DNA RNA में अंतर - DNA और RNA में क्या अंतर है? | dna rna mein antar

DNA RNA में अंतर

DNA RNA में अंतर
DNA RNA
डीएनए का मतलब होता है (डीऑक्सीराइबोज न्यूक्सिक्लिक एसिड/Deoxyribo Nucleic Acid) आरएनए का मतलब होता है राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribose Nucleic Acid
द्वितंतुक अणु एकल तंतुक अणु
डिऑक्सीराइबोज शर्करा युक्त राइबोज शर्करा युक्त
ऐडेनाइन का पूरक पिरिमिडीन बेस थाइमिन है। ऐडेनाइन का पूरक पिरिडिन बेस यूरेसिल है। RNA में थाइमिन नहीं होता है।
DNA केवल एक कार्य करता है RNA के कई विभेद जैसे mRNA, tRNA, TRNA के विभिन्न कार्य हैं।
DNA स्वयं द्विगुणित हो सकता है। RNA का संश्लेषण एक DNA टेम्प्लेट पर होता है।
डीएनए मुख्य केंद्रक में पाया जाता है। आरएनए मुख्य केंद्र तथा कोशिका द्रव्य में भी पाया जाता है।
यह न्यूक्लियोटाइड की एक लंबी श्रृंखला से मिलकर दो-फंसे हुए अणु है। जिससे मिलकर डीएनए बनता है। यह न्यूक्लियोटाइड की छोटी श्रृंखलाओं वाले एकल-भूग्रस्त हेलिक्स हैl जिससे मिलकर आरएनए बनता है।
डीएनए नई कोशिकाओं और जीवो को उत्पन्न करने तथा उनकी अनुवांशिक जानकारी को एकत्रित करता है और इसको स्थानांतरित भी करता है। आरएनए इसका प्रयोग आनुवंशिक सूचकांक को न्यूक्लियस से राईबोसोम में प्रोटीन बनाने के लिए और डीएनए की प्रतिलिपि के दिशानिर्देशों को ले जाने में किया जाता है।
डीएनए अल्ट्रावायलेट किरणों से छतिग्रस्त हो सकता है। आरएनए पर अल्ट्रावायलेट किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
डीएनए स्वयं से प्रतिकृति है या स्वयं से ही बनता रहता है। आरएनए स्वयं से प्रतिकृति या स्वयं से नहीं बनता है इसको आवश्यकता होने पर डीएनए से संश्लेषित किया जाता है।
इसमे एडेनिन, ग्वानिन, साइटोसिन और थाइमिन नामक चार नाइट्रोजनी क्षार होते हैं। आरएनए में थायमीन नामक क्षार नहीं होता है उसकी जगह पर यूरेसिल नामक क्षार होता है।
डीएनए में फॉस्फेट समूह, पाँच कार्बन शुगर (स्थिर डीओक्सीराइबोज 2) और चार नाइट्रोजन बेस वाले दो न्यूक्लियोटाइड किस्म होता हैं। आरएनए में फॉस्फेट समूह, पांच कार्बन शुगर (कम स्थिर राइबोस) और चार नाइट्रोजन बेस से युक्त एक अकेला होता है।
डी.एन.ए. की बेस पेरिंग एटी (AT) और जीसी (GC) है। आर. एन. ए. की बेस पेरिंग ए.यू. (AU) और जीसी (GC) है।
किसी भी सेल के लिए डी.एन.ए. की मात्रा तय होती है। किसी भी सेल के लिये आर. एन. ए. की मात्रा बदल सकती है।
यह कोशिका के नाभिक और कुछ सेल ऑर्गेनेल के अंदर होता है, लेकिन यह पौधों के मिटोकोंड्रिया और उनकी कोशिकाओं में मौजूद होता है। यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है लेकिन उसकी नाभिक के अंदर बहुत कम पाया जाता है।
यह एक लंबी बहुलक श्रृंखला है यह छोटा बहुलक है
डीएनए हेलिक्स ज्यामिति बी के रूप में है और अल्ट्रा वायलेट किरणों के जोखिम से क्षतिग्रस्त हो सकता है आरएनए हेलिक्स ज्यामिति ए के रूप में है। अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा क्षति के प्रति अधिक प्रतिरोधी है।
यह क्रोमोसोम या क्रोमेटिन फाइबर के रूप में होता है। यह राइबोसोम में होता है या इसके रूपों या प्रकारों को राइबोसोम के साथ संबंध होता है।
डीएनए की मात्रा सेल के लिए तय है। सेल के लिए आरएनए की मात्रा बदल सकती है।
यह दो प्रकार की है: अंतर परमाणु और अतिरिक्त परमाणु। यह चार प्रकार की है: एम-आरएनए, टी-आरएनए और आर-आरएनए
इसके पिघलने के बाद पुनर्जन्म धीमी गति से होता है तेज होता है
डीएनए का जीवन लंबा है। इसका जीवन छोटा है कुछ आरएनए के पास बहुत कम जीवन है, लेकिन कुछ लंबे समय तक हैं लेकिन अपने सभी जीवन में कम है।

