बायोम (Biome) |

बायोम (Biome) |

बायोम पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है | दूसरे शब्दों में प्रथ्वी पर पेंड़-पौधों तथा जीव-जन्तुओं सहित सभी प्रमुख पारिस्थतिक तंत्र बायोम कहलाते है |


सामान्य रूप से बायोम के अंतर्गत महाद्वीप के उन सभी भागों के समस्त पादपों तथा प्राणियों को सम्मिलित किया जाता है जिनकी सामान्य विशेषताएं उस समस्त भू-भाग में प्रायः समान होती है| बायोम के अंतर्गत प्रायः स्थलीय भाग के समग्र पादप तथा प्राणी समुदायों को ही सम्मिलित करते है | क्योंकि सागरीय बायोम का निर्धारण कठिन होता है,  हालाँकि इस दिशा में शोधकर्ताओं द्वारा प्रयास किया गया है | यघपि बायोम में पौंधो व जन्तु दोनों को सम्मिलित करते है तथापि हरे पौधों का ही प्रभुत्व होता है क्योंकि इनका सकल बायोमास जन्तुओं की तुलना में अधिक होता है |

बायोम: एक नजर में (Biome: At a Glance)
बायोम
स्थान
जलवायु
मृदा
पादप
प्राणी
मरुस्थल
(Desert)
मध्य अक्षांश
सामान्यतः अत्यधिक गर्म दिन, ठंडी रातें, वर्षा एक वर्ष में 10 इंच से कम
पादप एवं अपघटक की कमी, लेकिन खनिज में सम्रद्ध |
पादप विहीन से लेकर कैंकटाई, गुच्छेदार घास, झाड़ियां एवं कुछ पेंड़ों तक |
सांप, छिपकली, कीड़े, छोटे पक्षी | अफ़्रीका का सहारा मरुस्थलीय ऊंट, गजेल्स, एंटीलोप, छोटी लोमड़ी, सांप, छिपकली आदि |
टुंड्रा
(Tundra)
उच्च उत्तरी अक्षांश
बहुत ठंडी, कठोर लंबी शीत ऋतु, छोटी एवं ठंडी ग्रीष्म ऋतु |
पोषण स्तर कम, कुछ इंच निचे परमाफ्रॉस्ट स्तर का पाया जाना |
घास, जंगली फूल, माँस, छोटे शाक |
मस्क ऑक्सेन, प्रवासी कैरिबू, आर्कटिक लोमड़ी, उल्लू, हॉक, रोडेन्ट्स, धुर्वीय भालू |
घास स्थल (Grass Land)
मध्य अक्षांश, महाद्वीपों के आंतरिक भाग
शीत ऋतु में ठंडा, ग्रीष्म ऋतु में गर्म, एक वर्ष में 25-75 सेंटीमीटर वर्षा।
उच्च पोषक तत्त्व युक्त ऊपरी मृदा।
ज्यादातर घास एवं छोटे शाक, कुछ पेड़ जल स्रोतों के नजदीक।
अमेरिकी घास के मैदान में प्रेयरी कुत्ते, लोमड़ी, छोटे स्तनधारी, साँप, कीडे, कई प्रकार के पक्षी। अफ्रीका के घास के मैदान में हाथी, शेर, जेब्रा, जिराफ आदि।
पर्णपाती वन (Deciduous Forest)
मध्य अक्षांश
सापेक्षिक रूप से सौम्य ग्रीष्म ऋतु एवं ठंडी शीत ऋतु, एक वर्ष में 76 से 127 सेंटीमीटर वर्षा।
पोषक तत्त्व युक्त मिट्टी
कठोर लकड़ी, जैसे- ओक, बीचेज, हिकोरिज, मैपल्स
भेड़िया, हिरण, भालू एवं छोटे स्तनधारी की कई प्रजातियाँ, पक्षी, उभयचर, साँप एवं कीड़े।
टैगा (Taiga)
मध्य से उच्च अक्षांश
अत्यधिक ठंडी शीत  ऋतु,  गर्म एवं आर्द्र ग्रीष्म ऋतु,एक वर्ष में 50 सेंटीमीटर वर्षा।
अम्लीय, खनिज पदार्थ की कमी।
ज्यादातर स्पूस, फर एवं दूसरे सदाबहार वृक्ष।
रोडेन्ट्स, लिनक्स, कैरीबू, भालू, भेड़िया, स्नोशू हेयर।
उष्णकटिबंधीय वर्षा वन (Tropical Rain Forest)
विषुवत् वृत्त के नजदीक
पूरे वर्ष गर्मी, एक वर्ष में 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा।
पोषक तत्त्व कम
जैवमंडल का सबसे बड़ा विविधता वाला प्रदेश, ऑर्किड, फर्न एवं पेड़ों की कई प्रजातियाँ।
किसी और जगह की अपेक्षा कीड़ों, सरीसृप एवं उभयचर प्रजातियों की बहुलता। बंदर, दूसरे छोटे एवं बड़े स्तनधारी, कुछ जगहों पर हाथी एवं सभी प्रकार के रंग-बिरंगे पक्षी।

