाने वाली क्रिया है। निरीक्षण प्रबन्ध का पृथक् कार्य नहीं बल्कि पर्यवेक्षण प्रक्रिया का ही एक अनिवार्य भाग है।

पर्यवेक्षण की क्रियाएँ

पर्यवेक्षण की क्रियाओं अथवा उसके पहलुओं का विश्लेषण तीन दृष्टियों से किया जाता है जो पर्यवेक्षण में सम्मिलित गतिविधियों की स्पष्ट व्याख्या भी है।

(अ) पर्यवेक्षण का मौलिक और तात्विक दृष्टिकोण
इसके अनुसार पर्यवेक्षण में कार्य का नियोजन, कार्य का आबंटन, कार्य निष्पादन के मानकों का निर्धारण सम्मिलित होता है।

(ब) पर्यवेक्षण का सांस्थानिक दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार, पर्यवेक्षण में यह देखना सम्मिलित है कि कार्य समय पर हो, कार्य सही तरीके से सम्पन्न किया जाए, व्यक्तिगत आचरण के नियम निर्धारित करने तथा कार्य के उपकरणों का उचित रख-रखाव आदि।

(स) कार्मिक दृष्टिकोण
इसके अनुसार, पर्यवेक्षण में कर्मचारियों पर निगरानी रखने और उनमें कार्य के प्रति रूचि पैदा करना सम्मिलित है।

पर्यवेक्षण की तकनीकें अथवा विधियाँ

पर्यवेक्षण की तकनीकें और विधियाँ संगठन-दर-संगठन भिन्न होती हैं और मुख्य कार्यपालिका संगठन का आकार, उद्देश्यों, सम्पादित कार्य की प्रकृति के आधार पर निर्धारित करता है। जे. डी. मिलेट ने पर्यवेक्षण की छ: तकनीकों का वर्णन किया है-
  • पूर्व स्वीकृति निर्धारण द्वारा
  • सेवा मानकों के निर्धारण के माध्यम से पर्यवेक्षण
  • कार्य बजट निर्धारण द्वारा पर्यवेक्षण
  • कार्मिकों की स्वीकृति द्वारा पर्यवेक्षण
  • प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया द्वारा पर्यवेक्षण तथा
  • निरीक्षण तकनीक के माध्यम से पर्यवेक्षण।

पर्यवेक्षक के गुण

अच्छे पर्यवेक्षक के गुणों की व्याख्या हालसे, पिफनर, आदि विद्वानों ने की है
पिफनर के अनुसार एक अच्छे पर्यवेक्षक में निम्नलिखित आठ गुण होने चाहिए।
  • कार्य से सम्बन्धित पूर्ण ज्ञान;
  • व्यक्तिगत योग्यताएँ जैसे- दृढ़ चरित्र;
  • एक अच्छे शिक्षक की योग्यताएँ;
  • उसे अपने कार्य से प्रेम हो तथा अधीनस्थों को भी प्रेरित करे;
  • साहस और सहनशीलता;
  • नैतिकता तथा सदाचार;
  • प्रबन्धकीय योग्यता तथा जिज्ञासा एवं;
  • बौद्धिक सतर्कता और नवाचार प्रवृत्तियाँ।
इसी प्रकार हालसे ने अच्छे पर्यवेक्षक के लिए निम्नांकित गुण बताए हैं
  • कार्य एवं सभी मामलों की पूरी जानकारी (परिपूर्णता);
  • निष्पक्षता, न्यायप्रियता तथा सहानुभूति (औचित्य);
  • साहस एवं आत्म विश्वास (पहल);
  • लोगों से कार्य करवाने की कला (चतुराई);
  • कर्त्तव्य, आदर्शों तथा रुचियों से भरपूर (उत्साह) तथा ;
  • भावनात्मक नियंत्रण।
सरकारी संगठनों में सभी प्रकार के व्यक्ति कार्य करते हैं तथा बहुत से व्यक्ति वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत होकर पर्यवेक्षक की भूमिका में आ जाते हैं। पर यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक पर्यवेक्षक उन योग्यताओं तथा कुशलताओं से युक्त हो ही जो कि एक अच्छे पर्यवेक्षक के लिए आवश्यक हैं।
यह मान्यता रही है कि अच्छे पर्यवेक्षक बनाए नहीं जाते बल्कि वे पैदा होते हैं लेकिन प्रशिक्षण की आधुनिक तकनीकें जैसे - सम्मेलन, विधि, कार्य के दौरान प्रशिक्षण तथा अन्य संगठनात्मक व्यवहार सम्बन्धी प्रयोगों के माध्यम से पर्यवेक्षकीय गुणों का विकास किया जा सकता है।

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