डी.एन.ए. (Deoxyribonucleic Acid-DNA)

DNA एक न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acid) है, जो प्रोटीन के साथ मिलकर क्रोमोसोम की संरचना बनाता है। यह कोशिका के केंद्रक में धागे के रूप में फैला रहता है। डी.एन.ए. की कुछ मात्रा केंद्रक के अतिरिक्त माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाई जाती है। मूल रूप से DNA एक आनुवंशिक पदार्थ (Hereditary Material) है, जो लक्षणों (Traits) या गुणों को माता-पिता से संतानों में पहुँचाने का कार्य करता है। dna rna mein antar
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यूकैरियोटिक कोशिकाओं में DNA लंबा, अशाखित तथा सर्पिलाकार (Spiral) होता है, जबकि प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं, माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में यह वृत्ताकार (Circular) होता है। DNA अनेक न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides) का बहुलक होता है।
DNA की संरचना तीन प्रकार के पदार्थों (Materials) से निर्मित होती है।
  1. नाइट्रोजन क्षार (Nitrogen Base)
  2. शुगर (Sugar)
  3. फॉस्फोरिक अम्ल (Phosphoric acid)
जेम्स वाटसन तथा फ्रांसिस क्रिक ने 1953 में DNA की द्विकुंडलित संरचना (Double Helical Structure) प्रस्तुत की थी, जिस पर उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एडिनीन और थायमीन के बीच दो हाइड्रोजन बंध तथा साइटोसीन एवं गुआनिन के बीच तीन हाइड्रोजन बंध होते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि एडिनीन एवं थायमीन केवल आपस में ही बंध बना सकते हैं और इसी प्रकार साइटोसीन एवं गुआनिन भी केवल एक-दूसरे के साथ ही बंध बना सकते हैं।

डी.एन.ए. प्रतिकृति (DNA Replication)
डी.एन.ए. प्रतिकृति ऐसी जैविक प्रक्रिया है, जो सभी सजीवों में संपन्न होती है और उनके डी.एन.ए. (DNA) की प्रतिकृति बनाती है। इंटरफेज के दौरान होने वाली डी.एन.ए. प्रतिकृति जैविक वंशानुक्रम का आधार होती है। जब एक युग्मित डी.एन.ए. अणु उस अणु की एक समान दो प्रतिकृतियाँ उत्पन्न करता है तब डी.एन.ए. प्रतिकृति की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। मूल युग्मित डी.एन.ए. अणु की 'प्रत्येक धागानुमा संरचना' पूरक धागानुमा संरचना की उत्पत्ति के लिये एक नमूने की भाँति कार्य करती है।
किसी कोशिका में विशिष्ट स्थानों पर डी.एन.ए. प्रतिकृति प्रक्रिया प्रारंभ होती है। मूल स्थान पर डी.एन.ए. के पृथक्करण और नई धागेनुमा संरचनाओं के संश्लेषण से एक प्रतिकृति शाखा (Replication Fork) बनती है। इस शाखा से कुछ प्रोटीन जुड़े होते हैं और ये डी.एन.ए. संश्लेषण में मदद करते हैं। नमूनारूपी धागानुमा संरचना के साथ संगत न्यूक्लियोटाइड्स जोड़कर डी.एन.ए. पॉलीमरेज नए डी.एन.ए. को संश्लेषित करता है।
डी.एन.ए. प्रतिकृति कोशिका के बाहर कृत्रिम रूप से भी संपादित की जा सकती है। कोशिकाओं से अलग किये गए डी.एन.ए. पॉलीमरेज और कृत्रिम डी.एन.ए. प्राइमर का उपयोग डी.एन.ए. संश्लेषण को प्रारंभ करने के लिये किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में ऐसे कृत्रिम संश्लेषण का इस्तेमाल होता है, जो कि चक्रीय स्तर पर कार्य करता है।

DNA की रासायनिक प्रकृति
DNA एक पॉलीन्यूक्लियोटाइड, एक बृहदाकार अणु है जोकि न्यूक्लियोटाइड इकाइयों से मिलकर बना है।
प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड की तीन उप इकाइयाँ होती है।
  • (i) एक पेन्टोस शर्करा (5-कार्बन शर्करा)- जिसे डिऑक्सीराइबोज कहते हैं।
  • (ii) 4 नाइट्रोजनी बेस (क्षार)-ऐडेनीन (A) तथा ग्वानीन (G) प्यूरीन बेसें (क्षार) तथा थाइमीन (T) व साइटोसीन (C) - पिरिमिडिन बेसें
  • (iii) शर्करा में स्थित फॉस्फेट (POA) समूह
एक बेस और शर्करा मिलकर एक न्यूक्लियोसाइड का निर्माण करते हैं, एक फॉस्फेट समूह के इसके साथ संयुक्त हो जाने से यह एक न्यूक्लिओटाइड बन जाता है।
  • बेस + शर्करा = न्यूक्लियोसाइड ।
  • बेस + शर्करा + फॉस्फेट = न्यूक्लियोटाइड
इस प्रकार DNA में शर्करा नाइट्रोजन बेस व फॉस्फेट से निर्मित 4 न्यूक्लियोटाइड होते हैं।
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शार्गफ का नियम (Chargaff's rule)
एक DNA अणु में चार न्यूक्लियोटाइड बराबर मात्राओं में विद्यमान नहीं होते लेकिन प्यूरीन (A+ G) तथा पिरिमिडीन (T+C) की मात्रा सदैव समान रहती है। दूसरे शब्दों में A = T और G=C (यह शार्गफ का नियम कहलाता है।)