कुछ स्मरणीय तथ्य -

  • पृथ्वी के समस्त जीवित जीव तथा उनके आस-पास का पर्यावरण, जिससे इन जीवों की पारस्परिक क्रिया होती है, मिलकर जैवमंडल की रचना करते हैं।
  • विभिन्न प्रजातियों की जनसंख्या जो एक ही क्षेत्र में रहती है तथा एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती हैं, जैविक समुदाय कहलाती है।
  • किसी समुदाय की विविधता का निर्धारण उसकी जातीय विभिन्नता के आधार पर किया जाता है। उष्णकटिबंधीय वर्षा वन एवं प्रवाल भित्ति समुदाय अत्यधिक विविधता वाले होते हैं। जबकि मरुस्थल और ज्वारनदमुख में अपेक्षाकृत कम विविधता होती है।
  • वे जातियाँ जो किसी समुदाय में प्रचुरता तथा जैवभार की अल्पता के बावजूद सामुदायिक अभिलक्षणों पर अपना प्रभाव दर्शाती हैं, की-स्टोन प्रजातियाँ कहलाती हैं।
  • क्रांतिक कड़ी जातियाँ (Critical Link Species) अन्य जातियों की भोजन व्यवस्था, परागण, बीजों एवं फलों के परिक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • फाउंडेशन प्रजाति, अन्य प्रजातियों के निर्माण व संरक्षण में मुख्य भूमिका निभाती है। कोरल एक फाउंडेशन प्रजाति का उदाहरण है।
  • अंब्रेला प्रजाति विस्तृत परास वाली प्रजाति होती है जिस पर अन्य प्रजातियाँ निर्भर करती हैं। यह बहुत हद तक की-स्टोन प्रजाति की तरह होती है जो कि सामान्यतः उच्च कशेरुकी व विशाल काया वाली होती है।
  • संकेतक प्रजाति से अभिप्राय किसी एक पौधा या जन्तु की प्रजाति से है जो पर्यावरण परिवर्तन के लिये बहुत संवेदनशील होता है। यह प्रजाति पारिस्थितिकीय तंत्र की हानि से तुरंत प्रभावित होती है।
  • संक्रमिका: दो या उससे अधिक विविध समुदायों के मध्य संक्रमण क्षेत्र को संक्रमिका (Ecotone) कहते हैं, जैसे घास स्थल तथा वन क्षेत्र।
  • संक्रमिका में दोनों क्षेत्रों की विशेषताएँ पाई जाती हैं तथा यह छोटे क्षेत्र से विशाल क्षेत्र तक फैला हो सकता है।
  • कोर प्रभाव एक पारिस्थितिकीय अवधारणा है जो इस ओर इंगित करती है कि जहाँ दो पारितंत्र आपस में मिलते हैं, वहाँ प्रचुर विविधता पाई जाती है।
  • कोर प्रभाव क्षेत्र में बहुत अधिक विविधता का कारण यह है कि यहाँ पर दोनों क्षेत्रों के संसाधन एक ही स्थान पर पाए जाते हैं।
  • कोर क्षेत्र की विविधता सूक्ष्म जलवायु का निर्माण कर सकती है जो कि विशिष्ट प्रजातियों को समर्थन दे सकती है।
  • पृथ्वी पर पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं सहित सभी प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र बायोम कहलाते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय वर्षा वन जैवमण्डल का सबसे बड़ा विविधता वाला प्रदेश है जो कि विषुवत् वृत्त के नजदीक पाया जाता है।
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