DNA की भौतिक संरचना-DNA को दोहरी कण्डली
एक DNA अणु त्रिविमीय होता है और दो तंतुओं से बना होता है जोकि एक दूसरे के चारों ओर कुंडलित होते हैं। फ्रैंकलिन और विल्किन्स ने DNA के x किरण विवर्तन के अध्ययन से यह दर्शाया है कि DNA द्विकुंडिलत होता है।
1953 में जेम्स वॉटसन व फ्रैंसिस क्रिक को DNA की संरचना की खोज करने के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया। वॉटसन और क्रिक मॉडल के अनुसार-
  • DNA अणु दो कुंडलियों (double helix) से निर्मित हैं जिसमें DNA के दो तंतु होते हैं।
  • दोनों तंत प्रतिसमांतर रूप में रहते हैं जिसका आशय यह हुआ कि एक तंतु में न्यूक्लियोटाइड का अनुक्रम 5' से 3' की दिशा में और दूसरे तंत् में 3' से 5' की दिशा में होता है। (3' व 5' का आशय उन कार्बन परमाणुओं से है जिससे फॉस्फेट समूह जुड़े रहते हैं।
  • कुण्डली का आधार (पुष्ट फलक) शर्करा फॉस्फेट से निर्मित होता है और नाइट्रोजनी बेसें शर्करा से सहलग्न होते हैं।
  • दोनों तंतुओं के बेस हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़े होते हैं।
  • शार्गफ़ के नियमानुसार बेस युग्मन अति विशिष्ट होता है। एक एडेनीन (Adenine) प्यूरीन बेस सदैव थाइमीन - पिरिमिडीन बेस के साथ युग्मित होता है। प्यरीन बेस ग्वानीन - पिरिमिडीन बेस, साइटोसीन के साथ संयुक्त होता है। (युग्मित होता है)। बेसों के ये युग्म पूरक बेसें (complementary bases) कहलाते हैं।
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आर.एन.ए. (Ribonucleic Acid - RNA)

RNA कोशिका द्रव्य में बिखरा रहता है। यह एकल कुंडलित (Single Stranded) संरचना है। यह मुख्य रूप से प्रोटीन निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेता है। यह एक गैर-आनुवंशिक पदार्थ (Non Hereditary Material) है। यद्यपि यह कुछ वायरस में आनुवंशिक पदार्थ की तरह कार्य करता है, जैसे- टोबेको मोजेक वायरस (TMV) आदि।
RNA तीन प्रकार का होता है
  1. मैसेंजर (mRNA)
  2. राइबोसोमल RNA (rRNA)
  3. ट्रांसफर RNA (tRNA)

मैसेंजर RNA (mRNA)
यह DNA में अंकित सूचनाओं को प्रोटीन संश्लेषण स्थल (Protein synthesis site) पर लाने का कार्य करता है। 

राइबोसोमल RNA (rRNA)
इसका निर्माण केंद्रिका (Nucleolus) में होता है। यह कोशिका में उपस्थित समस्त RNA का लगभग 80% होता है। इसका मुख्य कार्य राइबोसोम के संरचनात्मक संगठन में सहायता प्रदान करना है।

ट्रांसफर RNA (tRNA)
यह सभी RNA में सबसे छोटा RNA है। इसका मुख्य कार्य अमीनो अम्लों को प्रोटीन संश्लेषण स्थल पर लाना है।

tRNA की संरचना जानने में भारतीय मूल के जीव विज्ञानी एच.जी. खुराना (H.G. Khurana) का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उनके इस योगदान के लिये उन्हें नीरनबर्ग (Nirenberg) तथा रॉबर्ट होले (Robert Holley) के साथ संयुक्त रूप से 1968 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। dna rna mein antar

DNA तथा RNA की तुलना (Comparison of DNA and RNA)

गुण

DNA

RNA

अवस्थिति

केंद्रक, माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में उपस्थित।

कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) तथा केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm) में उपस्थित।

पिरिमिडीन क्षार

साइटोसीन (C) तथा थायमीन (T)

साइटोसीन तथा यूरेसिल

प्यूरीन क्षार

एडिनीन (A) तथा गुआनिन (G)

एडिनीन तथा गुआनिन

पेंटोज शुगर

डीऑक्सी राइबोस

राइबोस

कार्य

आनुवंशिक सूचनाओं का हस्तांतरण

प्रोटीन संश्लेषण


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